ग्रेटर नोएडा 15 नवंबर (वार्ता) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि आज ऊर्जा आर्थिक वृद्धि एवं विकास की रीढ़ बन गई है और आर्थिक प्रगति को गति देने में ऊर्जा क्षेत्र का महत्व बहुत बढ़ गया है।
श्री पुरी ने यहां भारत के प्रमुख दक्षिण एशियाई भूविज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी जीईओ इंडिया 2024 के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि भारत जैसे देश में जहाँ ऊर्जा की मांग इसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था के अनुरूप तेजी से बढ़ रही है।
एसोसिएशन ऑफ पेट्रोलियम जियोलॉजिस्ट्स, इंडिया द्वारा आयोजित जीईओ इंडिया 2024, सम्मेलन और प्रदर्शनी का छठा संस्करण है, जिसका विषय “ऊर्जा गतिशीलता के नए आयामों की खोज” है।
श्री पुरी ने कहा कि भारत में हर दिन 6.7 करोड़ लोग पेट्रोल पंप पर जाते हैं। इस बढ़ती मांग से अगले दो दशकों में ऊर्जा की खपत में वैश्विक वृद्धि का 25 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता के त्रिविध संतुलन को न केवल प्राथमिकता है, बल्कि एक प्रतिबद्धता है जिसे हम अन्वेषण, उत्पादन और ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करके पूरा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत का ऊर्जा परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, देश के तलछटी बेसिनों में 65.18 करोड़ टन पुनर्प्राप्त करने योग्य कच्चे तेल के भंडार और 1,138.6 अरब क्यूबिक मीटर पुनर्प्राप्त करने योग्य प्राकृतिक गैस के भंडार हैं। इन प्रचुर संसाधनों के बावजूद, भारत की अन्वेषण क्षमता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अप्रयुक्त है। श्री पुरी ने बताया कि जब वर्तमान सरकार ने 2014 में पदभार संभाला था, तब भारत के केवल 6 प्रतिशत तलछटी बेसिनों का अन्वेषण किया गया था। आज, यह आंकड़ा बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है, और ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी राउंड के तहत आगे की अन्वेषण गतिविधि के साथ, यह 2025 तक बढ़कर 16 प्रतिशत हो जाएगा। 2030 तक, सरकार का लक्ष्य देश के अन्वेषण क्षेत्र को 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित करना है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
मंत्री ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान सरकार के तहत लागू किए गए कई महत्वपूर्ण सुधारों को भी रेखांकित किया। प्रमुख सुधारों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाना, 37 अनुमोदन प्रक्रियाओं को घटाकर केवल 18 करना शामिल है, जिनमें से नौ अब स्व-प्रमाणन के लिए उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, 2024 में तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक की शुरूआत तेल और गैस उत्पादकों के लिए नीति स्थिरता सुनिश्चित करती है, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की अनुमति देती है और पट्टे की अवधि बढ़ाती है।