माधवी और माधवराव का रिश्ता ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने तय किया था। साल 1966 में माधवी राजे की शादी माधवराव सिंधिया से हुई थी। यह उस दौर की एक शाही शादी थी, जिसकी खूब चर्चा हुई थी। जानकारी के अनुसार यह शादी दिल्ली में हुई थी। ग्वालियर के लोग बारात में शामिल हों, इसके लिए एक स्पेशल ट्रेन भी चलवाई गई थी। जिसमें देश-विदेश के मेहमान शामिल हुए थे।
*बेटे को सौंपी राजनीतिक विरासत*
माधवराव सिंधिया के निधन के बाद माधवी राजे के राजनीति में आने के कयास भी लगते रहे। माना जा रहा था कि वह साल 2004 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। लेकिन, माधवी राजे ने खुद को राजनीति से दूर ही रखा। अपने पति माधवराव सिंधिया की राजनीतिक विरासत बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए छोड़ दी।
*भाजपा में जाने को लेकर बेटे का दिया था साथ*
मार्च 2020 में सिंधिया के भाजपा में जाने की अटकलें लग रहीं थी तब वे कांग्रेस में पिता की विरासत छोड़कर जाने में संकोच कर रहे थे। इस दौरान माधवी राजे ने मार्गदर्शक बनकर सिंधिया को राह दिखाई थी। कहा जाता है कि उस समय सबसे ज्यादा सपोर्ट मां माधवी राजे ने सिंधिया को किया था। इसके बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फैसला लेकर अपनी दादी विजयाराजे सिंधिया की तरह बड़ा कदम उठाया था।