स्थायी कर्मी का लाभ वापस लेने का आदेश निरस्त
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने नगर परिषद पिपरिया में कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी कर्मी का लाभ वापस लेने वाला आदेश अनुचित पाते हुए निरस्त कर दिया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति सक्षम स्वीकृति के बाद की गई है, अत: ऐसी स्थिति में स्थाई कर्मी का जो लाभ दिया गया है वह उचित है एवं उसे वापस नहीं लिया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि पिपरिया निवासी ओम प्रकाश संखवार और इंदु पथरिया ने संयुक्त संचालक द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके जरिए उन्हें स्थायी कर्मी का लाभ वापस ले लिया गया था। न्यायालय ने संयुक्त संचालक का आदेश निरस्त करते हुए याचिकाकर्ताओं को सभी लाभ देने के निर्देश दिये। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा और कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति क्रमश: वर्ष 2008 और वर्ष 2014 में हुई थी।
बाद में 7 अक्टूबर 2016 के परिपत्र के आधार पर उन्हें स्थाई कर्मी का लाभ दिया गया। संयुक्त संचालक होशंगाबाद ने आदेश जारी कर लाभ वापस ले लिया। दलील दी गई कि यदि नियुक्ति सक्षम स्वीकृति से की गई है तो वह स्थाई कर्मी लाभ प्राप्त करने के अधिकारी हैं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने भी यह स्वीकार किया है कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति शासन से स्वीकृत है तब स्थाई कर्मी का लाभ वापस लिया जाना अनुचित है।