जनता के पैसे से जनता के लिए निर्मित पुल बना अनसुलझी पहेली

ग्वालियर चंबल डायरी
हरीश दुबे

शहर की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के मकसद से शहर के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ने के लिए विवेकानंद नीडम रेल ओवर ब्रिज बनकर तैयार है लेकिन अफसरान औपचारिक उद्घाटन के इंतजार में पुल पर आवागमन को जबरन रोक कर बैठे हुए हैं, उधर जनता के सब्र का बांध टूट रहा है। कई दिन के इंतजार के बाद जनता ने ही अनौपचारिक रूप से पुल का उद्घाटन कर दिया। 8 साल से बंद इस ओवर ब्रिज पर ट्रैफिक देख विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अफसरों ने पहुंच कर इसे फिर बंद कर दिया।

सवाल यही उठता है कि शहर में यातायात डायवर्सन, दूरी को कम करने और लोगों की सहूलियत के लिए 8 साल पहले जब यह ब्रिज बन गया तो आज तक इसे शुरू क्यों नहीं किया गया है। इस ब्रिज का निर्माण जनता के पैसे से जनता के लिए किया गया है, फिर भी इसे समय-समय पर नेताओं के निर्णय के आधार पर चालू और बंद किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है। कल बड़े जोरों से यह खबर चली कि शाम को पुल का शुभारंभ कर दिया जाएगा लेकिन अफसरों ने साफ कर दिया कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बहरहाल, पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से आज कहा गया कि स्ट्रीट लाइट लगने के बाद ही पुल जनता के लिए खुलेगा, फिर लम्बा इंतजार…तब तक जनता शहर का लम्बा चक्कर काटने के लिए मजबूर रहेगी।

समर नाइट मेला के लिए अब व्यापारी तैयार लेकिन प्राधिकरण उदासीन

समर नाइट मेला के लिए पहले तो व्यापारी ही तैयार नहीं थे, लिहाजा मेला प्राधिकरण भी उदासीन बना रहा लेकिन अब समर नाइट मेला में भागीदारी के लिए मेला व्यापारी संघ तैयार है लेकिन मेला प्राधिकरण की उदासीनता टूटने का नाम नहीं ले रही। अप्रैल शुरू हो गया लेकिन मेला प्राधिकरण ने इस ग्रीष्मकालीन मेला के आयोजन की दिशा में अभी तक सींक भी नहीं धरी है। स्थानीय स्तर पर समर नाइट मेला के लिए काफी दौड़ धूप करने के बाद जब व्यापारियों को कामयाबी नहीं मिली तो सीएम से लेकर सिंधिया, नरेंद्र सिंह, प्रभारी मंत्री और मेला प्राधिकरण के चेयरमैन की पदेन जिम्मेदारी संभाल रहे मिनिस्टर चेतन कश्यप तक को चिट्ठी पत्री लिखी गई है लेकिन अभी तक कहीं से भी पॉजिटिव जवाब नहीं मिला है।

लिहाजा समर नाइट अभी तक अधर में अटका हुआ है। बहरहाल, दो महीने का व्यापार मेला खत्म होने के बाद प्रशासन ने यहां हफ्ता भर तक पुस्तक मेला लगाया जिसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे। हालांकि पुस्तक मेला को स्कूलों के कोर्सेज की किताबों और स्टेशनरी तक सीमित रखा गया और करोड़ों की खरीदफरोख्त हुई लेकिन भविष्य में पुस्तक मेला के स्वरूप को और अधिक व्यापक बनाए जाने पर विचार हो रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ग्वालियर मेला परिसर में जयपुर साहित्योत्स्व जैसा आयाम गढ़ा जाएगा लेकिन फिलहाल तो मेला व्यापारियों की कोशिश यही है कि समर नाइट मेला अपने निर्धारित समय पर बिना किसी बाधा के लग जाए।

हजीरा डिस्पेंसरी ने शहर के अन्य अस्पतालों को पीछे छोड़ा

कहने को ग्वालियर में मेडिकल कॉलेज, एक हजार बिस्तर का विशाल अस्पताल, माधव डिस्पेंसरी और तमाम सिविल अस्पताल हैं लेकिन सुविधाओं और सहूलियतों के मामले में हजीरा की सिविल डिस्पेंसरी अब्बल नंबर पर आ गई है और यहां तमाम वे मेडिकल फैसेलिटीज मुहैया करा दी गई हैं जो शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं। इसका श्रेय जाता है यहां के विधायक और मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को।

उन्होंने पूरा ध्यान अपने विधानसभा क्षेत्र के अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त बनाने पर लगा दिया है। यही वजह है कि लश्कर व मुरार में रहने वाले मरीज भी बेहतर इलाज के लिए उपनगर ग्वालियर के इस अस्पताल में पहुंच रहे हैं। अपने दिवंगत बड़े भाई देवेन्द्र तोमर की याद में प्रद्युम्न ने यहां जनभागीदारी से कई प्रकल्प शुरू कराए हैं। अब यहां आमजन के लिए सीटी स्कैन की सुविधा भी रामनवमी के बाद प्रारम्भ हो जाएगी। उनका प्रयास है कि आईसीयू में भर्ती मरीजों को सभी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाये और जो थोड़ी बहुत असुविधा है, उसे भी तत्काल दुरस्त किया जाये।

सतीश को एमपी मानते हैं शेजवलकर

पिछले साल आमचुनाव के दौरान ग्वालियर संसदीय सीट से कांग्रेस की उम्मीदवारी के लिए विधायक सतीश सिकरवार का नाम जोर शोर से उछला था लेकिन सतीश को यहां के राजनीतिक समीकरणों का बखूबी अंदाजा था, यही वजह है कि वे खुद ही पीछे हट गए और टिकट मिला पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को। नतीजे से सब वाकिफ हैं। सतीश या प्रवीण एमएलए से एमपी नहीं बन पाए लेकिन उनकी प्रतिद्वंदी पार्टी कमल दल से सांसद और बुजुर्ग रह चुके बुजुर्ग नेता विवेक शेजवलकर सतीश सिकरवार को एमपी ही मानते हैं। बीते रोज एक कार्यक्रम में शेजवलकर ने सतीश को एमपी कहकर ही संबोधित किया। उपस्थित लोग उनके इस संबोधन से चौंक गए। तत्काल ही बुजुर्ग नेता ने संशोधन करते हुए कहा कि एमपी से उनका आशय महापौर पद से है, गौरतलब है कि विधायक सतीश की धर्मपत्नी इस समय महापौर पद की आसंदी संभाल रही हैं।

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