नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार; विधान सभा चुनाव साधने की कवायद शुरू

पटना 26 फरवरी (वार्ता) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल के विस्तार के तहत मिथिलांचल से चार और पूर्वांचल से एक समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोटे से सात विधायकों को मंत्री बनाकर इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में हर वर्ग को साधने की कवायद शुरू कर दी है।

राजभवन में बुधवार को मंत्री पद की शपथ लेने वालों में दरभंगा नगर से विधायक संजय सरावगी, नालंदा के बिहारशरीफ से विधायक डॉ. सुनील कुमार, दरभंगा के जाले से विधायक जीवेश मिश्रा, मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से विधायक राजू कुमार सिंह, सीतामढ़ी के रीगा से विधायक मोतीलाल प्रसाद, अररिया के सिकटी से विधायक विजय कुमार मंडल और अमनौर से विधायक कृष्ण कुमार मंटू शामिल हैं।

मिथिलांचल में भाजपा का अहम चेहरा माने जाने वाले दरभंगा नगर विधायक संजय सरावगी पांच बार से लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं। वर्ष 1969 में जन्मे श्री सरावगी पहली बार फरवरी 2005 में विधायक बने और इसके बाद अक्टूबर 2005 तथा 2010 में भी दरभंगा विधानसभा सीट से चुनाव जीते। वर्ष 2010 में उन्होंने अपने निकटतम राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उम्मीदवार को 26 हजार मतों के अंतर से हराकर अपनी जीत सुनिश्चित की।

श्री सरावगी ने वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व महापौर ओम प्रकाश खेरिया को 7000 मतों के अंतर से हराया। उनकी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए अप्रैल 2018 में उन्हें बिहार विधानसभा की प्रकल्प समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से दरभंगा सीट से राजद प्रत्याशी अमरनाथ गामी को 10 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। वर्ष 2022 में उन्हें विधानसभा का सचेतक बनाया गया।

बिहारशरीफ से भाजपा विधायक डॉ. सुनील कुमार का जन्म 20 जनवरी 1957 को नालंदा जिले में हुआ था। वे एमबीबीएस डिग्री धारक हैं और वर्ष 1995 में राजनीति में आने से पहले एक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने 2006 में फिल्म निर्माण में भी कदम रखा और तीन भोजपुरी फिल्में बनाई। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं और वह बिहारशरीफ से निर्वाचित होते रहे हैं।

वह बिहार विधान सभा के चार बार सदस्य रह चुके हैं। वे बिहारशरीफ सीट से वर्तमान विधायक हैं। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2005 में लड़ा और राजद नेता सैयद नौशादुन्नबी उर्फ पप्पू खान को हराकर जीत हासिल की। वह वर्ष 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर लड़े और विजयी रहे। जून 2013 में जदयू द्वारा भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद वर्ष 2015 और 2020 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

डॉ. कुमार अपने कार्यकाल के दौरान अपनी सतर्कता और जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं। वर्ष 2022 में उन्होंने बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हुए धन के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने तीन तालाबों के पुनर्विकास के नाम पर खर्च किए गए 72 करोड़ रुपये की अनियमितता को उजागर किया, जो कि शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवंटित किए गए थे। उनकी यह सक्रियता उन्हें एक जागरूक और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित करती है।

नवनियुक्त मंत्रियों की कड़ी में 25 जुलाई 1973 को जन्मे जीवेश मिश्रा का राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से शुरू हुआ, जहां वे 1981 से 1998 तक सक्रिय सदस्य रहे। वर्ष 1998 से 2002 तक वे भाजपा के प्राथमिक सदस्य रहे और 2002 से भाजपा के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने 2015 में पहली बार जाले विधानसभा सीट से जीत हासिल की और 2020 में पुनः इसी सीट से 21,796 मतों के अंतर से विजयी हुए।

श्री मिश्रा 16 नवंबर 2020 से 09 अगस्त 2022 तक सातवें नीतीश मंत्रिमंडल में श्रम संसाधन विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रहे। अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने पार्टी संगठन और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विधायक और मंत्री के रूप में उनकी भूमिका प्रदेश की नीतियों और विकास में अहम रही है।

मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से विधायक राजू कुमार सिंह ने वर्ष 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन, ​​उन्होंने हाल ही में अन्य दो विधायकों के साथ वीआईपी से नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गए।

श्री सिंह ने राजनीति में अपने करियर की शुरुआत तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से की। वह पहली बार फरवरी 2005 में लोजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते। इसके बाद अक्टूबर 2005 में वह जदयू, वर्ष 2010 में जदयू और वर्ष 2015 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए।

सीतामढ़ी जिले के रीगा से दो बार के भाजपा विधायक मोतीलाल प्रसाद ने आज नीतीश मंत्रिमंडल में जगह पाई है। वह पहली बार रीगा से वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जीते लेकिन वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव हार गए। इसके बाद वर्ष 2020 के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की।

अररिया में 01 जनवरी 1965 को जन्मे विधायक विजय कुमार मंडल ने पहली बार वर्ष 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में अररिया सीट से जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने 112,284 वोट प्राप्त किए और 63.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ विजयी रहे। इसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी सीट बरकरार रखी। वर्ष 2009 के उपचुनाव में वे लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए। यह उपचुनाव अररिया लोकसभा क्षेत्र से प्रदीप कुमार सिंह के सांसद चुने जाने के कारण हुआ था।

श्री मंडल ने वर्ष 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर सिकटी विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की। उनकी राजनीतिक यात्रा विभिन्न दलों के साथ जुड़कर बिहार की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने की रही है।

सारण जिले के अमनौर से विधायक कृष्ण कुमार मंटू का राजनीतिक जीवन बहुत ही छोटी उम्र में एक छात्र नेता के रूप में शुरू हुआ। बाद में उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में अपने गांव बनौटा के मुखिया के रूप में पंचायती राजनीति में कदम रखा। धीरे-धीरे वे एक प्रभावशाली क्षेत्रीय नेता (बाहुबली) के रूप में पहचाने जाने लगे और कई मौकों पर स्थानीय प्रशासन और राजनेताओं से टकराव में आए।

श्री मंटू की राजनीतिक यात्रा में एक बड़ा मोड़ तब आया जब वे श्री प्रभुनाथ सिंह के करीबी सहयोगी बन गए, जिन्होंने उन्हें राज्य की सक्रिय राजनीति में प्रवेश दिलाने में मदद की। श्री प्रभुनाथ सिंह के समर्थन से वह वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और श्री सुनील कुमार को 10 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराकर विधायक बने। लेकिन वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के शत्रुघ्न तिवारी से हार का सामना करना पड़ा।

वहीं, वर्ष 2020 में उन्होंने जदयू छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने राजद के सुनील कुमार को हराकर दूसरी बार विधायक बनने में सफलता हासिल की।

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