मुंबई 10 जनवरी (वार्ता) अमेरिका में रोजगार के आंकड़े जारी होने से पहले विश्व बाजार में आई गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से आज शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन भी गिरावट रही।
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 241.30 अंक लुढ़ककर 77,378.91 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 95.00 अंक कमजोर होकर 23,431.50 अंक पर बंद हुआ। बीएसई की दिग्गज कंपनियों के मुकाबले मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में अधिक गिरावट रही। इससे मिडकैप 2.13 प्रतिशत का गोता लगाकर 44,240.89 अंक और स्मॉलकैप 2.40 प्रतिशत टूटकर 52,722.34 अंक पर रहा।
इस दौरान बीएसई में कुल 4078 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 3167 में बिकवाली जबकि 827 में लिवाली हुई वहीं 84 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई की 2287 कंपनियां लाल जबकि 552 हरे निशान पर रही वहीं 71 के भाव स्थिर रहे।
बीएसई में आईटी, टेक और फोकस्ड आईटी की 3.17 प्रतिशत तक की तेजी को छोड़क अन्य 18 समूहों का रुझान नकारात्मक रहा। इस दौरान पावर 3.07, कमोडिटीज 2.05, सीडी 1.58, ऊर्जा 1.07, एफएमसीजी 0.90, वित्तीय सेवाएं 1.69, हेल्थकेयर 2.37, इंडस्ट्रियल्स 2.08, दूरसंचार 1.31, यूटिलिटीज 2.86, ऑटो 1.26, बैंकिंग 1.65, कैपिटल गुड्स 1.72, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 1.98, धातु 1.25, तेल एवं गैस 0.88, रियल्टी 2.64 और सर्विसेज समूह के शेयर 1.58 प्रतिशत गिर गए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट का रुख रहा। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 0.23, जापान का निक्केई 1.05, हांगकांग का हैंगसेंग 0.92 और चीन का शंघाई कंपोजिट 1.33 प्रतिशत लुढ़क गया जबकि जर्मनी के डैक्स में 0.10 प्रतिशत की बढ़त रही।
नौकरियों के सृजन में जहां क्विक कॉमर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, वहीं लॉजिस्टिक्स, मैनुफैक्चरिंग, और पारंपरिक ई-कॉमर्स जैसे सेक्टर्स में भी ब्लू कॉलर कर्मचारियों की मांग बढ़ी है। हालांकि क्विक कॉमर्स की स्पीड, स्केलेबिलिटी एवं टेक्नोलॉजी पर निर्भरता के कारण यह सबसे खास है, जिसकी मदद से पीक सीज़न में भी तेजी से नियुक्तियां और प्रशिक्षण संभव हो सके हैं।
अंतिम छोर तक डिलीवरी, वेयरहाउसिंग, एवं अन्य लॉजिस्टिकल भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित करके क्विक कॉमर्स भारत के विकसित होते हुए नौकरी के बाजार में नौकरियों के मुख्य निर्माता के रूप में स्थापित हो रहा है।
इस सर्वे में क्विक कॉमर्स की भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए स्किल डेवलपमेंट पर बढ़ता जोर प्रदर्शित होता है। नियोक्ता पांच कौशलों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिसमें नैविगेशन और ड्राइविंग, डिजिटल साक्षरता, डेटा एनालिसिस, मैनेजमेंट और टेक सपोर्ट हैं ताकि कार्यबल की एफिशियंसी और स्केलेबिलिटी बढ़ाई जा सके। ऑटोमेशन और डिजिटल टूल्स को अपनाने से इन भूमिकाओं के लिए आवश्यक कौशलों को आकार मिल रहा है।
कौशल की कमी को दूर करने के लिए कई क्विक कॉमर्स कंपनियां प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश कर रही हैं ताकि कर्मचारियों को टेक्नोलॉजी के एडॉप्शन, कस्टमर सेवा, और ऑपरेशंस मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में कौशल प्रदान किया जा सके। कौशल निर्माण में इस निवेश का उद्देश्य टेक-संचालित वातावरण का विकास करना और कर्मचारियों के करियर का दीर्घकालिक विकास करना है।
मजबूत कौशल, उचित प्रशिक्षण और ऑन-द-गो लर्निंग के साथ, क्विक कॉमर्स कर्मचारियों को विकास के बढ़ते अवसर प्रदान कर रहा है। उन्हें सीनियर पदों पर जाने के अवसर मिल रहे हैं। जैसे डिलीवरी ड्राइवर पदोन्नत होकर मैनेजर या लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर बन सकते हैं, वहीं वेयरहाउस वर्कर अपना कौशल बढ़ाकर बड़ी टीमों को मैनेज तथा ऑपरेशंस ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।
बढ़ते क्विक कॉमर्स उद्योग में ग्राहकों की मांग को पूरा करने में कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, खासकर तब, जब मांग पीक पर हो। कंपनियाँ ख़ासकर डिलीवरी और रिटेल के लिए ब्लू-कॉलर कर्मचारियों को बेहतरीन पैकेज और विभिन्न भत्ते देकर उन्हें बनाए रखने की कोशिश करती हैं।
इनडीड इंडिया में विक्रय प्रमुख शशि कुमार ने कहा, ‘‘पांच साल पहले तक 10 मिनट में डिलीवरी के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। क्विक कॉमर्स ने इसे संभव बना दिया है, जिसमें लोगों और टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है। क्विक कॉमर्स केवल सुविधा नहीं बढ़ाता है, बल्कि यह करियर, अवसरों और सस्टेनेबल कार्यबल का निर्माण भी करता है। हर नया डिलीवरी ड्राईवर या वेयरहाउस वर्कर परिवर्तन की एक कहानी का प्रतिनिधित्व करता है, और दीर्घकालिक रोजगार पेश करता है, जिससे लाखों परिवारों को आजीविका मिलती है।’’