सिकल सेल उन्मूलन: एक दूरदर्शी पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने का आह्वान केवल एक स्वास्थ्य लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सामाजिक न्याय का उदघोष है. यह विजन, राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के माध्यम से, देश की एक बड़ी आबादी, विशेषकर आदिवासी समुदायों को, एक गंभीर आनुवंशिक बीमारी के चंगुल से मुक्त कराने का संकल्प दर्शाता है. यह एक ऐसा दूरदर्शी कदम है जो स्वास्थ्य सेवा को केवल उपचार तक सीमित न रखकर, निवारण और संपूर्ण जीवन-स्तर में सुधार के व्यापक दायरे में ले आता है.

प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण केवल घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके क्रियान्वयन में भी गंभीरता दिख रही है. 1 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश के शहडोल से इस मिशन का शुभारंभ कर उन्होंने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इसकी महत्ता को रेखांकित किया. 2047 का लक्ष्य भारत के अमृत काल के साथ जुडक़र एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की परिकल्पना को पुष्ट करता है.

इस राष्ट्रीय संकल्प को ज़मीनी स्तर पर उतारने में मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार की संवेदनशीलता और प्रशासनिक कुशलता सराहनीय है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने न केवल केंद्र के विजन को पूरी गंभीरता से अपनाया है, बल्कि उसे राज्य की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुरूप ढालकर प्रभावी ढंग से लागू भी किया है. हाल ही में विश्व सिकल सेल दिवस पर बड़वानी में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम, जिसमें राज्यपाल मंगू भाई पटेल की उपस्थिति और मुख्यमंत्री की वर्चुअल भागीदारी रही, इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है.दरअसल,राज्य में 1 करोड़ 6 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर लगभग 2 लाख वाहक और 29,277 मरीजों की पहचान करना एक बड़ी उपलब्धि है.आगामी 100 दिनों में अतिरिक्त 1.40 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य इस अभियान की गति को दर्शाता है.”सिकल मित्र” जैसी पहलें और विवाह से पूर्व “सिकल सेल जेनेटिक कार्ड” के मिलान का आग्रह, केवल प्रशासनिक निर्देश नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता लाने के लिए संवेदनशील प्रयास हैं. राज्यपाल मंगूभाई पटेल का जनजातीय क्षेत्रों में स्वयं जाकर जागरूकता फैलाना इस आंदोलन को और बल देता है. गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की अनिवार्य जांच तथा पहचाने गए मरीजों को नि:शुल्क दवाएं और रक्त आधान जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना, यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी पीडि़त उपचार से वंचित न रहे. भोपाल, इंदौर और रीवा में विशेष केंद्रों का विकास, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पंचायत स्तर पर 100 फीसदी स्क्रीनिंग का लक्ष्य पूरा करने वाली पंचायतों को सम्मानित करने का विचार, स्थानीय समुदायों को इस अभियान का अभिन्न अंग बनाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिकल सेल मुक्त भारत का विजन एक ऐसा सामाजिक अभियान है जो स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ता है. डॉ. मोहन यादव की सरकार ने इस विजन को अपनी संवेदनशीलता और प्रशासनिक दक्षता से मध्य प्रदेश की धरती पर साकार करना शुरू कर दिया है. यह समन्वय न केवल लाखों जीवन बचाएगा बल्कि भारत को एक स्वस्थ और सशक्त भविष्य की ओर ले जाने में भी सहायक होगा.यह एक ऐसा प्रयास है जो वास्तव में “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मंत्र को चरितार्थ करता है. कुल मिलाकर इस मिशन के लिए जन जागरूकता, जन भागीदारी और गैर सरकारी सामाजिक संगठनों का जुड़ाव भी जरूरी है. ब्लॉक स्तर पर सरकारी अमला भी यह सुनिश्चित करें कि, इस अभियान का लाभ सभी पीडि़तों तक पहुंचे.

 

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