ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण की बहुचर्चित व्यावसायिक योजना माधव प्लाजा को लेकर प्राधिकरण अब एक्टिव मोड में हैं। प्राधिकरण ने अपनी नई संपत्ति बेचने के लिये प्रयास शुरू किये हैं। माधव प्लाजा में अपने व्यावसायिक संस्थान व दुकानें न खोलने वाले हितग्राहियों से शीघ्र ही व्यावसायिक कारोबार शुरू करने को कहा हैं। प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है कि प्राधिकरण अब नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के निर्देशों के तहत जल्द ही ऐसे हितग्राहियों के अनुबंध व पटटे पर कानूनी कार्रवाई व अन्य विकल्पों को अपना सकता है, जो माधव प्लाजा में केवल नाममात्र के लिये संपत्ति लेकर व्यावसायिक गतिविधियां नहीं कर रहे हैं।
ज्ञांतव्य है कि माधव प्लाजा ग्वालियर विकास प्राधिकरण ने हुजरात रोड जिंसी नाला नंबर 2 जैसी बेशकीमती जमीन 2009-10 के बीच तैयार किया था। माधव प्लाजा को पशु चिकित्सा विभाग की डेढ़ हेक्टेयर जमीन खरीद कर लगभग 50 करोड़ की लागत से प्राधिकरण ने शहर के प्रमुख व्यवसाय कारोबारियों के लिये बनाया था। ताकि महाराज बाड़ा, सराफा बाजार, डीडवाना ओली जैसे क्षेत्रों की भीड़भाड़ को व्यवस्थित किया जा सकें। लेकिन खेद की बात यह है कि प्राधिकरण के पूरे प्रयासों व व्यावसायियों को जरूरत से ज्यादा सहुलियत देने के बाद भी कारोबारी माधव प्लाजा में दुकानें व हाल लेने के बाद भी अपना कारोबार शुरू नहीं कर रहे हैं और प्राधिकरण की बकाया कीमतें तक जमा करने में लेतलाली बरत रहे हैं। इसी कारण लगभग माधव प्लाजा की कुल 550 दुकानें व हाल में से मात्र 399 दुकानें व कुछ हाल ही निकल सके हैं, अभी भी 151 दुकानें अविक्रित हैं। जिससे प्राधिकरण का अधिकांश पैसा माधव प्लाजा में फंसा है और कई दुकानें लेने वाले कारोबारी अन्य बाकी किश्त भी नहीं चुका रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी कारण अब ग्वालियर विकास प्राधिकरण माधव प्लाजा की अविक्रित संपत्ति बेचने के लिये लगातार अभियान चला रहा है। वहीं इसी क्रम में माधव प्लाजा में बुकिंग राशि व केवल एक दो किश्त देने वाले कारोबारियों को अलाटमेंट देने की प्रक्रिया पर शासन से निर्देश मांग रहा हैं, ताकि मौके की दुकानें व हाल नये रेट से बिक सकें और प्राधिकरण की फंसी पूंजी बाहर आ सकें।