भोपाल, 31 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज कांग्रेस और उसके केंद्रीय नेताओं पर हमला बोलते हुए कटाक्ष किया कि कांग्रेस के जिन नेताओं में खुद की सीट लड़ने की हिम्मत नहीं है, वे पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल कहां से बढ़ा पाएंगे।
डॉ यादव ने यहां संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि मध्यप्रदेश में इस चुनाव में ‘भाजपा वर्सेज कांग्रेस’ है। कांग्रेस ने अपनी पतन की जो स्थिति पकड़ी है, उसकी पराकाष्ठा मध्यप्रदेश में हुई है। भाजपा की रणनीति कैसे होती है और कांग्रेस का मनोबल कितना गिरा है, उसका अहसास भी इस चुनाव में दिखाई देता है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा के अभियान को देखा जाए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा चुनाव लड़वाते भी हैं और खुद का चुनाव भी लड़ते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का मनोबल कितना गिरा है, ये इस बात से पता चलता है कि तीन बार के सांसद अपनी पैतृक सीट से पटखनी खा कर चले गए। दोबारा वहां का मुंह ही नहीं देखा।
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कांग्रेस का मनोबल कैसे रखोगे, जब आप के पास खुद की सीट से लड़ने की हिम्मत नहीं है। दूसरी ओर सोनिया गांधी जीती हुई सीट को भी छोड़ रही हैं। ऐसे में ये नेता कार्यकर्ताओं का मनोबल कैसे बनाएंगे।
उन्होंने मध्यप्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के संदर्भ में कहा कि यहां इस गठबंधन का कोई कारण नहीं बनता था, पर कांग्रेस ने मजबूरी के चक्कर में एक सीट गठबंधन में दे दी। इसी क्रम में उन्होंने इंदौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने के संदर्भ में कहा कि पहली बार ये इतिहास बना है कि कांग्रेस राज्य में 29 में से 27 सीट पर ही चुनाव लड़ी।
मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों में भीषण गर्मी में चुनाव प्रचार के दौरान के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इतनी गर्मी में भी जो माहौल दिखा, उससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी है। विपक्ष के लोग अब जल्द ही ईवीएम जैसे बहाने बनाने लगेंगे।
कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन दिनों कन्याकुमारी में चल रहे ध्यान पर आरोप लगाए जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिंदू परंपराओं पर क्यों सवाल खड़े करती है। आप ध्यान नहीं कर सकते तो मत करो, हमारा ध्यान तो मत भंग करो।
उन्होंने कहा कि देश 1947 में आजाद हो गया, पर राम के देश में उनका ही मंदिर बनने के लिए इतना कष्ट क्यों आया। आजादी के समय जिनकी सरकारें रहीं, उन्हें वो सारे प्रश्न खत्म कर देने थे, जिनकी बाद में देश ने कीमत चुकाई। लॉर्ड मैकाले ने 1832 में हमारे धर्मग्रंथों को पाठ्यक्रम से बाहर किया तो वे 1947 में आजादी के समय वापस क्यों नहीं हुए।
इसी क्रम में उन्होंने सवाल उठाया कि राम आदर्श पुत्र थे, तो उन्हें पाठ्यक्रम में क्यों नहीं लाना चाहिए था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर इस बात की छूट दी। मध्यप्रदेश उसे लागू करने में अग्रणी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रसखान-रहीम की कविता भी पाठ्यक्रम में जोड़ रही है। इन विषयों में धर्म के आधार पर क्यों बात की जा रही है। जिन्होंने अच्छी बात कहीं, वो पाठ्यक्रम में लाया जा रहा है।
राज्य में इन दिनों सुर्खियों में बने हुए कथित नर्सिंग घोटाले के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश पर चल रही है। जो सीबीआई जांच में निर्देश हैं, उसके आधार पर काम कर रहे हैं। कोर्ट या सीबीआई जो कहेगी, सरकार उसी आधार पर चलेगी।