नयी दिल्ली 11 अप्रैल (वार्ता) देश में कुपोषण की समस्या न केवल कम वजन वाले बच्चों तक सीमित है बल्कि यह एक विकराल चुनौती- मोटापे के रूप में भी सामने आ रही है जिससे निपटने के लिए पोषण पखवाड़ा 2025 में कम वसा, चीनी और नमक के भोज्य पदार्थों के सेवन पर जोर दिया जा रहा है।
पोषण पखवाड़ा का सातवां संस्करण आठ अप्रैल से शुरू हुुआ है जो 22 अप्रैल तक चलेगा। पोषण अभियान का मकसद तकनीक और परंपरा के तालमेल से बच्चों और महिलाओं के बीच स्वस्थ तथा पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना है। इस वर्ष पोषण पखवाड़ा 2025 बच्चे के जीवन के पहले एक हजार दिनों पर केंद्रित है, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए बेहद खाम समय होता है। पोषण पखवाड़ा स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन के मोटापे पर भी ध्यान केंद्रित करता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर पांच वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 में 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 3.4 प्रतिशत हो गया है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक समूह ने कहा है कि स्कूल कैंटीन में सभी हमेशा फल और सब्जियाँ जैसे खाद्य पदार्थ उपलब्ध होने चाहिए। स्कूल कैंटीन में मिष्ठान्न और तली हुई चीज़ें रखने की सलाह नहीं दी जाती है। स्कूल कैंटीन में हाइड्रोजनीकृत तेलों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों में शारीरिक गतिविधि अनिवार्य होनी चाहिए। स्कूल सुनिश्चित करें कि “जंक और फास्ट फूड” को पूरी तरह से स्वस्थ स्नैक्स में बदल दिया जाए। स्कूलों को कार्बोनेटेड और वात युक्त पेय पदार्थों की जगह जूस और डेयरी उत्पाद (लस्सी, छाछ, फ्लेवर्ड मिल्क आदि) देने का भी निर्देश दिया गया है।
एक अध्ययन के अनुसार कुपोषण सिर्फ़ कम वज़न वाले बच्चों के बारे में नहीं है, बल्कि यह ज़्यादा वज़न वाले बच्चों को लेकर भी है। जब भारत कुपोषण के खिलाफ़ अपनी लड़ाई लड़ रहा है। बच्चे ज़्यादा वसा, ज़्यादा चीनी, ज़्यादा नमक, कम ऊर्जा और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों के संपर्क में लगातार आ रहे हैं। देश के स्कूलों में वसा, नमक और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थों की खपत को कम करने और स्वस्थ नाश्ते को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि पोषण पखवाड़ा 2025 जागरूकता अभियान नहीं उससे कहीं ज़्यादा है। यह पोषण, एक माँ, एक बच्चा और एक समय में एक भोजन की व्यवस्था में बदलाव लाने का आंदोलन है। परंपरा को तकनीक के साथ जोड़कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाकर और समुदायों को शामिल करके, भारत एक स्वस्थ एवं मज़बूत पीढ़ी की दिशा में साहसिक कदम उठा रहा है।
पोषण पखवाड़ा 2025 महिलाओं और बच्चों पर मुख्य ध्यान केंद्रित करते हुए पौष्टिक भारत के निर्माण की दिशा में एक कदम है। केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय और विभाग, देश भर के आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ मिलकर समुदाय को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। इनमें प्रसवपूर्व देखभाल, उचित पोषण और नियमित स्वास्थ्य जांच को प्राथमिकता हैं।
सूत्रों ने बताया कि पोषण अभियान ने जीवन के पहले 1000 दिनों पर विशेष जोर दिया है, जो वास्तव में किसी भी बच्चे के लिए जादुई काल है। पोषण पखवाड़ा का मकसद परिवारों को मातृ पोषण, उचित स्तनपान के तरीकों और बचपन में पूर्ण विकास और एनीमिया को रोकने में संतुलित आहार की भूमिका के बारे में शिक्षित करना है।
ताजा आंकड़ों में कहा गया है कि 28 फरवरी 2025 तक सभी आंगनवाड़ी केंद्र पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन पर पंजीकृत हैं। पहली बार, पात्र लाभार्थी – गर्भवती महिलाएँ, स्तनपान कराने वाली माताएँ, किशोर लड़कियाँ और बच्चे (0-6 वर्ष) पोषण ट्रैकर वेब एप्लिकेशन के माध्यम से स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं।