कोलकाता, 11 मार्च (वार्ता) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) किसी भी समुदाय या लोगों के साथ भेदभाव करता है तो वह राज्य में इसके कार्यान्वयन का विरोध करेंगी।
सुश्री बनर्जी ने राज्य सचिवालय नबन्ना में एक मीडिया सम्मेलन में कहा, ”अधिसूचना जारी होने और हम मंगलवार को इस पर विचार करेंगे, उसके बाद मैं आपको सीएए पर हमारे रुख का विवरण दूंगी।”
उन्होंने देश में संसदीय चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार के इस कदम पर भी सवाल उठाया।
प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ने कहा, ”सीएए भाजपा द्वारा दिखावा करने का एक हथकंडा है और वास्तव में मतदान से ठीक पहले एक लॉलीपॉप है।”
उन्होंने पूछा कि क्या जिन लोगों ने विभिन्न संवैधानिक निकायों में अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान किया, वे भारतीय नागरिक नहीं थे और आश्चर्य जताया कि केंद्र सरकार को अब सीएए की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है।
उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार कानूनों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होने देगी और न ही राज्य में एकाग्रता शिविरों की स्थापना की अनुमति देगी। सुश्री बनर्जी ने कहा कि वह मंगलवार को उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा जाएंगी और सीएए पर पार्टी के रुख की जानकारी देंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आज सीएए के कार्यान्वयन की अधिसूचना जारी कर दी। सीएए के नियमों का उद्देश्य बंगलादेश , पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।
इस बीच, उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय के वर्गों ने सीएए के स्वागत के लिए ढोल और पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र बजाकर जश्न मनाना शुरू कर दिया।