हम इसे यूं ही नहीं छोड़ सकते, भारतीय तट के निकट हौती हमले के बाद भारत ने ईरान को दिया था संदेश

मनामा/नयी दिल्ली, (वार्ता) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि इस साल जनवरी में जब जहाजों पर हौती के हमले चरम पर थे और भारत के तट के पास कुछ जहाजों को निशाना बनाया गया था, तो उन्होंने ईरान के तत्कालीन विदेश मंत्री और राष्ट्रपति से बात करने के लिए तेहरान का दौरा किया था, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि हम इसे यूं ही छोड़ सकते हैं।

श्री जयशंकर ने 20वें अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान मनामा वार्ता (आईआईएसएस मनामा डायलॉग) में भारत ईरान के साथ अपने संबंधों और ईरान समर्थित हौती मिलिशिया द्वारा लाल सागर में जहाजों पर हमलों के बीच सामंजस्य कैसे बिठाएगा, विषय पर बोलते हुए कहा कि जनवरी में लाल सागर क्षेत्र में भारत की नौसैनिकों तैनाती अपने चरम पर थी। उस समय हौती द्वारा सुदूर पूर्व से ड्रोन हमले किये गये और कई बार ऐसे जहाजों भी निशाना बनाया गया, जो अरब सागर के बीच में थे। वास्तव में कुछ हमारे तटरेखा के काफी करीब थे, तो कुछ काफी दूर थे, जिन्हें निशाना बनाया गया।

उन्होंने कहा, “इसलिए मैं विशेष रूप से तत्कालीन विदेश मंत्री (हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन) और तत्कालीन राष्ट्रपति (इब्राहिम रईसी) के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ईरान गया था, ताकि अपनी चिंताओं को बता सकूं और कह सकूं कि हम वास्तव में इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते हैं। ” उन्होंने कहा, “कभी-कभी अपने दायित्व को पूरा करना ( इस मामले में समुद्री सुरक्षा) , साथ ही एक समानांतर कूटनीतिक प्रयास करना और कभी-कभी दूसरों की ओर से स्पष्ट रूप से संवाद करना, मुझे लगता है कि ये दोनों एक पैकेज के रूप में एक साथ चलते हैं। वे विकल्प नहीं हैं… यह महत्वपूर्ण है कि बातचीत हो, कभी-कभी उचित तर्क कुछ अधिक कठोर बातों की तुलना में अधिक प्रभाव डालते हैं।”

विदेश मंत्री ने लाल सागर में अमेरिका के नेतृत्व वाले नौसैनिक अभियान प्रॉसपेरिटी गार्डियन में भारत के शामिल नहीं होने के मुद्दे पर कहा कि भारत के 30 जहाज़ इस क्षेत्र में गए हैं और अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उन्होंने कहा, “कुछ देश औपचारिक व्यवस्थाओं में शामिल होने में ज़्यादा सहज हैं, कुछ नहीं। हमें एक हद तक अलग-अलग कूटनीति की ज़रूरत है। यह एक ही तरह की नीति नहीं है। हर कोई एक ही तरह की खुलेपन और औपचारिकता के साथ एक ही काम नहीं कर सकता।” गाजा में शांति प्रयासों में भारत के योगदान के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत निकट पूर्व में फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) में योगदान दे रहा है और उसने अपना योगदान भी बढ़ाया है। भारत दवाइयों, पीएलए के ज़रिए गाजा और लेबनान में भी योगदान दे रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा, “हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह कूटनीतिक पहलू पर है। हम उन देशों में से हैं, जो इजरायल और ईरान से बात करने की क्षमता रखते हैं। हम जानते हैं कि हम एकमात्र संचार लिंक नहीं हैं, लेकिन हम सही समय पर यह सुनिश्चित करके एक महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति कर रहे हैं – मैं स्पष्ट रूप से विवरण में नहीं जाना चाहता, लेकिन सही समय पर सही लोगों को वह संदेश मिले जो अपेक्षित है।”

Next Post

बदमाश ने युवक को मारा चाकू

Mon Dec 9 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email जबलपुर: गढ़ा थाना अंतर्गत दानव बाबा भट्टा के पास बदमाश ने एक युवक पर चाकू से हमला कर दिया।  हमले में युवक घायल हो गया जिसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। पुलिस के मुताबिक मोहित […]

You May Like