विपक्ष की आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक को गृह मंत्रालय की समिति में भेजे जाने की मांग

नयी दिल्ली 25 मार्च (वार्ता) विपक्षी सदस्यों ने आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक को बिना गहन विचार विमर्श के राज्यसभा में पेश किये जाने का आरोप लगाते हुए इसे समुचित विचार विमर्श के लिए गृह मंत्रालय की संबद्ध समिति में भेजे जाने की मांग की वहीं सत्ता पक्ष ने राज्य सरकारों पर राज्य के स्तर पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की बटालियनों का गठन न करने का आरोप लगाया।

पश्चिम बंगाल के रीताब्रता बनर्जी ने मंगलवार को सदन में विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक को बिना समुचित विचार विमर्श के पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने तथा उनके कारण पैदा होने वाली चुनौतियों के समाधान के बारे में गहन विचार विमर्श नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करता है और इसलिए इसे समीक्षा के लिए गृह मंत्रालय की संबद्ध समिति में भेजा जाना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक में राज्यों के वित्तीय अधिकारों को नजरंदाज किया गया है और राज्यों को केन्द्र की दया पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार आपदाओं के बाद राहत और बचाव अभियानों के लिए राज्य सरकारों को जरूरत के अनुरूप पर्याप्त राशि नहीं देती। उन्होंने कहा कि केन्द्र की ओर से गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया जाता है और पश्चिम बंगाल इसका उदाहरण है क्योंकि उसे आपदा प्रबंधन के लिए सात प्रतिशत की राशि का ही भुगतान किया गया है।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के आर गिरिराजन ने भी विधेयक में संघीय विषयों पर स्पष्टता का अभाव बताते हुए कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए और व्यापक विचार विमर्श के बाद सदन में लाया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यों को आपदा के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त राशि नहीं दी जाती। उन्होंने आपदा अधिकारों को कानूनी अधिकार बनाये जाने की मांग की।

कांग्रेस के नीरज डांगी ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों में अधिकारों के केन्द्रीकरण पर जोर दिया गया है और इसमें जवाबदेही की कमी है। उन्होंने कहा कि विधेयक में नये शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन नौकरशाही का हस्तक्षेप बढाने के लिए किया गया है जो अनावश्यक है। उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए चलाये जाने वाले राहत बचाव अभियानों में सरकारी एजेन्सियों तथा सरकारी विभागों के बीच तालमेल की कमी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आपदा राहत के लिए राज्य आपदा प्रबंधन कोष की पर्याप्त राशि जारी नहीं करती है। उन्होंने कहा कि विधेयक में संशोधन के बावजूद विषय विशेषज्ञों को शामिल किये जाने का प्रावधान नहीं किया गया है।

भारतीय जनता पार्टी के ब्रजलाल ने कहा कि आपदा प्रबंधन मूलत: राज्यों का विषय है और केन्द्र सरकार उन्हें इसके लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराती है। उन्होंने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए देश भर में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 16 बटालियन हैं जो आपदा की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में तैनात की गयी हैं।

भाजपा सदस्य ने कहा कि केन्द्र सरकार ने 19 राज्यों को अपने स्तर पर एनडीआरएफ की बटालियनों के गठन के लिए छह हजार करोड़ रूपये की राशि जारी की थी लेकिन अब तक केवल 15 राज्यों ने ही इस तरह की बटालियन बनायी हैं। उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक पुराने विधेयक में कमियों को दूर करने और राज्यों तथा केन्द्र सरकार की एजेन्सियों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए लाया गया है।

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