अभी और सड़कों पर दिखेगा आवारा जानवरों का झुंड
फैक्ट फाइल
85 एकड़ में होना था निर्माण
68 से 70 करोड़ रुपए के आसपास लागत
नहीं हो पाया है भूमि पूजन
जबलपुर: शहर की सड़कों और गलियों में इधर-उधर घूमते आवारा जानवरों को व्यवस्थित करने के लिए जिला प्रशासन, नगर निगम और पशु पालन विभाग ने संयुक्त रूप से गौशाला प्रोजेक्ट लॉन्च किया था, जिसमें छह हजार जानवरों को रखने का दावा किया गया था। जिसके लिए निगम ने रांझी के आगे उमरिया में 85 एकड़ की खाली पड़ी जमीन को आरक्षित किया था, जिसमें कुल खर्च 68 से 70 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन इस प्रोजेक्ट का अभी तक भूमि पूजन नहीं हो सका है। अगर जनप्रतिनिधि और अधिकारी गण चाह ले तो शासन से राशि भी स्वीकृत हो जाएगी लेकिन माननीयों का कार्यक्रम गौशाला प्रोजेक्ट के संबंध में बन ही नहीं पा रहा है। शहर से बाहर बन रहे गौशाला प्रोजेक्ट के संबंध में चर्चा तक नहीं होती है। जिसके चलते तकरीबन 70 करोड़ का गौशाला प्रोजेक्ट खटाई में पड़ चुका है।
ऐसी बनाई गई थी रूपरेखा
सूत्रों की माने तो लगभग 68 से 70 करोड़ की लागत से बनने वाली आधुनिक गौशाला में 33 सेट बनाए जाने थे। जिसमें कम से कम छह हजार गौ वंश रखे जाने थे। यह गौशाला पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरे से लैस बनाई जानी थी। गौवंश की निगरानी के लिए पशु विभाग को वेटरनरी स्टाफ मुहैया कराना था, लेकिन गौशाला का निर्माण नहीं होने से यह प्रोजेक्ट तो जमींदोज हो गया। शहर को आवारा जानवरों से मुक्ति मिलने की संभावना पर भी विराम लग गया है।
बहुत पहले की गई थी घोषणा
मध्य प्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड के द्वारा कुछ वर्षों पहले जबलपुर, टीकमगढ़, मंदसौर और भोपाल जैसे जिलों में निराश्रित गौवंश पशुओं के लिए गोवंश विहार बनाए जाने की चर्चा थी। इसके लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों को भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश भी दे दिए गए थे। लेकिन काम शुरू होने का दावा हवा हवाई साबित हो रहा है। सूत्रों की माने तो नगर निगम विभाग के पास फंड नहीं होने के कारण यह प्रोजेक्ट अभी अधर में लटक चुका है।
इनका कहना है
गौशाला रांझी के आगे बनाई जानी थी लेकिन अभी इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है भविष्य में इसके शुरू होने की संभावना है। अभी इसका भूमि पूजन भी नहीं किया गया है।
शैलेंद्र मिश्रा, कार्यपालक यंत्री, नगर निगम
