मिलिंद मुजुमदार
इंदौर: गुजरात की तरह मध्य प्रदेश को भी भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व संगठन और हिंदुत्व की प्रयोगशाला मानता है। इस वजह से मध्य प्रदेश के चुनाव अभियान पर भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की कड़ी निगाहें हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद या सुनिश्चित कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश के सभी निष्क्रिय या नाराज नेता चुनाव मैदान में उतर जाएं। ऐसे नेताओं को चिन्हित कर उन्हें चेतावनी दी जा रही है। 16 अप्रैल को अमित शाह छिंदवाड़ा में थे। सूत्र बताते हैं कि वहां उन्होंने चुनाव अभियान में लगे सभी प्रमुख नेताओं को इस संबंध में कड़ी नसीहत दी है। अमित शाह ने नेताओं को कड़ी चेतावनी दी कि चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा के चुनाव अभियान का माइक्रो ऑडिट किया जाएगा। जो नेता निष्क्रिय हैं या न्यूसेंस कर रहे हैं वो समझ लें कि उनकी समस्त हरकतें और गतिविधियां राष्ट्रीय नेतृत्व के रडार पर हैं। ऐसे नेताओं की खबर ली जाएगी। सूत्रों के अनुसार गुजरात की तरह मध्य प्रदेश भाजपा संगठन के लिए भी अमित शाह ने कड़े पैमाने तय किए हैं। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व चाहता है कि भाजपा प्रदेश से न केवल सभी 29 सीटें जीते बल्कि 65 फ़ीसदी मत भी हासिल करें। यानी केवल क्लीन स्वीप से काम नहीं चलने वाला। पार्टी का मत प्रतिशत भी 65 होना चाहिए। गुजरात जहां हिंदुत्व की प्रयोगशाला है वही मध्य प्रदेश को भाजपा के लिए संगठन की प्रयोगशाला माना जाता है। मध्य प्रदेश संगठन को मॉडल मानकर पार्टी इसे दूसरे राज्यों में लागू करती है। यही वजह है कि अमित शाह के विश्वस्त सभी प्रदेश क्षत्रप पूरी ताकत से मध्य प्रदेश में लगे हुए हैं। फिर चाहे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा हों या कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और नरोत्तम मिश्रा जैसे उनके खासमखास समर्थक हों। सभी विशेष चिंता के साथ एक-एक सीट का मतदान केंद्र प्रबंधन कर रहे हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व चुनाव के बाद यह देखेगा कि विधानसभा के चुनाव में भाजपा जिन 19000 मतदान केंद्रों में पीछे रही थी वहां लोकसभा चुनाव में क्या स्थिति रही ?
संघ परिवार भी मैदान में
भाजपा के लिए कोर इलेक्शन मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संघ परिवार ने उठा रखी है। पिछले माह मार्च में नागपुर में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मतदान बढ़ाओ अभियान चलाने का निश्चय किया गया था। इस अभियान के जरिए मतदान का प्रतिशत बढ़ाया जाएगा। जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा। इस तरीके से संघ कोर इलेक्शन मैनेजमेंट में भाजपा की मदद भी करेगा। संघ की मध्य क्षेत्र इकाई ने खास तौर पर आदिवासी अंचल पर फोकस किया है। भाजपा को उम्मीद है कि मतदान का प्रतिशत पिछली बार की तुलना में बढ़ेगा। इसके लिए संघ के मैदानी कार्यकर्ता घर-घर संपर्क कर रहे हैं। दरअसल, 2024 के लोकसभा निर्वाचन में संघ और अनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसके लिए देश के सभी 10 लाख 55 000 मतदान केंद्रों के लिए टोलियां बनाई जाएंगी। संघ का यह अभियान मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए होगा। अधिकृत रूप से संघ ने यह कहा है कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने का काम किसी राजनीतिक दल (यानी भाजपा) के लिए नहीं किया जा रहा है लेकिन संघ के इस अभियान से भाजपा को महत्वपूर्ण मदद मिलने वाली है। भाजपा ने पहले ही पूरे देश में मतदान केंद्र प्रबंधन के लिए जबरदस्त तैयारी की हैं। प्रधानमंत्री ने मार्च में दिल्ली में संपन्न हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कार्यकर्ताओं से आवाह्न किया था कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर 370 मत बढ़ाने की कोशिश करें। संघ का मतदान बढ़ाने का अभियान भाजपा की इस कोशिश को सफलता की परिणीति तक पहुंचाएगा। संघ के कार्यकर्ता मतदान बढ़ाने के अभियान के दौरान जब घर-घर जाएंगे तो उनके साथ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर पत्रक भी होगा। यानी संघ की कोशिश होगी कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दों पर अधिक से अधिक मतदान किया जाए। संघ के मध्य क्षेत्र इकाई मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए मैदान में उतर गई है।