सरकार की नजर वक्फ की संपत्ति पर: हुसैन

नयी दिल्ली 03 अप्रैल (वार्ता) राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुयी।

कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने केन्द्र में सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर देश में ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार यह विधेयक सिर्फ वक्फ की संपत्ति को हड़पने के लिए लेकर आयी है जबकि भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि इसका उद्देश्य वक्फ द्वारा किसी की संपत्ति पर दावा करने से रोकना और वक्फ की संपत्तियों का गरीब मुस्लिमों के उत्थान के लिए उपयोग करना है।

श्री हुसैन ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 पर चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि 1995 में और वर्ष 2013 में जब इससे जुड़े विधेयक लाये गये थे तब भाजपा ने समर्थन किया था। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा ने इसका क्यों समर्थन किया था और इसको सर्वसम्मति से पारित क्यों किया गया था। वर्ष 2009 में भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इससे जुड़ी एक समिति की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुये उसकाे लागू करने की बात कही थी। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार ने उस समित और सच्चर समिति की रिपोर्ट को मिलाकर संशोधन किया था और उसका भाजपा ने समर्थन किया था।

उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 तक केन्द्र में रही मोदी सरकार को यह समक्ष नहीं आया कि वक्फ कानून तुष्टीकरण वाला कानून है। वर्ष 2024 में जब भाजपा लोकसभा चुनाव में 400 सीटें नहीं जीत पायी और उसको 240 सीटें मिली तो इस संशोधन को लेकर आ गयी ताकि ध्रुवीकरण किया जा सके और धर्म की राजनीति की जा सके। उन्होंने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाला बताते हुये कहा कि वक्फ कानून को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सुयक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट को सदन में रखा जाना चाहिए कितने लोग विरोध में थे और कितने लोग पक्ष में थे यह पता चल सके। समिति की सिफारिशों में विरोधी सदस्यों की बातें नहीं है। समिति की बैठक में अनुच्छेदों पर चर्चा नहीं की गयी। समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश नहीं की बल्कि समर्थकों सदस्यों ने इसको जोर डालकर मंजूर कर दिया। यह सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सांसदों की सिफारिश थी।

उन्होंने कहा कि यह संशोधन संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि देश के सभी धर्माें के लिए एक समान कानून होनी चाहिए। सभी धर्माें के लिए कानून बनाया जाना चाहिए, लेकिन उससे पर्सनल लॉ बोर्ड को अलग रखा जाना चाहिए। एक समुदाय को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि दान के विचार हर धर्म में है। इस देश में हर धर्म के लिए अलग अलग कानून है। राज्यों में बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि सर्व आयुक्त सर्वे करता है। कलेक्टर उसको अनुमोदित करता है तो उसके बाद ही संपत्ति वक्फ की घोषित की जाती है।

इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुये कहा कि जो विवाद है वह इतना ही है कि जो न्यायाधिकरण के फैसले से असंतुष्ट होते हैं उनको सिविल में चुनौती देने का वक्फ कानून में अधिकार नहीं दिया गया है। न्यायाधिकरण का फैसला 99 प्रतिशत सही माना जाता है। जिसकी भूमि है उसको अपील करने का अधिकार नहीं है।

इसके बाद श्री हुसैन ने कहा कि सरकार की पूरी नजर वक्फ की भूमि पर है। देश में अलग अलग धर्म स्थल है। देश में दंगे फसाद कराने की कोशिश की जा रही है। सिर्फ वोट की राजनीति हो रही है। नया पोर्टल लाने की बात की जा रही है। सरकार मुसलमान पर निगरानी करना चाह रही है। वर्ष 2013 में तत्कालीन सरकार द्वारा राजधानी दिल्ली के लुटियन क्षेत्र में 123 संपत्तियों को वक्फ को सौंपने का उल्लेख करते हुये। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज लुटियन बना रहे थे तब यह भूमि दी गयी थी। इसको लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने यह भूमि वक्फ के नाम किया था।

