नयी दिल्ली (वार्ता) दिल्ली पुलिस के शाहदरा थाना ने मंगलवार को अपनी स्थापना के 110 साल पूरे कर लिए।
दिल्ली पुलिस ने इस अवसर पर वहां स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हिरासत में रखे गए आंदोलनकारी के प्रति सम्मान प्रकट किया है और कहा है कि वह आंदोलन के प्रति अपने अटूट प्रतिबद्धता से पुलिस को प्रेरित करते रहेंगे।
दिल्ली पुलिस की एक विज्ञप्ति के अनुसार भारत में ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के दौरान सात जनवरी 1915 को अपनी स्थापना के बाद से, थाना ने कानून प्रवर्तन, अपराध की रोकथाम और, विशेष रूप से, भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को हिरासत में लेने की जगह के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शाहदरा थाना मूल रूप से दिल्ली के पूरे ट्रांस-यमुना क्षेत्र में फैले अधिकार क्षेत्र के साथ स्थापित किया गया था। इस थाने का रिकॉर्ड रूम ऐतिहासिक यादों और महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े दस्तावेजों का बेशकीमती भंडार है ।
रिकार्डो के अनुसार पहली एफआईआर शाहदरा थाने में पहली एफआईआर सात जनवरी 1915 को शाहदरा थाना में आईपीसी की धारा 457 के तहत घर में तोड़फोड़ करने के संबंध में दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को लिखवाने वाले खजान सिंह पुत्र रामपाल ने शिकायत की कि रात को शुखदेव माली ने अपने साथी के साथ मिलकर उसके घर के पीछे छेद कर दिया और अंदर घुसकर माचिस जला दी। रोशनी देखकर उसकी नींद खुली तो वे भाग गए। कोई नुकसान की सूचना नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने विज्ञप्ति में कहा है,“ऐसे समय जब कि हम हम शाहदरा थाना की 110वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने में इसकी भूमिका को याद करते हैं। हम उन बहादुर आत्माओं की विरासत का सम्मान करते हैं जिन्हें(स्वाधीनता आंदोलन के दौरान) इस थाने में हिरासत में लिया गया था। हम स्वतंत्रता के प्रति उनकी (आंदोलनकारियों की) अटूट प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेते रहेंगे।”
