नयी दिल्ली 21 नवंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि शांति का वातावरण विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
श्री धनखड़ ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के एक कार्यक्रम ‘भारत के मूल मूल्य, हित और उद्देश्य’ को संबोधित करते हुए कहा कि यदि वैश्विक स्तर पर किसी भी स्थान पर शांति भंग होती है, तो इससे विकास और समरसता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसीलिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है।
श्री धनखड़ ने कहा कि वैश्विक शांति भंग हो रही है और युद्ध तीव्र हो रहे हैं। शत्रुता सिद्धांतों में बदल रही है और जलवायु संकट मंडरा रहा है। इससे मानवता विनाश के कगार पर खड़ी है। उन्होंने कहा कि मुक्ति का मार्ग भारत के प्राचीन ज्ञान में छिपा है। सदियों पुरानी समरसता, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के मूल भारतीय संस्कृति में मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत अपनी विविधता पर गर्व करता है। कई आधिकारिक भाषाएं, विभिन्न धर्म और विविध जातीयता एक संविधान के तहत स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करते हैं। शांति-पूर्ण सह-अस्तित्व भारतीय दर्शन में समय-समय पर परिलक्षित हुआ है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विदेश नीति सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है तथा संघर्ष के मुकाबले संवाद को प्राथमिकता देती है। भारत भेदभाव से दूर, त्योहारों, भोजन, भाषाओं और संस्कृतियों में अंतर को अपनी ताकत के रूप में अपनाता है।
उन्होंने कहा कि समावेशी विकास, शांति और सार्वभौमिक कल्याण के साथ-साथ पर्यावरण का पोषण भारतीय दर्शन का मूल है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा राष्ट्र है जो सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि समग्र मानवता के कल्याण के लिए काम करता है।
भारत के हित इसके लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति से जुड़े हैं तथा यह आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद से मिलकर निपटने पर जोर देता है। आर्थिक विकास, जन केंद्रित विकास और समावेशी विकास भारत की प्राथमिकता है।