भाजपा के श्री अग्रवाल ने कहा कि श्री हुसैन के राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने पर कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गये थे, जिसका भाजपा सदस्यों ने विरोध किया था और विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर देश के लिए यह गौरव का दिन है। गरीब मुसलमानों के लिए, पासमंदा मुसलमानों के लिए गर्व की बात है। क्रांतिकाकरी बदलाव होने जा रहा है। सामाजिक बदलाव लाने वाला है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की बुराईयों को लगातार हटाये जाता रहा है, लेकिन जब मुस्लिम समुदाय की बात होती है तो एक भी सुधार का काम नहीं किया गया है। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह ऐतिहासिक काम किया है।

मोदी जी ने 2047 तक देश की 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के विकास का सपना देखा है। वक्फ की संपत्तियों का सही उपयोग होगा तो गरीब मुसलमान की शिक्षा और बेहतरी के लिए उपयोग किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित पीएफआई की इकाई एसटीएफआई पूरे देश में इस विधेयक के विरोध में पर्चे बांट रही है। वक्फ वाय यूजर क्या है। अभी वक्फ भू माफिया की तरह काम कर रही है। वर्ष 1995 के कानून में यह प्रावधान है कि वक्फ जिसको चाहे अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है। न्यायाधिकरण के निर्णय के विरूध कोई अपील नहीं की जा सकती है।

उन्होंने कहा, “मैं संयुक्त संसदीय समिति का सदस्य रहा हूं। हिन्दू की भलमानसाहत है कि कुरान पढ़कर बताता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी जमीन वक्फ की बना दी गयी है। उत्तर प्रदेश में 74 प्रतिशत और तेलंगनाा में 50 प्रतिशत से अधिक संपत्ति सरकारी है। उन्होंने कर्नाटक में वक्फ की भूमि पर कब्जा किये नेताओं और अधिकारियों की सूची दिखाते हुये कहा कि वक्फ की संपत्तियों को अवैध तरीके से कब्जा किया गया है।

तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा कि यह विधेयक वक्फ का तात्पर्य ही बदल देगा। यह पुरानी रवायत को बदल देगा। इस पर सरकारी नियंत्रण स्थापित कर देगा। इससे लोगों में मायूसी और डर होगा। इसके प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है। इससे मुस्लिम समाज में असमंजस पैदा होगा। कई कब्रिस्तान , मदरसे और अन्य संस्थान अपनी जमीन खो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ कामकाज में सरकारी अधिकारियों को प्रमुखता मिलेगी और उन्हें असीमित अधिकार मिल जाएंगे। यह विधेयक संघवाद पर हमला कर रहा है और इसकी बुनियाद को हिला रहा है। शक्तियों का केंद्रीकरण कर रहा है।

द्रमुक के त्रिरुचि शिवा ने विधेयक का विरोध किया‌ और कहा कि विधेयक की मंशा ठीक नहीं है। यह सुधार नहीं है बल्कि कुछ धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का प्रयास है। मुस्लिम समाज के लिए दुख भरा दिन है। उन्होंने कहा कि यह संविधान में दिए गए मूल अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। इस विधेयक से धर्मनिरपेक्षता का ताना बाना बिगड़ रहा है। हमारा देश बहु भाषी और बहु संस्कृति वाला देश है। सरकार इसे समझ नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है लेकिन इस व्यवहार में नहीं लाती।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि यह हिंदुस्तान सबका है और अगर यह नहीं समझा तो नुकसान सबका है। उन्होंने कहा कि जो सरकार गला घोटने‌ पर उतारू हो जाये तो‌, वह सब की सरकार नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में दिए गए अधिकारों को छीना जा रहा है। यह विधेयक पूरी तरह से गैर संवैधानिक है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुसलमान की जमीनी पर कब्जा करने का प्रयास है। इस विधेयक पर किसी को खुश होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि किसी दिन भी सबका नंबर सकता है।

उन्होंने कहा कि यह सरकार पिछड़े मुसलमान का भला करने का दावा कर रही है, लेकिन यह सरकार देश और सदन को गलत जानकारी दे रही है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धार्मिक संस्थाओं में भी आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को यह विधेयक वापस लेना चाहिए।

बीजद के मुजीबुल्ला खान ने वक्फ की जमीन सरकारों के पास चले जाने की आशंका जतायी। उन्होंने विधेयक में पांच वर्ष तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाले मुस्लिम को ही बोर्ड में शामिल करने के प्रावधान पर भी आपत्ति जतायी।

