नयी दिल्ली 18 मार्च (वार्ता) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि देश में टीबी मामलों की दर में 17.7 प्रतिशत की गिरावट आई है और वर्ष 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से घटकर वर्ष 2023 में 195 हो गई है।
श्रीमती पटेल ने मंगलवार को यहां “भारत नवाचार शिखर सम्मेलन – टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान’’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि टीबी नियंत्रण में उल्लेखनीय प्रगति की गयी है और इसमें नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में पिछले दशक में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है और आप में से कई लोगों ने नवाचारों और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सभी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2015 में छूटे हुए मामलों की संख्या 15 लाख से घटकर 2023 में 2.5 लाख हो गई है। कार्यक्रम वर्ष 2023 और वर्ष 2024 में 25.5 लाख टीबी और 26.07 लाख मामलों को अधिसूचित करने में सफल रहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि भारत में टीबी मामलों की दर वर्ष 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से 17.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ वर्ष 2023 में 195 प्रति लाख जनसंख्या पर गयी है। टीबी से होने वाली मौतें वर्ष 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से वर्ष 2023 में 21.4 प्रतिशत घटकर 22 प्रति लाख पर आ गई हैं। उन्होंने बताया कि भारत में टीबी उपचार का दायरा पिछले आठ वर्षों में 32 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2015 में 53 प्रतिशत से वर्ष 2023 में 85 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘बेडाक्विलाइन’ युक्त एक छोटी और सुरक्षित पिलाई जाने वाली दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार व्यवस्था शुरू की गई है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि तीन स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरणों को मान्यता दी गयी है, जिससे टीबी स्क्रीनिंग के लिए कमजोर आबादी समूहों तक पहुंचना संभव हो गया है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि दवा प्रतिरोधी टीबी के निदान के लिए उन्नत और बेहतर उपकरणों की आवश्यकता है।