अदालत का फरमान: जन्म पत्र देख, न होने दें बाल विवाह

मैरिज गार्डन, होटल और पुजारियों को निर्देश

 

आदेश न माना तो होगी दो साल की जेल व एक लाख का जुर्माना

 

जबलपुर। बाल विवाह को रोकने के संबंध में न्यायपालिका ने एक गाईड लाईन जारी की है। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला अदालत ने सभी मैरिज गार्डनों, होटलों और पुजारियों को बाल विवाह रोकने के निर्देश दिये है। आदेश का पालन न होने पर दोषी को दो साल की सजा तो होगी ही, साथ ही उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी होगा।

इस संबंध में जिला सत्र न्यायालय जबलपुर के वरिष्ठ न्यायाधीश डी पी सूत्रकार ने एक आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट द्वारा 20 नवम्बर को जारी एक पत्र का हवाला देकर आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा-13 में ऐसे विवाहों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। इस धारा के तहत सभी मैरिज गार्डन, होटल व पुजारियों को कहा गया है कि वे जन्म का दस्तावेज देखे बिना विवाह न होने दें। दस्तावेजों में वर की उम्र 21 वर्ष और वधु की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए। ऐसा न होने पर बाल विवाह कराने की जानकारी मिलने पर अपराध का स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया जाएगा, जो अजमानतीय है।

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