बांग्लादेशी हिंदू नरसंहार के विरोध में सनातन चेतना मंच ने सौपा मांगों का ज्ञापन

-पूजा पार्क में सभा कर निकाली रैली, किया विरोध प्रदर्शन

 

सीधी। हम भारत के नागरिक और सकल हिंदू समाज के प्रतिनिधि, बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति अपनी गहरी चिंता और विरोध व्यक्त करते हैं। बांग्लादेश में वर्तमान में जो अत्याचार चल रहे हैं, वे न केवल मानवाधिकारी का उल्लंघन हैं, बल्कि इनसे हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य भी आहत हो रहे हैं।

राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्वतंत्रता के समय तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में 22 प्रतिशत हिंदू थे। किंतु उन्हें दी जा रही यातनाओं के कारण तथा उनका वंशच्छेद करने के कारण, बांग्लादेश की पिछली जनगणना तक वहां मात्र 7.9 प्रतिशत ही हिंदू बचे हैं, विगत 5 अगस्त को फैली हिंसा के बाद, बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय को लक्ष्य बनाकर, उनकी हत्याएं की जा रही है। उनके घर लूट जा रहे हैं। उनकी जवान बेटियों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। 5 अगस्त से अब तक कुछ हजार हिंदुओं की हत्या की गई है। हिंदुओं पर हमले की 6,000 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी है। खुलना, रंगपुर, राजशाही, बारिसाल, चिटगांव, सिल्हट इन सभी विभागों में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। पुलिस विभाग हिंदुओं की शिकायते नहीं ले रहा है। बांग्लादेश प्रशासन में, एक ही महीने में 252 हिंदू पुलिस अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है। बांग्लादेश की पुलिस में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं बचा है। हिंदुओं के श्रद्धा स्थान, मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। पिछले चार महीनों में, 1,000 से ज्यादा मंदिरों को ध्वस्त किया गया, तथा मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों की विध्वंस की गई, उन्हें तोडा गया। बांग्लादेश में हिंदू अत्यंत असुरक्षित हैं। उन्हें कोई भी मूलभूत अधिकार नसीव नहीं हो रहा हैं। हिंदू समुदाय की हत्याओं का दौर जारी हैं। विगत दिनों बांग्लादेश सरकार ने, वहां के प्रमुख हिंदू संत एवं इस्कॉन के पदाधिकारी, चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।यह सब अत्यंत दुःखद हैं। हमारे पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हो रहे इन पाशवी अत्याचारों से हम सब व्यथित है,हमारे पड़ोसी देश में हुई कक्ष घटनाओं ने हमें गहरे आघात पहुंचाया है, जिनमें विशेष रूप से अल्पसंख्यक समु‌दायों पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला शामिल है। 25 नवंबर 2024, ताका में इस्कॉन के विन्मय कृष्ण दास को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन था। 24 नवंबर 2024, एक हिंदू लड़की को जबरन धर्मांतरण कर आतंकी संगठन में शामिल किया गया, जो एक गंभीर अपराध है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे,अत्याचारों का प्रतीक है।20 नवंबर 2024, बरिसाल में हिंदू समुदाय के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे उनकी संपत्ति और सम्मान को नष्ट कर दिया गया।19 सितंबर 2024 को सिलाइट बौद्ध और हिंदू मंदिरों को तोड़-फोड़ कर आग लगा दी गई, जो धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करने का एक प्रयास था।इन घटनाओं में हजारों हिंदू, बौद्ध और ईसाई परिवारों को विस्थापित किया गया है और उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया है। उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले किए वा रहे है,जो न केवल बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं। भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाए ताकि वहां अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और धार्मिक स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके। स्वामी चिन्मय प्रभु की बिना शर्त रिहाई की जा सके।संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को इन अत्याचारों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए। इस दौरान प्रमुख रूप से स्वामी श्रीचंद्र महाराज, प्रद्युम्न महाराज, पुरुषोत्तम दास महाराज, फलाहारी बाबा, सीधी विधायक श्रीमती रीती पाठक , हिन्दू जागरण मंच के सुमित जायसवाल एवं समस्त हिंदू जन उपस्थित रहें।

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