राष्ट्रीय जनता दल के प्रो. मनोज झा ने कहा कि देश में जिस तरह का माहौल है उसमें यह विधेयक संदेह पैदा करता है। उन्होंने कहा कि देश में सभी धर्म के लोग घुल मिलकर रह रहे हैं लेकिन इन्हें अलग करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न संप्रदायों के बीच मतभेदों को बातचीत के जरिये ही सुलझाया जा सकता है। उन्होंने सभी धर्मों के संगठनो में अन्य धर्मों के लोगों को शामिल किये जाने पर भी आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि सरकार वंचित वर्गों की बात करती है लेकिन जातिगत जनगणना नहीं करा रही। उन्होंने विधेयक को फिर से समीक्षा के लिए भेजे जाने की मांग की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के डा.जॉन ब्रिटास ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसमें अलग अलग धर्मों के भगवानों को अलग करने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों के बहुमत का आरोप लगाया। उन्होंने इस विधेयक को वापस लेने की भी मांग की।

झामुमो के डा सरफराज अहमद ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय का भला नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड किसी की जमीन पर कब्जा नहीं कर रहा है।

शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने कहा कि सरकार को मुसलमानों के हित की इतनी चिंता क्यों हो रही है। इतनी चिंता तो बैरिस्टर मोहम्मद अली जिन्ना ने भी नहीं की थी। ऐसा लग रहा है कि जैसे मोहम्मद अली जिन्ना की आत्मा कब्र से उठकर प्रवेश कर गई है। उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करने वाले लोग थे, अब लग रहा है कि हिन्दू पाकिस्तान बनाने जा रहे हैं। जो विधेयक लाए हैं, उसका उद्देश्य साफ नहीं है। व्यापारी लोग ऐसा ही करते हैं और फिर सबकुछ बेचकर भाग जाते हैं। ये विधेयक देश के हित में नहीं है। सरकार फिर देश में तनाव उत्पन्न करना चाहते हैं और दंगे भड़काना चाहते हैं।

जनता दल – सेक्युलर – के एचडी देवेगौडा ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग रोकना है। इस विधेयक के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह संपत्ति दानदाताओं की दी हुई है और कुछ लोग इसका निजी हितों में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली बातों को भूलकर भविष्य की ओर देखना चाहिए और इसके उचित प्रबंध किए जाने चाहिए। जिससे यह संपत्ति आम जनता के काम में आ सके।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से दानदाताओं द्वारा दी गई संपत्तियों का संरक्षण होगा इसके लिए प्रधानमंत्री और उनके मंत्री बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का पूरा समर्थन करती है। अन्य राजनीतिक दलों से भी इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि विधेयक से वक्फ की संपत्तियों का भविष्य में संरक्षण होगा।

उन्होंने कहा कि सदन में प्रतिष्ठा और गरिमा बनाए रखनी चाहिए। इसकी जिम्मेदारी सभापति की ही नहीं बल्कि पक्ष और विपक्ष दोनों ओर की है।

कांग्रेस के डॉ. मनु अभिषेक सिंघवी ने कहा कि संविधान में जो दिया गया है, यह विधेयक उसे छीनने की कोशिश कर रहा है। इसमें संशोधन कम साजिश ज्यादा है । उन्होंने कहा कि जब कानून बराबरी का ना हो तो सत्ता की चालाकी बन जाता है। यह कानून नहीं बल्कि कानूनी भाषा में लिपटी हुई मनमानी है।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक हमारे संविधान के अनुच्छेद 26 और 25 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से देश में इस्लाम संप्रदाय की स्वायत्तता नहीं बचेगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून विरोधाभासों से भरा होगा और लोगों को अनावश्यक अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विधेयक पर फिर से विचार करना चाहिए अन्यथा इसे अगले कुछ वर्षों में असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा।

