रायपुर, 27 जनवरी (वार्ता) छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में 76वें गणतंत्र दिवस का आयोजन इस बार इतिहास में खास दर्ज हुआ। वह गांव, जो कभी नक्सलियों के खौफ और आतंक के साए में जीने को मजबूर थे, अब शांति और विकास की नई राह पर चल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित नक्सल उन्मूलन अभियान की जबरदस्त सफलता के चलते गांवों में सुरक्षा और विश्वास का नया माहौल बनने से इस बार 26 गांवों में पहली बार ग्रामीणों ने तिरंगा फहराया और पूरे उत्साह से गणतंत्र दिवस मनाया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा संचालित नक्सल उन्मूलन अभियान ने बस्तर संभाग में सुरक्षा और विकास की नई कहानी लिखी है। इस अभियान के अंतर्गत बस्तर के अंदरूनी और सुदूर इलाकों में सुरक्षा केंद्र स्थापित कर शांति बहाल की गई है। इन गांवों में कभी नक्सलियों का प्रभाव इतना गहरा था कि लोग राष्ट्रीय पर्व तो दूर, सामान्य जीवन भी भय के साए में जीने को मजबूर थे। अब, नक्सल उन्मूलनअभियान के प्रयासों से वहां न केवल शांति स्थापित हुई है, बल्कि स्थानीय लोगों में एक नई उम्मीद जगी है।
गौरतलब है कि बीते एक वर्ष में छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कुल 26 नए सुरक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन सुरक्षा केंद्रों ने न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि इन क्षेत्रों को विकास केंद्र का स्वरूप दिया है। बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जिलों के इन गांवों में ग्रामीणों ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और पूरे उत्साह से इस पर्व में भाग लिया।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन सुरक्षा केंद्रों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
गौरतलब है कि बीजापुर जिले में गुंडम, फुटकेल, छुटवाही, कोंडापल्ली, ज़िडपल्ली, वाटेवागु, कर्रेगट्टा, पीड़िया, नारायणपुर जिले में कस्तुरमेटा, मसपुर, ईरकभट्टी, मोहंदी, होरादी, गारपा, कच्चापाल, कोड़लियार, सुकमा जिले में टेकलगुड़ेम, पुवर्ती, लखापाल, पूलनपाड़, तुमालपाड़, रायगुडेम, गोलाकुंडा, गोमगुड़ा, मेंट्टागुड़ा तथा कांकेर जिले में पानीडोबीर सुरक्षा कैंप बीते एक सालों में स्थापित किए गए हैं।