नयी दिल्ली, 15 नवंबर (वार्ता) देश भर में जिला और राज्य उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों की वर्तमान स्थिति पर समीक्षा के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा आयोजित बैठक में इन रिक्तियों की भर्ती के लिए एक दक्ष, उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों के प्रधान सचिवों, निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में आम सहमति बनी कि सुनवाई में देरी से बचने और लंबित मामलों को कम करने के लिए रिक्तियों को भरना आवश्यक है। विज्ञप्ति के अनुसार अक्टूबर 2024 तक राज्य आयोगों में अध्यक्ष के कुल 18 पद और सदस्यों के 56 पद रिक्त थे इसी तरह, देश भर के जिला आयोगों में अध्यक्ष के 162 पद और सदस्यों के 427 पद रिक्त थे। यह भी देखा गया कि सभी के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों में पिछले वर्षों की तुलना में काफी वृद्धि हुई है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, “मंत्रालय उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों को भरने के लिए एक कुशल, उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।” विभाग ने कहा है कि जिसका उद्देश्य पूरे देश में दक्षता को बढ़ाना है।
श्रीमती खरे ने कहा कि यह आवश्यक है कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उपभोक्ता विवादों/मामलों को शीघ्र और कुशलता से निपटाया जा सके। उन्होंने देश भर में उपभोक्ता आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति में तेजी लाने की जरूरत पर बल दिया।
सचिव ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों से इन पदों को भरने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता आयोगों का प्रभावी कामकाज उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और सेवा मानकों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 32 के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य जिला आयोग को अतिरिक्त प्रभार सौंपने की अनुमति देता है, ताकि जिला उपभोक्ता आयोग कार्यात्मक बने रहें।