० मामला करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच में फंसे आरईएस विभाग के संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा विभागीय डीडी-चेक एवं महत्वपूर्ण कागजों में आग लगाने का
नवभारत न्यूज
सीधी 23 नवम्बर। करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच में फंसे आरईएस विभाग के संविदा डाटा एंट्री आपरेटर द्वारा विभागीय डीडी-चेक एवं महत्वपूर्ण कागजों में आग लगवा दिया गया। आखिर आरईएस विभाग में बिना अनुमति विभागीय रिकार्ड जलाने वाले दोषी पर क्यों कार्यवाई नहीं हो रही है यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
बताते चलें कि आरईएस विभाग सीधी विगत 4 वर्षों से भ्रष्टाचार को लेकर काफी सुर्खियों में बना हुआ था। तत्कालीन ईई हिमांशु तिवारी द्वारा दो वर्षों से भ्रष्टाचार के सभी कीर्तिमानों को ध्वस्त कर दिया गया था। जब भ्रष्टाचार की तपन राजधानी तक पहुंची तो आनन-फानन में टीम गठन कर जांच शुरू की गई। प्रथम दृष्टया दोषी मिलने पर तत्कालीन ईई हिमांशु तिवारी के साथ दो प्रभारी एसडीओ को निलंबित कर दिया गया। जांच शुरू हुई तो उसकी जद में तत्कालीन प्रभारी लेखापाल संविदा डाटा इंट्री आपरेटर नीलेश पाण्डेय भी आने लगे। लिहाजा लेखापाल के प्रभार से मुक्त होने के बाद उनके द्वारा कार्यालय के बाहर कुछ रिकार्डों में आग लगा दी गई। उनके द्वारा विभागीय रिकार्डों को जलाने से पूर्व कोई अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं समझी गई। इस आग में विभागीय डीडी-चेक एवं महत्वपूर्ण कागजात जला दिये गये। विभागीय रिकार्ड जलाने का वीडियो जब सामने आया तो इसके लिये विभागीय जांच के निर्देश दिये गये। यह जांच भी दबाव में उलझ गई। जिसके चलते दोषी तत्कालीन प्रभारी लेखापाल संविदा डाटा इंट्री आपरेटर नीलेश पाण्डेय पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि विभागीय भ्रष्टाचार में इनकी सहभागिता काफी ज्यादा रही है। बिना काम में जो फजी रिकार्ड बनाये जा रहे थे, उसमें भी इनकी काफी भूमिका रही है।
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आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के साथ सेवा समाप्त होनी चाहिए: एड.आरबी
उच्चतम न्यायालय दिल्ली के विद्वान अधिवक्ता आर.बी.सिंह ने आरईएस विभाग सीधी के अग्निकाण्ड में सक्षम अधिकारी के बिना लिखित अनुमति के जलाये गये विभागीय रिकॉर्ड के मामले में नवभारत से चर्चा करते हुए बताया कि शासकीय रिकॉर्ड को नष्ट करने के पूर्व संबंधित विभाग के समक्ष अधिकारी से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होता है। यदि किसी विभागीय कर्मचारी द्वारा सक्षम अधिकारी के लिखित अनुमति के बिना कोई भी शासकीय रिकॉर्ड फिर वो चाहे अनुपयोगी ही क्यों ना हो नही नष्ट किया जा सकता है। यदि किसी कर्मचारी द्वारा ऐसा किया गया है तो विभाग द्वारा दोषी कर्मचारी के खिलाफ प्रथम दृष्टया दस्तावेज नष्ट करने पर धारा 239 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के बाद मामले की जांच कर दोषी कर्मचारी की सेवा समाप्त कर देनी चाहिए।
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दस्तावेज नष्ट करने पर धारा 239 में ये है प्रावधान
धारा 239 के तहत कोई किसी ऐसी दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को छिपाएगा या नष्ट करेगा जिसे किसी न्यायालय में या ऐसी कार्यवाही में, जो किसी लोक सेवक के समक्ष उसकी वैसी हैसियत में विधिपूर्वक की गई है। साक्ष्य के रूप में पेश करने के लिए उसे विधिपूर्वक विवश किया जा सके या पूर्वोक्त न्यायालय या लोक सेवक के समक्ष साक्ष्य के रूप में पेश किए जाने या उपयोग में लाए जाने से निवारित करने के आशय से या उस प्रयोजन के लिए उस दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को पेश करने को उसे विधिपूर्वक समनित या अपेक्षित किए जाने के पश्चात ऐसी संपूर्ण दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को, या उसके किसी भाग को मिटाएगा, या ऐसा बनाएगा, जो पढ़ा न जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या पांच हजार रुपए तक के जुर्माने से, या दोनों सेए दंडित किया जाएगा।
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भ्रष्टाचार की जांच की आंच से बचने लगाई गई आग
आरईएस विभाग सीधी के तत्कालीन प्रभारी लेखापाल संविदा डाटा इंट्री आपरेटर नीलेश पाण्डेय को यह मालूम था कि यदि भ्रष्टाचार की जांच सही तरीके से हुई तो वह भी फंसेंगे। इसी वजह से जांच को प्रभावित करने के लिये इनके द्वारा सुनियोजित कार्ययोजना के तहत कुछ रिकार्डों को नष्ट करने एवं हटाने का काम शुरू कर दिया गया था। उनको सीधी कार्यालय से हटाने में देरी होने के कारण कई महत्वूपर्ण रिकार्ड गायब हो गये। भ्रष्टाचार की जांच की आंच से बचने के लिये रिकार्डों में आग लगाई गई।
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राजनैतिक दबाव के चलते रूकी है कार्यवाही!
आरईएस विभाग सीधी के कार्यालय में मौजूद कई महत्वपूर्ण कागजातों को नष्ट करने से पूर्व तत्कालीन प्रभारी लेखापाल संविदा डाटा इंट्री आपरेटर नीलेश पाण्डेय द्वारा सक्षम अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई थी। रिकार्डों में आग लगाने की वीडियो सामने आने पर विभागीय जांच तो शुरू हुई लेकिन यह अभी तक मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। सूत्रों का कहना है कि कार्यवाहीं को रूकवाने के लिये राजनैतिक दबाव का सहारा लिया गया है, जिसके चलते कार्यवाही अभी तक पूरी नहीं हो सकी।
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इनका कहना है
शासकीय रिकॉर्ड बिना सक्षम अधिकारी से लिखित अनुमति के नष्ट नही किये जा सकते हैं। जहां तक बात आरईएस विभाग सीधी में रिकॉर्ड में आग लगाने के मामले में विभाग को जांच के निर्देश दिए गए थे। जांच प्रतिवेदन मंगाकर जल्द ही अग्रिम कार्यवाही की जायेगी।
अंशुमान राज, सीईओ जिला पंचायत सीधी
आरईएस विभाग सीधी के तत्कालीन प्रभारी लेखापाल संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटर नीलेश पाण्डेय द्वारा लेखापाल के प्रभार से मुक्त होने के बाद कार्यालय के बाहर कुछ रिकॉर्ड में लगाई गई आग की विभागीय स्तर पर जांच चल रही है। संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा विभाग से किसी भी प्रकार के अनुपयोगी रिकॉर्ड को नष्ट करने की अनुमति नही ली गई थी।
मनोज कुमार बाथम, कार्यपालन यंत्री आरईएस विभाग सीधी
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