ठेकेदार एवं प्रशासन के ऑखों में धूल झोंक रहा रेत खदानों का स्टाफ, रोजाना लाखों का वारा-न्यारा
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 8 फरवरी। जियावन क्षेत्र के रेत खदानों में एक ही ईटीपी के आड़ में बड़ा खेला हो रहा है। खदानों में लगे ठेकेदार स्टाफ ही ठेकेदार को भी जहां चुना लगा रहे हैं। वही शासन को भी आर्थिक क्षति पहुंचाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।
दरअसल सूत्र बता रहे हैं कि जिले के सीमावर्ती रेत खदानों में ईटीपी के आड़ में खूब खेला खेला जा रहा है। जानकार बताते हैं कि एक ही ईटीपी से संबंधित वाहन दो से तीन बार चक्कर खदान से लगाता है। ईटीपी के अवधी करीब 10 घंटे से अधिक का रहता है। वही रेत वाहन ईटीपी के साथ चलता है और इसी के आड़ में दो से तीन चक्कर लगा लेता है। इसमें रॉयल्टी की भी बचत हो रही और रेत खदानों में कार्य करने वाले को अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है। हालांकि यह मुनाफा रेत खदानों में कार्य करने वाले कर्ताधर्ताओं के जेब में जा रहा है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसका फायदा ठेकेदार के साथ-साथ म.प्र. सरकार को भी नही हो रहा है। रेत का यह खेल कुछ महीनों से चल रहा है। लेकिन अभी तक इसपर नजर किसी की नही पड़ रही है। सूत्र यह भी बताते हैं कि खदानों में कार्य करने वाले रेत लोडिंग स्टाफ इसके मास्टरमाईंड हैं और मुख्य ठेकेदार इस संदिग्ध काम-काज से अंजान है। बताया यहां तक जा रहा है कि रेत खदानों से परिवहन करने वाले वाहन चालको को ईटीपी का प्रिंट भी नही उपलब्ध कराया जाता, बल्कि वाहन चालको को उनके मोबाईल में ही ईटीपी दे दी जाती है। जिसके कारण रेत से लदे भरे वाहन की जांच पड़ताल भी नही हो पाती। हालांकि पुलिस भी इस जानकारी से अछूती नही है। उसे सब कुछ पता है। परन्तु आवक-जावक के चलते पुलिस भी ऐसे भरे रेत वाहनों पर नजरे फेरती रहती है। जिसके कारण रेत का खेल खेला जा रहा है। वही यह भी जानकारी मिल रही है कि खनिज विभाग के अमले को इस सुनियोजित कारोबार के बारे में भलीभांति जानकारी नही है। जिसका फायदा रेत खदानों में कार्य करने वाले संविदाकार का स्टाफ उठा रहा है। फिलहाल जियावन एवं कर्थुआ क्षेत्र में रेत का खेल इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है और इसको लेकर कई तहर की चर्चाएं की जा रही हैं।
बहरी-सीधी में परिवहन किया जा रहा रेत
सूत्र बताते हैं कि रेत का खेल बड़े ही सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। इसकी भनक किसी को न लगे। ऐसा खेल खेला जा रहा है। बताया जाता है कि खदानों से ईटीपी की समयावधि 10 से 14 घंटे तक के लिए बनाई जाती है और रेत परिवहन यूपी के प्रयागराज या गोरखपुर तथा एमपी के रीवा में परिवहन करने की ईटीपी रहती है। किन्तु उक्त रेत को सीधी व बहरी के आसपास तय ग्राहको के यहां परिवहन कर दिया जाता है। जहां केवल अधिकतम 2 से 3 घंटे का वक्त लगता है। शेष ईटीपी में जो समय बचा रहता है। उसी ईटीपी के सहारे फिर से उसी खदान में पहुंंच रेत लोडकर अपने तय स्थान पर परिवहन कर देते हैं। इस तरह से कम से कम दो से तीन चक्कर एक ही वाहन हाईवा चक्कर लगाता रहता है। इसमें रॉयल्टी की बचत होती है और स्टाफ को अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।
इन खदानों में चल रहा रेत का खेल
सूत्रों के मुताबिक ईटीपी के आड़ में रेत का खेल में खाकी वर्दी पर जहां सवाल उठाया जा रहा है। वही सूत्रों के मुताबिक जियावन थाना क्षेत्र के मजौना, कारी, जियावन के साथ-साथ चितरंगी थाना क्षेत्र के रेही से हो रहा है। यहां लोड होने वाले कई हाईवा वाहन रेत का बड़ा खेला कर रहे हैं। यदि एक-एक वाहनों की विधिवत जांच करा दी जाये तो उनके भेद खुल जाएंगे। जगह-जगह लगे सीसीटीव्ही कैमरे की जांच हो। तो सब कुछ सच्चाई का पता चल जाएगा कि संंबंधित ट्रक या हाईवा वाहन कितने बार रेत खदानों से चक्कर लगाते हैं। हालांकि अभी यातायात चौकी झोंखो में सीसीटीव्ही कैमरा नही लगा है। जिसका फायदा भी ट्रक वाहन भी उठा रहे हैं। केवल चुनाव के वक्त यातायात चौकी बैरियर पर सीसीटीव्ही कैमरा लगाये जाने की मांग की जाने लगी है।