भोपाल निवासी अधिवक्ता अरविंद वर्मा की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण मध्य प्रदेश ने बिल्डर के खिलाफ कलेक्टर भोपाल के माध्यम से लगभग 20 लाख रूपये प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत ब्याज के साथ आरसीसी साल 2020 में जारी की थी। कलेक्टर द्वारा जारी आरआरसी का निष्पादन नहीं किये जाने के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए 60 दिनों में आरआरसी के निष्पादन के आदेश कलेक्टर भोपाल को जारी किये थे।
निर्धारित समय अवधि गुजर जाने के बावजूद भी कलेक्टर भोपाल ने जारी आरआरसी का निष्पादन नहीं करवाया। जिसके कारण हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट ने आरआरसी के निष्पादन के लिए तीस दिनों का समय प्रदान करते हुए अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता को दूसरी अवमानना याचिका दायर नहीं करना पडे। ऐसा होता है तो प्रथम व दूसरी अवमानना याचिका की लागत जिला कलेक्टर भोपाल से वसूली जायेगी।
हाईकोर्ट की स्पष्ट चेतावनी के बावजूद भी कलेक्टर भोपाल ने आदेश का पालन नहीं किया। जिसके कारण दूसरी बार अवमानना याचिका दायर की गयी है। एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कलेक्टर भोपाल को तलब किया था।याचिका की सुनवाई दौरान कलेक्टर भोपाल की तरफ से व्यक्तिगत उपस्थित माफी के लिए आवेदन दायर किया गया था।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि आदेश का पालन नहीं होने पर भोपाल कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे।पिछली सुनवाई के दौरान कलेक्टर की तरफ से बिल्डर के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उसकी प्रॉपर्टी को सीज कर नीलाम किया जा रहा है। नीलामी की रकम से याचिकाकर्ता को भुगतान किया जायेगा। एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए नीलामी प्रक्रिया के संबंध में न्यायालय को अवगत कराने के निर्देश दिये थे।