जमीनों पर तकरार, मुआवजा लेने से इंकार

विक्रम उद्योगपुरी में अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने खोला मोर्चा
सुनवाई टलने से किसान हुए नाराज, जिला प्रशासन ने 30 नवंबर को बुलाया

उज्जैन: किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और 7 गांव के किसान अपनी 2500 बीघा जमीन बचाने के लिए सड़कों पर उतर गए हैं.
नवभारत से चर्चा में सोमवार को दिलीप चौधरी ने बताया कि वह किसान है और विक्रम उद्योग पुरी क्षेत्र में उनकी जमीन है. ऐसे 7 गांव के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए धरना प्रदर्शन आंदोलन कर रहे हैं, ट्रैक्टर रैली भी निकाली है. बावजूद इसके जिला प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंग रही.

समय देने के बाद टली सुनवाई
सोमवार को जिला प्रशासन के समक्ष अपनी मांग रखने के लिए सैकड़ो किसान प्रशासनिक संकुल कार्यालय पर एकत्रित हो गए. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से चर्चा करके अपनी बात रखने वाले थे. सभी किसानों के कोठी पर आने के पश्चाताप कलेक्टर ऑफिस से फरमान आया कि अब 30 नवंबर को सुनवाई होगी. ऐसे में किसान भड़क गए. चर्चा में किसानों ने कहा कि हम हमारा कीमती समय निकालकर आए हैं और जिला प्रशासन पूर्व से समय देने के बावजूद हठधर्मिता कर रहा है.

हमारी शर्त पर देंगे जमीन
चर्चा में किसानों ने बताया कि जमीन के बदले जमीन दो और वहां पर मकान बनाकर भी दो, तभी हम अपना आधिपत्य छोड़ेंगे और जमीन अधिग्रहण के लिए राजी होंगे. वरना धरना प्रदर्शन आंदोलन करते रहेंगे और विक्रम उद्योग पूरी क्षेत्र में हमारी जमीन अधिग्रहण नहीं होने देंगे. हमारे पूर्वज की जमीन पर खेती करते आए हैं हम वहां से पलायन नहीं करेंगे. जो मुआवजा दिया जा रहा है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है जो हम नहीं लेंगे.

किसान ने कलेक्टर से कहा आत्महत्या कर लूंगा
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को किसान मांगीलाल जैन पिता ओंकार लाल जैन निवासी ग्राम गावड़ी तहसील उज्जैन ने आवेदन देकर गुहार लगाई कि मेरी आपत्ति है कि सर्वे नंबर 604 रकबा 0.58 आरा जमीन मेरी पत्नी नंदकुमार बाई पति मांगीलाल जैन के नाम से थी, जो कृषि भूमि सर्वे क्रमांक 598 रकबा 0.90 आदि है. इसका अधिग्रहण कर हम किसानों के साथ अन्याय किया गया है, परिवार के पास अब माधवपुर पिपलोदा में जो कृषि भूमि बची हुई है, उस परिवार का पालन पोषण भरण पोषण होता है. इस जमीन सर्वे नंबर 92 रकबा 0.48 आदि है. यदि इसका भी यदि अधिग्रहण किया जाता है तो हमारे पास कोई जमीन नहीं बचेगी. मेरा पूरा परिवार बेघर हो जाएगा इसलिए हम यह भूमि नहीं देंगे यदि प्रशासन जबरन हमारी भूमि अधिग्रहित करेंगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगा, क्योंकि मैं मेरे परिवार को उजड़ता नहीं देख सकता हूं.

समाधान निकलेगाः राठौर
मैं अभी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ विदेश यात्रा पर हूं. किसानों से बातचीत चल रही है. जरूर समाधान निकलेगा.
– राजेश राठौर, निदेशक एमपीआईडीसी

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