मध्य प्रदेश में डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुटे प्रदेश भाजपा के संगठन पुरुष
मिलिंद मुजुमदार
इंदौर: लोकसभा चुनाव में पहले दो चरणों के मतदान के फाइनल आंकड़े आने के बाद संघ के मुख्यालय नागपुर और दिल्ली के केशव कुंज में जबरदस्त हलचल है। सूत्रों के अनुसार सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले तथा संघ और भाजपा के बीच समन्वय देख रहे हैं सह सरकार्यवाह अरुण कुमार पूरे चुनावी अभियान का खुद फीडबैक ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार संघ ने अपनी सभी 11 क्षेत्रीय इकाइयों को अगले चरणों के संबंध में पूरी तरह से मैदान में आने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों को कहना है कि मध्य क्षेत्र इकाई के मुख्यालय समिधा ने भी अपनी सभी चारों प्रांतीय इकाइयों को सक्रिय कर दिया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव का मोर्चा नवनियुक्त अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक विस्पुते और नए क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी के हाथों में हैं। प्रदेश भाजपा भी बची हुई 17 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्येक सीट के हिसाब से अलग-अलग रणनीति बना रही है। प्रदेश भाजपा पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है। पार्टी की कोशिश है कि अगले दो चरणों में ज्यादा से ज्यादा मतदान हो सके।
प्रदेश की पांच सीटों पर कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही
प्रदेश में भाजपा नेतृत्व को छिंदवाड़ा, मंडला, सतना, राजगढ़ और रतलाम – झाबुआ सीट पर कड़े मुकाबले का फीडबैक है। सूत्रों का कहना है कि पहले दो चरणों की छिंदवाड़ा, मंडला और सतना की सीटों पर भाजपा को चिंता है। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस ने अच्छी टक्कर दी है। सतना में कांग्रेस के प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा अपने आप में बहुत ताकतवर हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के नारायण त्रिपाठी के कारण भी भाजपा को नुकसान हुआ है। मंडला की सीट पर फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी थी। मंडला के लिए विशेष रूप से राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने तीन दिनों तक कैंप किया था। सूत्रों का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद मंडला की सीट फंसी हुई सीटों की श्रेणी में है। छिंदवाड़ा में कमलनाथ फिर करिश्मा करने की स्थिति में है। अगले दो चरणों की सीटों में भाजपा को राजगढ़ और रतलाम- झाबुआ का टेंशन है।
ग्वालियर चंबल अंचल की मुरैना सीट पर नीटू सिकरवार भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर के मुकाबले मजबूत हैं लेकिन यहां बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है। ग्वालियर में सतीश सिकरवार और शोभा सिकरवार के अलावा राज्यसभा सांसद अशोक सिंह का भी पूरा सहयोग कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को नहीं मिल रहा है। जबकि भिंड और गुना में भाजपा अच्छी स्थिति में है। भोपाल, होशंगाबाद, विदिशा, दमोह, सागर जैसी सीटों को भाजपा पूरी तरह से सेफ मान रही है। दूसरे चरण के मतदान वाली सीटों में से राजगढ़ को लेकर भाजपा खास तौर पर चिंतित है क्योंकि यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। वे यहां सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।चौथे चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान होगा उनमें केवल रतलाम झाबुआ में भाजपा को टेंशन है। अन्यथा इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, खंडवा, खरगोन, धार और देवास सीट पर भाजपा आसानी से जीत दर्ज करने की स्थिति में है। मालवा और निमाड़ अंचल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की आपसी खींचतान भी कांग्रेस के लिए नुकसानकारी साबित हो रही है।
अमित शाह की विधायकों को चेतावनी
इधर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कम मतदान के लिए खास तौर पर विधायकों को जिम्मेदार माना है। सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने कहा है कि जिन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में कम मतदान होगा इसका संज्ञान लिया जाएगा। यही नहीं कम मतदान वाले क्षेत्रों के मंत्री गण अपने पद से हाथ धो सकते हैं। उनके स्थान पर उन विधायकों को लाया जाएगा जिनके यहां मतदान का प्रतिशत अच्छा रहा है। दो चरणों में जो 10 सबसे कम मतदान वाली सीटें हैं, उनमें 9 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। इनके अलावा करीब 12 मंत्री ऐसे हैं जिनके क्षेत्रों में कम मतदान हुआ है। इनमें संस्कृति राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र लोधी और पंचायत मंत्री राधा सिंह सबसे ज्यादा चिंता में हैं क्योंकि इन दोनों के क्षेत्रों क्रमश: जबेरा (दमोह) और चितरंगी (सीधी) में 11.26 और 13.18 फ़ीसदी मतों की गिरावट आई है। कुल मिलाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की चेतावनी के बाद प्रदेश भाजपा में हडक़ंप की स्थिति है। खास तौर पर विधायकों को अब सक्रिय होना पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय नेतृत्व को यह फीडबैक था कि भाजपा के अधिकांश विधायक लोकसभा चुनाव में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसी फीडबैक के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को सीधी चेतावनी दी