० जिले के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार की जांच में घिरे कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ सालों से राजनैतिक और आर्थिक दबाव के चलते धूल खा रही हैं लंबित जांच की फाईलें
नवभारत न्यूज
सीधी 20 फरवरी। जिले के विभिन्न विभागो में भ्रष्टाचार की जांच में घिरे कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ सालों से राजनैतिक और आर्थिक दबाव के चलते लंबित जांच की फाइलें धूल खा रही हैं। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सत्ताधारी नेताओं के दबाव में भ्रष्ट कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई नहीं हो रही है?
जिले में भ्रष्टाचार को लेकर आरईएस विभाग में अग्निकांड के दोषी के खिलाफ कार्यवाई न होना, ग्राम पंचायत खोरी में भ्रष्टाचार की जांच में घिरे सचिव को पुन: पंचायत का प्रभार सौंपना, जिला अस्पताल की दोषी सिविल सर्जन के जांच में दोषी होने के बाद भी कार्यवाई नहीं होना के साथ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिक्षाकर्मी के अवैध नियुक्ति मामले में जांच प्रतिवेदन सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाई न करना काफी सुर्खियों में बना हुआ है। यह सभी मामले लंबे समय से चर्चित हैं और जिम्मेदार अधिकारी इन पर कार्यवाई करने की बजाय गोलमाल जवाब देकर अपना पल्ला झाडऩे में लगे हुये हैं। वहीं जानकार मानते हैं कि राजनैतिक और आर्थिक दबाव के चलते गभीर मामलों की जांच फाइलें धूल खा रही हैं।
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केस नं.1- आरईएस अग्निकांड के दोषी के खिलाफ नहीं हुई कार्यवाही
आरईएस विभाग में करोड़ो के भ्रष्टाचार का मामला जब सामने आया तो इसमें तत्कालीन ईई हिमांशु तिवारी के साथ ही दो प्रभारी एसडीओ को निलंबित कर जांच शुरू की गई। भ्रष्टाचार की जांच में फंसे विभाग के संविदा ऑपरेटर जिसकी भूमिका भी काफी गंभीर बताई जा रही है, उसके द्वारा विभागीय डीडी, चेक एवं महत्वपूर्ण कागजों को आग के हवाले कर दिया गया। इस पर जांच शुरू हुई लेकिन अग्निकांड के दोषी के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई।
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केस नं.2- भ्रष्टाचार की जांच में घिरे सचिव को पुन: मिला खोरी पंचायत का प्रभार
अनियमितता की जांच में घिरे सचिव को फिर से जनपद पंचायत सिहावल अंतर्गत ग्राम पंचायत खोरी का प्रभार दे दिया गया। हैरत की बात तो यह है कि खोरी पंचायत का अतिरिक्त प्रभार पाने वाले कौशलेन्द्र द्विवेदी पूर्व से ही गंभीर जांचो में फंसे हुये हैं। उनके विरूद्ध प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के यहां प्रकरण दर्ज है। वहीं फर्जी ग्राम सभा, 5वें व 15वें वित्त से 5 से 6 लाख रूपये के जांच के आदेश हैं। श्री द्विवेदी धारा 420, 409, 34 आईपीसी में जेल भी जा चुके हैं।
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केस नं.3- जांच में दोषी सिविल सर्जन के खिलाफ नही हुई कार्यवाही
जिला अस्पताल की प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.दीपारानी इसरानी के विरूद्ध हुई जांच में वह दोषी पायी गयी। वित्तीय अनियमितताओं समेत अन्य मामलों में दोषी मिलने के बाद उनके विरूद्ध जांच शुरू हुई, जिसमें उनसे जवाब लिया गया। जांच करने वाले अधिकारियों द्वारा जवाब लेने के बाद हुई अनियमितताओं पर कार्यवाई करने की बजाय पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में कैद कर दिया गया है। प्रभारी सिविल सर्जन के विरूद्ध विभागीय अधिकारी कार्यवाई करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं।
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केस नं.4- डीईओ कार्यालय में धूल खा रही अवैध नियुक्तिे की जांच
जनपद पंचायत रामपुर नैकिन में शिक्षाकर्मी के अवैध नियुक्ति का मामला सामने आने के पश्चात हुई जांच में आरोप पुख्ता पाया गया है। विडम्बना यह है कि चुरहट एसडीएम के जांच प्रतिवेदन पर वर्षों बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी सीधी कार्यवाई करने में हीला-हवाली कर रहे हैं। जबकि इस चर्चित मामले में तत्कालीन जनपद सदस्य श्रीमती रमा पाण्डेय द्वारा जांच कमेटी में शामिल होकर स्वयं अपनी नियुक्ति शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के लिये कर लिया गया था। इस मामले में सत्तापक्ष के दबाव पर मामले को ठंडे बस्ते में डाला गया है।
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सत्ता के संरक्षण प्राप्त भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ होगा आंदोलन: ज्ञान
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ज्ञान सिंह का कहना है कि सत्ता के संरक्षण प्राप्त भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ कार्यवाई गंभीर मामलो मेंं भी नहीं की जा रही है। पुलिस, राजस्व, स्वास्थ्य, पंचायत के मामलों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है। यदि भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाहों के खिलाफ कार्यवाई नहीं हुई तो कांग्रेस पार्टी जल्द ही आंदोलन करेगी।
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