गैस मीटरों का परीक्षण, सत्यापन, स्‍टाम्पिंग अनिवार्य किया जाएगा

नयी दिल्ली, (वार्ता) सरकार घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सभी गैस मीटरों के लिए व्यापार और वाणिज्य में उनके उपयोग से पहले परीक्षण, सत्यापन और मुहर लगवाना अनिवार्य बनाने जा रही है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग ने विधिक मापविज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत इसके लिए नियमों का एक मसौदा तैयार किया है।

मंत्रालय की सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार गैस मीटरों के उपयोग में लाने पर उनकी शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए इन प्रस्तावित नियमों के अंतर्गत उनका पुनः सत्यापन के नियम भी निर्धारित किये गए हैं।

मंत्रालय का कहना है कि गैस मीटरों के लिए मसौदा नियम तैयार करके उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने, न्‍यायसंगत व्यापार पद्धतियों को बढ़ावा देने और गैस के उपयोग में सटीक माप सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

इन नए नियमों का प्राथमिक उद्देश्य गैस के मापन में सटीकता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है। सत्यापित और मुहर लगे गैस मीटर अधिक शुल्क लेने या कम मापन को रोकेंगे, विवादों में कमी लाएंगे और उपभोक्ताओं को दोषपूर्ण या हेरफेर किए गए उपकरणों से निश्चित तौर पर सुरक्षा प्रदान करेंगे। उपभोक्ताओं को उचित बिलिंग, बेहतर ऊर्जा दक्षता तथा मानकीकृत एवं अनुरूप उपकरणों की बदौलत कम रखरखाव लागत के जरिए सीधा लाभ मिलेगा।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को होने वाले लाभों के अलावा, ये नियम विनिर्माताओं और गैस वितरण कंपनियों के लिए एक संरचित अनुपालन ढांचा प्रदान करते हैं तथा ये सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों और ओआईएमएल (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी) मानकों के अनुरूप है। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विश्वसनीयता बढ़ाती है और घरेलू विनिर्माण परिवेश में नवाचार और गुणवत्ता आश्वासन को प्रोत्साहन मिलेगा।

उपभोक्ता मामले विभाग के विधिक मापविज्ञान प्रभाग ने इन नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए गहन और समावेशी परामर्श प्रक्रिया का पालन किया है। इसके लिए भारतीय विधिक मापविज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (आरआरएसएल), उद्योग जगत के विशेषज्ञों और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ) के प्रतिनिधियों वाली एक तकनीकी समिति का गठन किया गया था। साथ ही, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को मसौदे की जांच करने तथा वैज्ञानिक और तकनीकी इनपुट प्रदान करने के लिए साथ जोड़ा गया।

नियमों के मसौदे को निर्माताओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, सिटी गैस वितरण (सीजीडी) कंपनियों और राज्य विधिक मापविज्ञान विभागों सहित हितधारकों के बीच व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था और उनके सुझावों के आधार पर इसे अंतिम रूप दिया गया है।

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