नलखेड़ा, 12 दिसंबर. वर्तमान समय में देश के अधिकांश प्रसिद्ध मंदिर ऑनलाइन हो चुके हैं. इनमें विराजित भगवान के दर्शन ऑनलाइन हो रहे हैं, लेकिन विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रारंभ नहीं हो पाई है. ऐसे में भक्तों के मन में अक्सर यह सवाल पैदा होता रहता है कि आखिर माता रानी के ऑनलाइन दर्शन कब प्रारंभ होंगे.
नगर में विश्व का प्रसिद्ध मंदिर जहां पर राजनेताओं से लेकर एक्टर तक एकमात्र पीतांबरा सिद्धपीठ आते हैं. यहां त्रिदेवी के रूप में मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां बगलामुखी विराजमान हैं. इसे देशभर के साथ ही विदेशों में भी मां बगलामुखी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली मां बगलामुखी के भक्त देश के विभिन्न प्रांतों के साथ ही विदेशों में भी है. यहां दर्शनार्थ हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है. लगभग 10 वर्ष पूर्व मप्र सरकार द्वारा इसे धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाया गया था. धार्मिक पर्यटन केंद्र का दर्जा मिलने के बाद से यहां के प्रबंध के लिए शासन द्वारा अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता तथा सचिव तहसीलदार व प्रशासनिक अधिकारी की समिति बनाई गई है.
ब्रॉडबैंड का बिल भी जमा कर रहे
जानकारी के अनुसार तब से लगाकर आज तक समिति द्वारा ऑनलाइन दर्शन के लिए आवश्यक डाटा कनेक्शन (ब्रॉडबैंड) का बिल भी जमा किया जा रहा है. इन पांच वर्ष में कई बार जिम्मेदारों से इस संबंध में सवाल पूछे गए, लेकिन हर बार गोलमोल जवाब ही मिलते रहे. आज तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ऑनलाइन दर्शन प्रारंभ नहीं किए जाने का वास्तविक कारण नहीं बता पाए हैं.
कोई सुविधा उपलब्ध नहीं…
एक ओर देश की सरकार भारत को डिजिटल इंडिया बनाने का नारा दे रही है, जिसके तहत प्रत्येक शासकीय कार्य ऑनलाइन किए जाने के आदेश भी दिए गए हैं. वहीं दूसरी ओर उसी सरकार के अधीन कार्य करने वाली समिति सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद मां के ऑनलाइन दर्शन प्रारंभ नहीं कर पा रही है. गौरतलब है कि देश के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों जैसे महाकाल मंदिर, मां वैष्णोदेवी मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, गिरिराज मंदिर सहित अधिकांश मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन की सुविधा है. विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर परिसर में वैसे तो भक्तो को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.
कई वर्षोंं से हो रही मांग…
सिद्धपीठ पर चढ़ावे, दान, हवन कुंड किराया, पर्यटन विकास निगम द्वारा निर्मित कक्षों के किराए आदि से प्रतिवर्ष लाखों रुपए की आमदनी होती है. विश्वभर में फैले मां के भक्तों की सुविधा के उद्देश्य से लगभग एक वर्ष पूर्व से मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा प्रस्ताव पास कर ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रारंभ करने की ओर पहला कदम बढ़ाया था, जो कुछ समय चल फिर बंद हो गया. नवरात्रि में भी चालू किया गया था, लेकिन कुछ दिन चलता है फिर बंद हो जाता है, लेकिन आज तक वह सही ढंग से चालू नहीं हो पाया. इसके लिए समस्त आवश्यक संसाधन समिति द्वारा जुटा भी लिए गए थे, लेकिन कुछ समय के लिए ऑनलाइन सुविधा चली फिर बंद हो गई.