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण और विवादास्पद विधेयक है। उन्होंने कहा कि संसद में कई सदस्यों में विधेयक को लेकर असमंजस की स्थिति है और यह इस देश की जनता में भी जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विधेयक से संबंधित मुद्दों पर बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी धर्म के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। आम जनता सरकार से संतुष्ट नहीं है और जनता सरकार पर भरोसा नहीं कर रही है। सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर रही है और ना ही उन पर अमल कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर वक्फ की संपत्ति पर है। देश की व्यवस्था धीरे-धीरे अधिनायकवाद की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सारे अधिकार जिलाधीश को नहीं दिए जाने चाहिए।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि संसद कानून बनाने के लिए सर्वोच्च है। भारत को बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कानून में बदलाव की जरूरत है और यह विधेयक भी उसी कड़ी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वक्फ इतिहास का हिस्सा रहा है। समय के साथ इसमें बदलाव आवश्यक है और यही सुधार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से किसी भी व्यक्ति का कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार सबको साथ लेकर चलने वाली नीति पर चल रही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मजहब को एक समस्या बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

निर्दलीय कपिल सिब्बल ने कहा कि एक समय में गैर मुस्लिमों के लिए भी वक्फ का प्रावधान था। उन्होंने कहा कि दक्षिण के चार राज्यों में ही हिन्दू धार्मिक संस्थाओं के पास 10 लाख हेक्टेयर भूमि है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में भी सुधार लाये जाने की जरूरत है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आन्ध्र प्रदेश में तिरूपति मंदिर का प्रबंधन सरकार की देख रेख में किया जाता है।

आईयूएमएल के हारिस बीरन ने विधेयक को संविधान के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि विधेयक में स्वाभाविक न्याय की अनदेखी की गयी है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे एक राजनीतिक एजेन्डा है।

भारतीय जनता पार्टी के ब्रजलाल ने कहा कि यह विधेयक गरीब मुसलमानों की सहभागिता और सभी का सशक्तीकरण सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्फ बोर्ड में मुस्लिम समुदाय के अभिजात्य वर्ग का ही आधिपत्य रहा है। नये विधेयक में मुस्लिम समाज के हर वर्ग को भागीदारी दी जा रही है। उन्होंने वक्फ संपत्तियों की जांच किये जाने की मांग की। सदस्य ने कहा कि इस विधेयक के आने के बाद किसी की संपत्ति नहीं छीनी जा सकेगी।

कांग्रेस सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने विधेयक को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि संविधान कहता है कि देश में सभी बराबर हैं। सभी को अपने मजहबी कामों के लिए मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारे के निर्माण और रखरखाव का अधिकार है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री असत्य बोलते हैं, देश को गुमराह कर रहे हैं। वक्फ को लेकर असत्य फैलाया जा रहा है। वक्फ न्यायाधीकरण को ऐसे बताया जाता है जैसे मजहबी खाप पंचायत हो। उसमें भी तो सरकार के नियुक्त किए न्यायाधीश होते हैं। वक्फ बोर्ड खुद अपनी संपत्तियों के लिए मुकदमे लड़ रहा है। दिल्ली की जिन 123 संपत्तियों का जिक्र अल्पसंख्यक कार्य मंत्री और नेता सदन कर रहे थे, उसकी भी सच्चाई जानते हैं। 1911 में जब अंग्रेज राजधानी कोलकाता से दिल्ली लाए, तब रायसीना के आसपास की संपत्ति का अधिग्रहण किया गया। 1943 से 1945 के बीच समझौता हुआ और सुन्नी मजलिस के तहत संपत्तियां की गईं।

गृह मंत्री जिन संपत्तियों की बात कर रहे हैं, ये वही संपत्तियां है। इंदिरा गांधी ने बर्नी कमेटी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने ये संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपा।

उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद अदालत गया और 2011 तक मामला लंबित रहा। अदालत ने कहा कि इसका निपटारा करो और संप्रग सरकार ने ये संपत्तियां दिल्ली वक्फ को सौंप दिया जिसका जिक्र कर गृह मंत्री कांग्रेस को कोस रहे हैं। जिस विधेयक को ये मुस्लिमों के हित में बता रहे हैं, लोकसभा में इनके पास ये बताने के लिए एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। वक्फ की जमीनें भी देश की ही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी इबादतगाहें तो मत छीनिए, हमारी कब्रों में तो हमें सुकून से सोने दीजिए। बिल्किस के बलात्कारियों की रिहाई के बाद उन्हें माला पहनाने वाली पार्टी के नेता ये कह रहे हैं कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाएंगे। धन्यवाद मोदी जी, पहले गुजरात-ए-मोदी दिया अब सौगात-ए-मोदी दे रहे हैं।

