रायपुर 01 अप्रैल (वार्ता) छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत साय सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अंधेरे में रखकर कोरबा में विद्युत मंडल के 660 गुणा 2=1320 मेगावाट के दो संयंत्रो का शिलान्यास करवाया जबकि इस दोनों पावर प्लांटो का शिलान्यास हमारी सरकार के समय हमने ही किया था।
श्री बघेल ने मंगलवार को कहा कि उस समय ऊर्जा मंत्री पूर्व उप मुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव थे। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि हमने भूमि पूजन के पहले केंद्र की अनुमति लिया था व टेंडर हुआ था। अब सुशासन वाली सरकार ने फिर से उसी का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवा दिया। यह प्रधानमंत्री जैसे पद की गरिमा को गिराने वाला काम साय सरकार ने किया।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल व सांसद ज्योत्सना महंत भी उपस्थित थे।
श्री बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री जिन तीन लाख आवासों की चाबी सौंपने का काम किया। उसकी पहली किश्त भी बिलासपुर में हमारी सरकार ने डाला था। फिर इनका अपना क्या काम था? 18 लाख आवास की बाते करते है, लेकिन अभी तक नया कोई मकान स्वीकृत नहीं किया है।
नक्सलवाद पर पत्रकारों के सवालो का जवाब देते हुये श्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल के पांच सालो में नक्सली घटनाओ में 80 प्रतिशत कमी आई थी। हमारे शासनकाल में 600 से अधिक गांव नक्सल मुक्त हुये थे, हमने दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप बनाये, वहां पर रोजगार के साधन पैदा किया, सड़क बनाया, अबूझमाड में तीन पुल बनाये, अस्पताल, स्कूल बनाये, जिसके कारण लोगो का भरोसा हमने जीता था। स्वंय केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया था कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद तेजी से कम हुआ।
श्री बघेल ने कहा कि सबसे ज्यादा घटनायें पिछले 15 साल भाजपा की सरकार रही है। उस समय होता था और सभी पत्रकारों के बैग तैयार रहता था कि कब हेड आफिस से फोन आयेगा और समान लेकर के तुरंत बस्तर निकलना है चाहे कैमरा मेन हो या एंकर हो। कांग्रेस के शासनकाल में ये स्थिति नहीं थी। वर्ष 2018 से पहले छत्तीसगढ़ में पहला प्रश्न नक्सली के मामला में होता था चाहे प्रदेश स्तर, राष्ट्रीय स्तर या अंर्तराष्ट्रीय स्तर में हो। लेकिन हमारे शासनकाल में कभी किसी पत्रकार को याद आयेगा तब आखिरी में यह सवाल नक्सली के संबंधित होता था, तो पिछले पांच सालो में ये अंतर आया था। इससे स्पष्ट होता है कि अभी क्या स्थिति है और राजनैतिक हत्याये कितनी होती थी और मोहला मानपुर से लेकर चाहे झीरम में बड़े नेताओं के सामूहिक नरसंहार हुआ वो सारी घटनायें किसके संबंध थे। भाजपा कार्यालय में हफ्ता वसूली करने नक्सली आते थे, उस समय तत्कालीन गृहमंत्री का पर्ची भी मिला था। जो चंदा दिये उसका रसीद भी था।
श्री बघेल ने कहा कि सरकार शराब सस्ती कर लोगो को शराबी बना रही, कहते नई 67 दुकाने खोल रहे, जबकि 67 दुकान नहीं है, ज्यादा दुकाने है। क्योंकि जो अंग्रेजी शराब है वहां देशी बेचना शुरू कर दिये और जहां देशी शराब की दुकान थी वहां अंग्रेजी शराब बेचना शुरू कर दिये। प्रिमियम के लिये अलग दुकाने खोली जा रही है। सात सौ के डबल मतलब 1400 और 66 दुकान खोली जा रही है। एक ही विधानसभा में आठ दुकान खोली जा रही है और जो भी शराब दुकान है वह दो किलोमीटर के अंदर खोली जा रही है। जबरिया सरपंचो को दबाव डाले जा रहे है और वर्तमान सरपंच तैयार नहीं है तो पुराने सरपंच को बुला के कह रहे है कि जो पुराने प्रस्ताव है उसमें एक लाईन लिखने को कह रहे है तो ये भी दबाव डाला जा रहे है पुराने सरपंच को दबाव डाले जा रहे है। इसके लिये कोई भी सरपंच लिखने को तैयार नहीं है, न ही नये सरपंच और पुराने सरपंच एवं शराब के मामले में इसी प्रकार की शिकायतें बहुत आ रही हैं।