मुंबई, 25 फरवरी (वार्ता) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत की आर्थिक वृद्धि में बंदरगाह, नौवहन और लॉजिस्टिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए आज कहा कि यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है और इसे और अधिक मजबूत एवं कुशल बनाने की जरूरत है।
श्री गोयल ने मंगलवार को यहां बंदरगाह, नौवहन और लॉजिस्टिक्स पर आयोजित 12वें द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि देश में जहाज निर्माण के अपार अवसर मौजूद हैं और सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों पर विचार कर रही है। उन्होंने उद्योग जगत से सुझाव मांगे कि भारत में जहाजों की आवाजाही को अधिक आकर्षक कैसे बनाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत के पास कैबोटेज नीति का लाभ उठाने और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) नियमों के तहत भारतीय ध्वज वाले जहाजों में आयात को बढ़ावा देने का अवसर है लेकिन देश में पर्याप्त संख्या में भारतीय ध्वज वाले जहाज नहीं हैं। उन्होंने राज्य और केंद्र स्तर पर नीतियों में सुधार के सुझावों का स्वागत किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में पिछले दशक में बंदरगाह क्षमता को दोगुना किया गया है और जहाजों के टर्नअराउंड समय में काफी कमी आई है। हालांकि, उन्होंने लॉजिस्टिक्स सिस्टम को और अधिक सुदृढ़ बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने बताया कि भारत का 95 प्रतिशत व्यापार बंदरगाहों के माध्यम से होता है और 7500 किलोमीटर लंबा समुद्री तट व्यापार को और विस्तार देने में मदद कर सकता है। लेकिन, इसके लिए बंदरगाहों पर लॉजिस्टिक्स सिस्टम को अधिक अनुकूल और उन्नत बनाने की आवश्यकता है।
श्री गोयल ने नाविकों की बढ़ती मांग को देखते हुए हाइब्रिड प्रशिक्षण मॉडल अपनाने का सुझाव दिया, जिससे नए युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापारिक उथल-पुथल के बावजूद भारत एक स्थिर और उभरती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत आगे भी प्रगति करता रहेगा और वैश्विक व्यापार में अपनी भूमिका को और सशक्त बनाएगा।
उन्होंने समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को विकसित भारत की रीढ़ करार देते हुए निर्यात की गति तेज करने, कंटेनर निर्माण को बढ़ावा देने, भीड़भाड़ कम करने और लॉजिस्टिक्स सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया।