* परिजनों ने जिला अस्पताल सीधी में हुई घटना को लेकर नर्सों एवं अस्पताल प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप
नवभारत न्यूज
सीधी 30 नवंबर।
जिला अस्पताल के लेबर रूम में प्रसव के दौरान नर्सों की लापरवाही से नवजात के फर्स में गिरने से उसकी हालत नाजुक हो गई और आईसीयू में उपचार शुरू होने के बाद भी आखिर उसे बचाया नहीं जा सका। उक्त आरोप लगाते हुए शहर के वार्ड क्रमांक 14 कोटहा निवासी दीपू प्रजापति ने बताया कि उसके चचेरे भाई की पत्नी गुडिया प्रजापति को प्रसव वेदना पर जिला अस्पताल में 28 नवंबर 2024 को सुबह 10 बजे भर्ती कराया गया था। लेबर रूम में इसी दिन शाम करीब 4:30 बजे नार्मल डिलेवरी हो रही थी। उसी दौरान लेबर रूम में प्रसूता की देवरानी श्यामकली प्रजापति पहुंची। उसे नर्सों द्वारा भगाया जा रहा था। उसी समय डिलेवरी हुई और नर्सों की लापरवाही से नवजात शिशु फर्स में नीचे गिर गया। नवजात के फर्स में गिरते ही वहां मौजूद श्यामकली प्रजापति ने दौडक़र उठाया। नर्सों द्वारा उसके हांथ से जल्द ही नवजात को अपने हांथ में ले लिया गया और श्यामकली को बाहर कर दिया गया। फर्स में गिरने पर नवजात शिशु के नाक एवं आसपास चोंटे आने से वह रक्त रंजित हो गया। बाद में नवजात शिशु को आईसीयू में भर्ती कर दिया गया। आईसीयू में भर्ती नवजात को देखने के लिए उसके पिता रावेन्द्र प्रजापति को कुछ समय केे लिए अनुमति दी जाती थी। परिजनों के अनुसार 29 नवंबर को दोपहर करीब 1 बजे उन्हें आईसीयू में बताया गया कि तुम्हारे बच्चे की हालत काफी नाजुक है। वह नीला पड़ रहा है। इसके बाद रावेन्द्र प्रजापति को भी बाहर कर दिया गया। रात करीब 8:30 बजे फिर आईसीयू में रावेन्द्र प्रजापति को बुलाया गया और कहा गया कि तुम्हारा बच्चा 7 महीने का ही था इस वजह से उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। परिजनों का कहना था कि नवजात शिशु पूरे 9 महीने का था। फिर भी आईसीयू में उसकी हालत चोंट के चलते गंभीर होने पर परिवार के लोगों को गलत जानकारी दी जा रही थी। आखिर आज सुबह करीब 6 बजे फिर आईसीयू में बुलाया गया और बताया गया कि तुम्हारा बच्चा खत्म हो गया है। परिजनों द्वारा इस पूरे मामले में लेबर रूम में मौजूद नर्सों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की गई।
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नर्सों की लापरवाही से गिरा बच्चा: श्यामकली
श्यामकली प्रजापति का कहना था कि जिस दौरान गुडिया प्रजापति को प्रसव हो रहा था वह लेबर रूम में ही मौजूद थी। प्रसव के दौरान पानी के तेज प्रेशर के साथ जब बच्चा बाहर आया तो नर्सें खुद को पानी से बचाने के लिए दूर चली गईं और नवजात फर्स में जा गिरा। जिस स्थान पर बच्चा गिरा वहां लोहे की सरिया भी रखी थीं जिसके चलते बच्चे के चेहरे में चोंटे आई। श्यामकली ने कहा कि वह यह नजारा देखकर खुद को नहीं रोंक सकी और दौडक़र उस स्थान में पहुंची जहां बच्चा गिरा हुआ था। बच्चे को उसने उठाया तभी वहां मौजूद नर्स ने बच्चे को अपने हांथ में ले लिया और उसे कमरे से बाहर कर दिया गया।
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महिला डॉक्टर नार्मल प्रसव के दौरान नही रहती
जिला अस्पताल के लेबर वार्ड में प्रतिदिन कई प्रसव होते हैं। विडंबना यह है कि नार्मल प्रसव के दौरान कभी भी महिला डॉक्टर मौके पर नहीं रहती हैं। सबकुछ नर्सों के जिम्मे ही रहता है। प्रसव के दौरान कई बार नर्सों द्वारा गंभीर लापरवाही की जाती है। जिसके चलते नवजात शिशु या फिर प्रसूता की हालत गंभीर हो जाती है। लेबर रूम के अंदर नर्सों की मनमानी चरम पर रहती है। उन्हें मालूम रहता है कि अंदर का नजारा परिवार का कोई भी सदस्य नहीं देख रहा है। इस वजह से काफी लापरवाही पूर्वक नार्मल डिलेवरी कराई जाती है। जानकारों का कहना है कि लेबर रूम में ड्यूटी करने वाली अधिकांश नर्सें काफी समय से लेबर रूम में ही काम कर रही हैं। जबकि नर्सों की ड्यूटी कुछ दिन के अंदर बदलनी चाहिए। बताया गया है कि लेबर रूम में काम करने वाली नर्सों को परिजनों से नजराना मिलने की इच्छा रहती है। जब उन्हें लगता है कि प्रसव कार्य के बाद गरीब परिजन उनको नजराना नहीं दे पाएंगे तो उस दौरान डिलेवरी का कार्य और भी लापरवाही पूर्वक कराया जाता है।
इनका कहना है
प्रसूता गुडिय़ा प्रजापजि के नवजात शिशु की मौत पर परिजनों द्वारा लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। उक्त आरोपों की जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट आने पर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगी।
डॉ. दीपारानी इसरानी
सिविल सर्जन, जिला अस्पताल सीधी
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