
डॉ. विधि शाह, कंसल्टेंट, ब्रेस्ट ऑन्को सर्जन, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई
स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। बढ़ती जागरूकता और मेडिकल प्रौद्योगिकी में लगातार प्रगति स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के जीवित रहने की दर में काफी सुधार लाने में योगदान दे रही है। बीमारी का जल्द से जल्द निदान इलाज की सफलता के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। बीमारी का समय रहते पता लगने से जल्द से जल्द इलाज किए जा सकते हैं और मरीज़ ठीक होने की संभावना बढ़ती है। महिलाओं के लिए, स्तन टिश्यूज़ में किसी भी बदलाव या असामान्यता का पता लगाने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका स्तनों का स्व-परीक्षण है।
स्तन स्व-परीक्षण की भूमिका को समझना
स्तन स्व-परीक्षण (Breast self-examination) यानी नियमित रूप से अपने स्तनों की जांच करके स्तन टिश्यू में बदलाव या असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है। स्तनों का सही निरीक्षण और उन्हें सही स्पर्श करके उनके आकार में बदलाव, त्वचा में बदलाव या निप्पल से स्राव आदि का पता लगाया जा सकता है, यह सभी स्तन कैंसर के संभावित लक्षण हैं। मासिक धर्म चक्र के 7-10 दिन बाद, स्तन की स्व-परीक्षा करने के लिए सबसे अच्छा समय होता है, इस अवधी के दौरान स्तन कम से कम सूजे हुए और कोमल होते हैं।
हेल्थ प्रैक्टिशनर द्वारा क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन और मैमोग्राम स्तन कैंसर के निदान की पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन स्तन स्व-परीक्षण महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को स्वयं संभालने में सक्षम बनाता है। बीमारी का जल्द से जल्द पता लगने से स्तन कैंसर का इलाज संभव है और इलाज के सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना को बढ़ाता है। कभी-कभी स्व-परीक्षण में गांठ या असामान्यताएं डॉक्टर से भी पहले पाई जा सकती हैं, जल्द से जल्द इलाज शुरू किए जा सकते हैं।
बीमारी का जल्द से जल्द पता लगने के लाभ
स्तन कैंसर का जल्द से जल्द पता लगने से इलाज के परिणामों में काफी ज़्यादा सुधार हो सकते हैं। बीमारी का पता शुरूआती चरणों में लगने पर किए जाने वाले इलाज के विकल्प कम आक्रामक होते हैं, जिसकी वजह से इलाज के अच्छे परिणाम मिलने की संभावनाएं बढ़ती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि स्तन कैंसर का शुरूआती चरणों में पता लगने पर मरीज़ के जीवित रहने की दर 90% से अधिक है, जबकि बाद के चरणों में, जीवित रहने की दर कम हो जाती है।
स्तन स्व-परीक्षण के बारे में आम गलतफहमियां
स्तन स्व-परीक्षण काफी फायदेमंद होने के बावजूद, कई महिलाएं अभी भी इसे करने में पीछे हैं, इसकी वजह हैं गलतफहमियां और डर। सबसे पहले, कई महिलाएं मानती हैं कि स्तन स्व-परीक्षण से सभी प्रकार के स्तन कैंसर का पता लगाया जा सकता है। हालांकि स्तन स्व-परीक्षण में शुरूआती लक्षणों का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भी एक सच है कि कुछ स्तन कैंसर महसूस नहीं होते हैं या बम्प के रूप में दिखाई नहीं देते हैं, और स्तन टिश्यू के भीतर इतने गहरे होते हैं कि उन्हें मात्र स्पर्श से समझना मुश्किल होता है। इसका मतलब है कि स्तन स्व-परीक्षण के साथ-साथ नियमित क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्ज़ाम और मैमोग्राम करवाने चाहिए।
एक और गलतफहमी यह है कि स्तन स्व-परीक्षण केवल उन महिलाओं द्वारा किया जाना चाहिए जिनके परिवार में पहले किसी को स्तन कैंसर हुआ हो। आंकड़ें दर्शाते हैं कि स्तन कैंसर से पीड़ित अधिकांश महिलाओं के परिवार में ऐसी बीमारियों का कोई इतिहास नहीं होता है। परिवार में पहले किसी को स्तन कैंसर हुआ हो या नहीं, हर महिला को स्तन स्व-परीक्षण को एक आदत बना लेना चाहिए।
स्तन कैंसर और नियमित स्व-परीक्षण के बारे में जागरूकता:
जागरूकता और किसी भी बीमारी या असामान्यता को जल्द से जल्द पहचानना स्तन कैंसर के बोझ को कम करने के सबसे महत्वपूर्ण तरीके हैं। महिलाओं को न केवल स्व-परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, बल्कि स्तन कैंसर के संकेतों और लक्षणों के बारे में भी जागरूक होना चाहिए। महिलाओं के लिए 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जाम और मैमोग्राम के लिए नियमित रूप से डॉक्टरों के पास जाना चाहिए। अगर जोखिम ज़्यादा है तो उसके पहले जाना चाहिए।
मेडिकल कम्युनिटी महिलाओं को स्तन स्व-परीक्षण के महत्व के बारे में सिखाने, उन्हें करने का तरीका दिखाने और किसी भी चिंता या प्रश्न का समाधान करने के लिए उत्सुक है। व्यक्तिगत जिम्मेदारी, सामुदायिक समर्थन, काम की जगह पर समर्थन और सोशल मीडिया अभियान के साथ स्तन स्वास्थ्य के बारे में भरोसेमंद चर्चा की जा सकती है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य पहल को बढ़ावा देगी।
स्तन कैंसर डरावना लग सकता है, लेकिन स्तन स्व-परीक्षण के ज़रिए जल्द से जल्द इसका पता लगाना जीवन रक्षक हो सकता है। स्तन स्व-देखभाल के संबंध में महिलाओं को सशक्त बनाकर और स्व-परीक्षण की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करके, स्तन कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाने की संभावनाओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जा सकता है। जागरूकता, स्व-परीक्षण और समय पर प्रोफेशनल जांच इन सब को मिलाकर जान बचाने के लिए आदर्श प्रयास किए जा सकते हैं। कैंसर का जल्द से जल्द पता लगना इसके खिलाफ़ लड़ने का एक सबसे बड़ा हथियार है।
