विपक्ष को भी कुंभ पर बोलने का देते मौका : राहुल-प्रियंका

नई दिल्ली, 18 मार्च (वार्ता) लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि इस आयोजन से सबकी भावनाएं जुड़ीं रही इसलिए विपक्ष को भी बोलने का मौका देने के साथ ही श्री मोदी को भगदड़ में मारे लोगों को भी श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी।

श्री गांधी ने यहां संसद भवन परिसर में पत्रकारों से महाकुंभ पर लोकसभा में श्री मोदी के संबोधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात का समर्थन करना चाह रहा था। कुम्भ हमारी संस्कृति है, हमारा इतिहास है-मगर प्रधानमंत्री को भगदड़ के मृतकों को श्रद्धांजलि भी देनी चाहिए थी। हमारी एकमात्र शिकायत यही है कि प्रधानमंत्री ने कुंभ में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि नहीं दी। महाकुंभ में गए युवा भी श्री मोदी से एक और चीज चाहते हैं, वह है रोजगार।”

लोकसभा में विपक्ष के नेता संसद में बोलने नहीं दिये जाने संबंधी विपक्ष के आरोप पर कहा, “हां हमें बोलने नहीं दिया जाता है। लोकतांत्रिक ढांचे के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष को बोलने का मौका मिलना चाहिए, लेकिन वे हमें बोलने नहीं देते। यह नया भारत है।”

श्रीमती वाड्रा ने कहा लोकसभा में विपक्ष को महाकुंभ पर बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर निराशा जताते हुए कहा पत्रकारों से कहा “प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के बारे में सकारात्मक तरीके से बात की, लेकिन विपक्ष की भी महाकुंभ के प्रति भावनाएं हैं। विपक्ष की बात सुनने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी। मुझे लगता है कि विपक्ष को महाकुंभ पर बोलने के लिए कम से कम दो मिनट का समय दिया जाना चाहिए था।”

कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, “जब बजट सत्र शुरू हुआ तो हम पहले दिन से ही कुंभ पर चर्चा की मांग कर रहे थे, लेकिन चर्चा का मौका नहीं दिया गया और हमारी मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया। आज प्रधानमंत्री ने बिना किसी पूर्व सूचना के कुंभ पर बयान दिया जबकि एक प्रक्रिया है कि सदन को इसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए। सदन को सूचित किए बिना अचानक प्रधानमंत्री ने आकर कुंभ के बारे में बयान दिया यह नियमों का उल्लंघन भी है। इसके पीछे क्या गोपनीयता है। विपक्ष के नेता भी इस बारे में अपनी बात कहना चाहते थे। यह सदन की परंपरा है, लेकिन सरकार का व्यवहार पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। विपक्ष के नेता को बोलने की अनुमति नहीं दी जाती और प्रधानमंत्री बिना पूर्व सूचना के अपना वक्तव्य देते हैं। वे शायद सदन सुचारूढंग से नहीं चलाना चाहते हैं।”

गौरतलब है कि श्री मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ के समापन पर उसके सफल आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “विविधता में एकता भारत की विशेषता है और हमने प्रयागराज में इसे बड़े पैमाने पर देखा।” श्री मोदी ने इस भव्य धार्मिक समागम की व्यापक तैयारियों और निर्बाध क्रियान्वयन की सराहना की और कहा कि इस आयोजन में दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं, संतों और पर्यटकों ने भाग लिया।

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