
भोपाल, मध्यप्रदेश के श्रम विभाग ने औद्योगिक और असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों को आगामी एक अप्रैल से 25 प्रतिशत अधिक मजदूरी देने का आदेश दिया है। राज्य में वर्ष 2014 के बाद पहली बार मजदूरों का “वेज रिवीजन” किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि श्रमिक दरों में की गई बढ़ोतरी से श्रमिकों की जिंदगी में व्यापक बदलाव आयेगा। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग मजदूरों के कल्याण और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसी दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय आने वाले समय में भी लिए जाएंगे। श्री पटेल ने कहा कि नियम अनुसार प्रति 5 वर्ष में वेज रिवीजन होना चाहिए, लेकिन वर्ष 2014 के बाद यह नहीं हुआ था।
श्रम विभाग के अनुसार श्रमिकों को देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि और जनवरी से जून 2019 के औसत अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर 1 अक्टूबर 2019 से देय परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को न्यूनतम वेतन में जोड़कर नई न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई हैं। यह अखिल भारतीय उपभोक्तार मूल्य सूचकांक 311 पर आधारित कर संबंद्ध की गई है। नई न्यूनतम वेतन दरों के प्रभावशील होने पर अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 9 हजार 575 रुपए प्रतिमाह हो जाएगा।
इसी तरह अर्द्धकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 10 हजार 571 रुपए प्रतिमाह होगा। कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 12294 जबकि उच्च कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 13919 रुपए प्रतिमाह हो जाएगा। श्रमिकों की वेतन दरें लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा निर्मित औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्तार मूल्य सूचकांक जनवरी 2019 से जून 2019 के आंकड़ों के औसत पर आधारित है।
कृषि श्रमिकों को देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि तथा लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा निर्मित अखिल भारतीय कृषि श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के औसत के आधार पर 1 अक्टूबर 2019 से देय परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को न्यूनतम वेतन में जोड़कर नई न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई है। नई न्यूनतम वेतन दरों के प्रभावशील होने पर कृषि श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 7660 रुपए प्रतिमाह हो जाएगा। इसी प्रकार बीड़ी श्रमिकों एवं अगरबत्ती श्रमिकों के वेतन में भी देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। न्यूनतम वेतन की दरें किसी भी श्रमिक पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगी। अगर वर्तमान वेतन की दरें संशोधन दरों से अधिक है तो वह किसी भी दशा में कम नहीं की जाएंगी,जब तक की न्यूनतम वेतन की दरें उसके समकक्ष नहीं हो जाती हैं।