इसी सदन में बड़ी बड़ी बातें नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) को लेकर कही गईं। दो हजार लोग भी नागरिकता लेने नहीं आए और 15 लाख लोग नागरिकता छोड़ गए। जब देश को सौगात-ए-मोदी मिलता है तो देश को वक्फ जैसा एक्ट मिलता है, इलेक्टोरल बॉन्ड मिलता है। ये सरकार रात के तीन बजे तक अपने ही नागरिकों को नीचा दिखाने के लिए जगाकर विधेयक ला रही थी तो अमेरिका टैरिफ लगा रहा था।

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि देश की बहुत बड़ी आबादी को ये लगता है कि सरकार उनका भला करने का नहीं, उनकी इबादतगाहों को कब्जाने का विधेयक लेकर आ रहे हैं तो ये सरकार नाकामी है। पहले समझाइए फिल विधेयक लाइए। वामसी पोर्टल देख लीजिए, सरकार का झूठ समझ आ जाएगा। संख्याबल के बल पर विधेयक पारित हो जायेगा। शंका को दूर करने के लिए तैयार नहीं है। ये उम्मीद की नहीं, नाउम्मीदी की किरण है। मुस्लिम नागरिकों को नीचा दिखाने का विधेयक है। अपने एक मतदाता वर्ग को खुश करने की कोशिश है जिन्हें इसके पारित होने से कुछ मिलेगा भी नहीं। सबका साथ के नारे को रत्तीभर तो चरितार्थ करिए।

तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि जब भी भाजपा हारेगी, हारेगी जरूर। हम जब सत्ता में आएंगे तो सबसे पहले इस विधेयक के असंवैधानिक प्रावधान हटाएंगे।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के के आर सुरेश रेड्डी ने कहा कि सुधार की जरूरत थी जो तो राज्यों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था। सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा कि दरगाहों पर 55 फीसदी हिंदू जाते हैं, मन्नतें मांगते हैं। इसके माध्यम से धर्मांतंरण को बढ़ावा देने के आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को दरगाहों पर जाने से रोकना चाहती है। बड़े-बड़े लोग जाते हैं, अडानी जी भी जाते हैं। देश के सेक्यूलर ताने-बाने के खिलाफ है यह है। तेलंगाना में आज भी कई लोग जुबानी, सादा बैनामा करते हैं। सरकार सुधार लाती है तो हम कागज की भी इज्जत करते हैं। इसको सरकार को वापस लेना चाहिए।

भाजपा के मनन कुमार मिश्र ने कहा कि देश के गरीब मुसलमानों के लिए सोचा गया है। विपक्ष को लगता है इस विधेयक के कानून बनने के बाद मुसलमानों का वोट भी भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिलेगा और ऐसा ही होगा क्योंकि गरीब मुसलमानों के लिए सिर्फ मोदी सरकार ही सोच सकती है।

शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के सदस्य मिलिंद देवड़ा ने कहा कि मुस्लिम समाज की जो डायवर्सिटी है वो आपको मुंबई में देखने को मिलेगी। केंद्रीय मंत्री रिजिजू के मुस्लिम समाज के सभी उप वर्ग से अच्छे संबंध हैं। गैर मुस्लिम हमसे कहते हैं कि हमने तुष्टिकरण नहीं चाहिए। उन्हें सुनहरा भविष्य चाहिए।

उन्होंने कहा “ फैशन बन गया है कि सरकार अल्पसंख्यक के खिलाफ है। लेकिन ऐसा नहीं है। 2014 में मोदी जी के सरकार में आने के तीन साल में धार्मिक अल्पसंख्यकों की नौकरी में बढ़ोतरी हुई है। जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के बाद से विकास हो रहा है। 370 हटने का सबसे ज्यादा फायदा कश्मीरी मुस्लिमों को हुआ। तीन साल के जम्मू-कश्मीर में प्रति व्यक्ति आय 1.20 लाख रुपये से 1.70 लाख रुपए हो गई।

एमडीएमके के वाईको और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पी पी सुनीर ने इस विधेयक का विरोध किया।

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