नयी दिल्ली, (वार्ता) भारत के खिलाफ ऊंचा आयात शुल्क लगाने की कार्रवाई करने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प की धमकियों के बीच स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने सरकार से अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करते हुए किसानों और लघु उद्योगों के हितों की रक्षा करने की अपील की है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एसजेएम की राष्ट्रीय परिषद की रायपुर में सोमवार को सम्पन्न दो दिवसी बैठक में परित प्रस्ताव में कहा गया है कि इस समय दुनिया में वैश्विक एकीकरण के विपरीत हवा चल रही है ऐसे में सरकार को अपने राष्ट्र के हित को सर्वोपरि रखने और देश के किसानों और लघु उद्योगों की रक्षा करने की जरूरत है।
एसजेएम की यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, “
पूरा विश्व भू-आर्थिक विखंडन के दौर से गुजर रहा है और इस परिदृश्य में सफलता की कुंजी एसजेएम के दर्शन पर आधारित ‘राष्ट्र प्रथम’ की नीति है।”
प्रस्ताव में भारत के देशभक्त नागरिकों से आग्रह किया गया है कि अब समय आ गया है कि उन्हें जहां भी घरेलू उत्पादन, कृषि और औद्योगिक दोनों उपलब्ध हों, हमें भारतीय उत्पादों का ही उपयोग करना चाहिए।
एसजेएम की राष्ट्रीय परिषद ने नागरिकों को आयुष का उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है ताकि पेटेंट दवाओं पर निर्भरता कम हो सके।
विज्ञप्ति के अनुसार एसजेएम का यह भी मानना है और वह इसकी वकालत भी करता है कि जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना तथा गांवों के नेतृत्व में विकास करना भारत के लिए आर्थिक विकास का सही मार्ग होगा।
प्रस्ताव में एसजेएम ने भारतीय रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास की सराहना की है, हालांकि, संगठन ने कहा है , “ सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए कि विदेशी मुद्रा और स्विफ्ट जैसी भुगतान प्रणाली को दबाव की रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति न दी जाए।”
एसजेएम ने कहा है , “ अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया भर के कई देशों से आयात पर उच्च टैरिफ (पारस्परिक आधार पर) लगाने के अपने इरादे की घोषणा करके वैश्विक मुक्त व्यापार प्रणाली पर सीधा हमला किया है।” बयान में कहा गया है कि इसका उद्देश्य अमेरिका में विनिर्माण को वापस लाना है ताकि बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सके।
एसजेएम ने कहा है, “ अगर हम इतिहास में जाएं, तो यह अमेरिका और उसके सहयोगी ही थे जिन्होंने दुनिया को मुक्त व्यापार की ओर धकेला था, खासकर विश्व व्यापार संगठन के आगमन के साथ, नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली की शुरुआत की।”
लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इसके साथ ही नयी प्रणाली में देश-विशिष्ट के खिलाफ, अपनी इच्छा के अनुसार ऊंचे प्रशुल्क लगाने का एक अलग अधिकार हासिल कर लिया।
बयान में कहा गया है कि स्वदेशी जागरण मंच के व्यापक विरोध के बावजूद, भारत में तत्कालीन सरकार ने बिंदीदार रेखाओं पर डब्ल्यूटीओ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
संगठन ने कहा है कि 1990 के दशक से यह धारणा जोर पकड़ रही है कि उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की नीति ही दुनिया के लिए, खासकर विकासशील देशों के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है, हालांकि स्वदेशी जागरण मंच हमेशा ऐसे उदारीकरण और वैश्वीकरण के खिलाफ रहा है, जैसा कि प्रस्तुत किया जा रहा है।