टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा का सेमिनार
इंदौर: वित्त मंत्री द्वारा हाल ही में प्रस्तुत बजट में इनकम टैक्स के साथ जीएसटी एवं कस्टम के प्रावधानों में भी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गए है. साथ ही एमएसएमई का अर्थव्यवस्था में योगदान को देखते हुए इसको बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टमेंट एवं टर्नओवर की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया गया है. इन सभी परिवर्तनों को परिभाषित करने एवं उनके प्रभाव को समझने के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया.
एडवोकेट अंकुर अग्रवाल ने सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि सरकार द्वारा शीध्र ही जीएसटी में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम एवं लागू किया जा रहा है. इसके साथ ही किसी एक पैन पर एक से अधिक रजिस्ट्रेशन होने पर कुछ कॉमन सर्विसेज के लिए हेड ऑफिस द्वारा इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन लेकर प्रत्येक रजिस्ट्रेशन पर उस क्रेडिट को बाटने के प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से लागू किये जा रहे है. उक्त दोनों सिस्टम को लागू करने के लिए इस बजट में कुछ प्रावधान लाये गए है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सफारी रिट्रीट केस में जीएसटी एक्ट के सेक्शन 17 के सब सेक्शन (5) के क्लॉज़ (डी) में प्रयुक्त शब्द प्लांट अथवा मशीनरी की व्याख्या कर ऐसे व्यावसायिक भवन आदि जिन्हें बनाकर किराये पर देने की दशा में प्रयुक्त इनपुट्स पर चुकाए गए जीएसटी की टैक्स क्रेडिट निर्धारित शर्तों पर देने का निर्णय किया गया था. इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बहुत अधिक लाभ मिलने वाला था, परन्तु प्रस्तुत किये गए बजट में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अप्रभावशील करने के लिए जीएसटी कानून में 1 जुलाई 2017 से परिवर्तन करने का प्रस्ताव है, फलस्वरूप सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार व्यापरियों को मिलने वाली राहत सरकार ने वापस ले ली है. इस कारण से बिल्डर्स को अब किराये पर दी जाने वाली बिल्डिंग के निर्माण पर क्रेडिट लेने की पात्रता नहीं रहेगी. उन्होंने एमएसएमई के सम्बन्ध में बात करते हुए बताया कि अब एमएसएमई को परिभाषित करने के लिए निवेश की सीमा ढाई करोड़ एवं टर्नओवर की सीमा को बढाकर 10 करोड़ कर दिया गया है जिससे एमएसएमई सेक्टर को फायदा होगा.
रियल एस्टेट सेक्टर को राहत से वंचित किया
सीए कृष्ण गर्ग ने बताया कि बजट में ऐसे प्रावधान लाये गए है जिसके अनुसार सप्लायर द्वारा क्रेडिट नोट जारी करने पर उसके द्वारा पूर्व में किये गए टैक्स के भुगतान की क्रेडिट उसे तभी मिलेगी जबकि उसके प्राप्तकर्ता ने उस क्रेडिट नोट से सम्बंधित क्रेडिट वापस कर दी हो. अध्यक्ष सीए जेपी सराफ ने एमएसएमई की सीमा को बढ़ाने का स्वागत किया. उन्होंने किराये पर दी जाने वाली सम्पति के निर्माण पर क्रेडिट पर रोक लगाने के प्रावधानों को पुरानी तिथि से प्रभावी करने के सरकार के निर्णय को निराशाजनक बताया. उन्होंने कहा कि सरकार से इतने समय से लड़ाई के बाद मिली रहत को सरकार ने प्रावधानों में एक शब्द का परिवर्तन करके रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत से वंचित कर दिया. कार्यक्रम में सी ए गोविन्द अग्रवाल, उमेश गोयल, निखिल जैन, नवीन खंडेलवाल, योगेश तलवार एवं बड़ी संख्या में कर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट उपस्थित थे. आभार प्रदर्शन एडवोकेट गोविन्द गोयल ने किया