विवाद और घोटालों से मंदिर का बजट गड़बड़ाया

दानदाताओं ने भी पीछे खींचे हाथ, नए प्रशासक से छवि सुधारने की उम्मीद
ढाई सौ करोड़ सालाना आय, खर्च अनाप-शनाप

उज्जैन: आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली कहावत तो सभी को पता है, कभी आर्थिक स्थिति से जूझने वाला महाकाल मंदिर अब ढाई सौ करोड़ का आंकड़ा भी पार कर चुका है. महाकाल लोक लोकार्पण के बाद धड़ल्ले से अब तक जो दान राशि आ रही थी, उसमें आए दिन विवादों, घपले घोटाले से विपरीत असर पड़ा है.नवभारत ने महाकाल मंदिर में प्रचलित गतिविधियों, योजनाओं, निर्माण कार्यों से लेकर दान राशि व अन्य आय के साधनों और खर्च को लेकर जब पड़ताल की तो सामने आया कि सालाना आय तो अब तक अच्छी खासी होती आई है, बावजूद इसके जो खर्च किया जा रहा है वह न सिर्फ अनाप-शनाप है बल्कि गैर जरूरी भी है.

बॉक्स ने किया डब्बा गोल
महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु आस्था के साथ बाबा का प्रसाद भी खरीदते हैं और अपने घर तक ले जाते हैं. करोड़ रुपयों का लड्डू श्रद्धालुओं द्वारा जो खरीदा जाता है वह प्रसाद पैकेट में प्राप्त होता है. लड्डू प्रसाद के पैकेट पर पहले महाकाल बाबा और मंदिर का चित्र छपा हुआ था जो हाई कोर्ट में लगी याचिका के बाद हटा दिया गया और नए फैशनेबल डिब्बे में प्रसाद बेचा जा रहा है. अब नए बॉक्स से 30 लाख रुपए का फटका महाकाल मंदिर को अतिरिक्त पहुंच रहा है।

फ्लेक्स से मिल रहा कमीशन?
महाकाल मंदिर में सालाना जो गतिविधियां होती है, उसके प्रचार प्रसार के लिए फ्लेक्स होर्डिंग पूरे शहर भर में चस्पा किए जाते हैं. यही नहीं अब तो सरकारी योजनाओं और अन्य गतिविधियों के फ्लेक्स होर्डिंग्स भी महाकाल मंदिर द्वारा लगाए जाने लगे हैं. साथ ही देश भर के वीआईपी मंदिर आते हैं तो उनके फ्लेक्स भी मंदिर द्वारा छपवाया जाकर लगाए जाते है, हालत यह है कि 10-20 से 40-50 लाख रुपए तक के होर्डिंग्स महाकाल मंदिर द्वारा लगाए जाने लगे हैं. जिसको लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर यह फ्लेक्स कौन बनवा रहा है, किसके माध्यम से बना रहे हैं. बताया जा रहा है कि फ्लेक्स की आड़ में जिम्मेदारों को अच्छा खासा कमीशन पहुंच रहा है.

नए वित्तीय वर्ष का बजट हो रहा तैयार
आम बजट जहां जारी हो चुका है वहीं मध्य प्रदेश सरकार का बजट भी मार्च में आने वाला है. इधर विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भी नए वित्तीय वर्ष के बजट को लेकर तैयारियां का दौर प्रारंभ हो गया है. इसी दौरान जब आय और व्यय का गुणा भाग किया गया तो पता चला कि दान राशि, दर्शन पूजन अभिषेक, भस्म आरती आदि में घोटाले के जो चर्चा आम हुए हैं उसे मंदिर की छवि पर विपरीत असर पड़ा है. ऐसे में बजट ब- मुश्किल बनाया जा रहा है जिसमें फाइले खंगालना पड़ रही है.

कलेक्टर – प्रशासक लें संज्ञान
सूत्रों का कहना है जो अब तक बाबा महाकाल के मंदिर में मुक्त हस्त से दान देते आए हैं उनके नाम नंबर भी जिम्मेदार अफसरो को खंगालने चाहिए कि उन्होंने क्यों और कब से कहने के बावजूद दान नहीं किया, आखिर क्यों दानदाताओं ने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं. मंदिर के जिम्मेदारों ने ही कई दानदाताओं को हाल फिलहाल राशि देने से इनकार कर दिया है. इसको लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से लेकर नए प्रशासक प्रथम कोशिश से अब जनता को आस है कि इस पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेकर वे मंदिर की इनकम बढ़ाने और अनाप-शनाप खर्चों को बंद करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे

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