कड़ी मशक्कत और निर्णायकों की कई रोज तक चली माथापच्ची के बाद ग्वालियर भाजपा में अंतत: जिलाध्यक्ष का नाम न सिर्फ तय हो गया बल्कि तत्काल घोषणा भी हो गई। केंद्रीय मंत्री सिंधिया और स्पीकर नरेंद्र सिंह से लेकर सांसद भारत सिंह और पवैया तक अपने अपने खास समर्थक को जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाना चाहते थे लेकिन बाजी मार ले गए पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा। वीडी अपने खास नजदीकी जयप्रकाश राजौरिया (जेपी) को जिलाध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे। हालांकि अपने मनपसंद नाम पर पार्टी की मोहर लगवाने के लिए उन्हें कुछ ज्यादा ही मेहनत करना पड़ी। राजौरिया के नाम पर स्थानीय स्तर पर सर्वसम्मति कराने और मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में उनकी नियुक्ति की घोषणा कराने के लिए वीडी शर्मा को खुद ग्वालियर आना पड़ा। मंडल अध्यक्षों की घेराबंदी की गई।
शहर के एक होटल में वीडी ने निवर्तमान अध्यक्ष अभय चौधरी और राजौरिया को बिठाकर कुछ गलतफहमियां दूर की और रात गहराते से पहले ही ग्वालियर के प्रभारी प्रदीप लारिया ने राजौरिया के नाम का ऐलान कर दिया। इससे पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने खेमे के रामेश्वर सिंह भदौरिया को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन स्थानीय समीकरणों में रामेश्वर का नाम फिट नहीं बैठ पाया। सीधे संघ से जुड़े दो और वरिष्ठ नेताओं पारस जैन और शैलेंद्र बरूआ के नाम भी स्थानीय छत्रपों की तरफ से उछले लेकिन जयप्रकाश की दावेदारी ने इन्हें पीछे छोड़ दिया। कहा जा रहा है कि वीडी शर्मा सिर्फ ग्वालियर में अपना मनपसंद जिलाध्यक्ष चाहते थे और पार्टी ने उनकी इच्छा का मान रखा। जयप्रकाश राजौरिया कभी दिवंगत प्रभात झा के करीबी माने जाते थे। भाजयुमो की जिलाध्यक्षी संभालकर शहर की सियासत में पहचान बनाने वाले राजौरिया मप्र पाठ्यपुस्त्क निगम के उपाध्यक्ष के नाते सूबे की सत्ता में राज्यमंत्री का दर्जा भी हासिल कर चुके हैं।
शहर कांग्रेस में भी शुरू हुई नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट
भाजपा पिछले महीना भर से मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव की कवायद में व्यस्त थी, अब इधर कांग्रेस में भी नए जिलाध्यक्ष के लिए चहलकदमी शुरू हो गई है। पार्टी के एक पुराने नेता प्रेमनारायण यादव ने तो भोपाल में प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर जीतू पटवारी तक से मुलाकात कर ग्वालियर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर दावा ठोक दिया। शहर की सियासत में वे राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह के नजदीकी माने जाते हैं और प्रदेश संगठन में महासचिव की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। ग्वालियर कांग्रेस के सुनील शर्मा, महाराज सिंह पटेल और संजय सिंह राठौड़ जैसे बड़े नेताओं के नाम भी जिलाध्यक्ष पद की स्पर्धा में हैं, हालांकि सुनील और संजय को पार्टी की प्रदेश बॉडी में क्रमश: महासचिव व सचिव बनाया जा चुका है। एक और कार्यकारी जिलाध्यक्ष वीरसिंह तोमर भी जिले में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। मौजूदा जिलाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा को जिलाध्यक्ष पद पर सात वर्ष का लंबा समय बीत चुका है। हालांकि उनके कार्यकाल के प्रोफाइल में कई उपलब्धियां दर्ज हैं लेकिन अब नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
देर आए, दुरुस्त आए! मेला को मिल गई रोड टैक्स में छूट
लंबे इंतजार के बाद ग्वालियर व्यापार मेला में ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोड टैक्स में पचास फीसदी छूट का गजट नोटिफिकेशन जारी हो गया है। पिछली साल यह नोटिफिकेशन जनवरी के यह पहले हफ्ते में ही हो गया था लेकिन इस बार असाधारण देरी हो गई और रोड टैक्स छूट के लिए मकर संक्रांति की शाम तक इंतजार करना पड़ा। ट्रांसपोर्ट महकमा की मानें तो मेले में वाहन खरीदी पर छूट का लाभ मिलने में अभी तीन दिन का वक्त और लग सकता है। जाहिर है कि ऑटोमोबाइल व्यापारियों में नाराजगी है। उनका मानना है कि रोड टैक्स में छूट का निर्णय जब कैबिनेट में पहले ही ले लिया गया था तो गजट नोटिफिकेशन करने में जानबूझकर देरी की गई ताकि सरकार को राजस्व का ज्यादा नुकसान न हो। बहरहाल, देर आए, दुरुस्त आए। ग्वालियर मेला में हफ्ता भर पहले से ही शोरूम सजा कर बैठे वाहन डीलर्स प्रदेश सरकार का शुक्रिया जता रहे हैं।