घटना में हुई थी आठ व्यक्तियों की मौत, गंभीर रूप से झुलसे थे 18 व्यक्ति
जबलपुर। न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में हुई आठ व्यक्तियों की मौत के मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। याचिका में आरोप लगाये गये थे कि नियम विरूध्द तरीके से निजी अस्पताल के संचालन की अनुमति प्रदान की गयी है। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता द्वारा पूछे गये 14 प्रश्नों का जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने सरकार को एक सप्ताह का समय प्रदान किया है।
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि नियमों को ताक में रखकर संचालित न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्नि हादसे में हुई आठ व्यक्तियों की मौत हो गयी थी। आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाये थे। कोरोना काल में विगत तीन साल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गयी है। जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया है। जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी है। बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र नहीं होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गयी है। भौतिक सत्यापन किये बिना अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गयी है।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गयी एक्शन टेकन रिपोर्ट में बताया गया था कि अस्पताल का निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों की टीम के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है। तत्कालीन सीएमएचओ को एक इंक्रीमेंट रोकने की सजा से दंडित किया गया है। युगलपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वह सजा से संतुष्ट है, इस संबंध में हलफनामे के साथ जवाब पेश करे। मुख्य सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में पेश किये गये हलफनामा में कहा गया कि उक्त सजा पर्याप्त नहीं है। सजा के संबंध में रिव्यू किया जा रहा है। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि तत्कालीन सीएमएचओ केे खिलाफ पुनः विभागीय जांच के निर्देश जारी किये गये है।
याचिकाकर्ता की तरफ से 14 प्रश्नों का जवाब सरकार से मांगा गया था। याचिकाकर्ता ने अस्पताल अग्निकांड में संभागायुक्त द्वारा की गयी जांच में दोषी पाये गये सरकारी शासकीय व्यक्तियों, जनवरी 2022 से पूर्व पंजीकृत किये गये अस्पतालों की सूची तथा पंजीयन जारी करने से पूर्व निरीक्षण करने वाले शासकीय लोक सेवकों की सूची, कलेक्टर के निर्देश पर गठित समिति द्वारा की किन-किन अस्पतालों का निरीक्षण किया गया और जांच में पाई गई कमियां सहित अन्य बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। सरकार ने जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह करते हुए बताया कि अगली सुनवाई में महाधिवक्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होगे।