वृद्धि में जिले की किसी भी तहसील और गांव को नहीं छोड़ा
वीरेन्द्र वर्मा
इंदौर: इंदौर में गाइडलाइन दरें बढ़ाने की जिला मूल्यांकन समिति ने चालू साल में सिफारिश की है. मूल्यांकन समिति ने यह बताया कि कुछ जगहों पर ही दरों में वृद्धि का प्रस्ताव किया है. वास्तविकता में शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की किसी भी तहसील और गांव को दरों में बढ़ोतरी के लिए नहीं छोड़ा है. इसके पीछे सिर्फ कॉलोनाइजर और बिल्डरों की जमीन कीमतों में तेजी लाने का षड्यंत्र दिखाई दे रहा है.
पिछले दिनों शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीयन विभाग ने गाइड लाइन दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था. उसमें कुल 479 स्थानों का उल्लेख किया है, जबकि किसी भी जमीन की गाइड लाइन बढ़ाई जाती है तो उसके आस पास की जमीनों की दरों में बढ़ोतरी स्वमेव ही हो जाती है. किसी भी जमीन के पंजीयन के कागजात जब तैयार होते है, उस समय आसपास की गाइडलाइन देखकर ही स्टाम्प ड्यूटी की गणना की जाती है. जिला मूल्यांकन समिति ने ऐसे ही शहर की सभी तहसील के गावों को शामिल किया है. खास बात यह है कि इंदौर जिले की तहसीलों में कई गांव शहरी क्षेत्र नगर निगम सीमा के वार्ड में शामिल है. साथ ही कई गावों निगम सीमा के वार्ड से लगे होने का अनुमान लगा कर मूल्यांकन समिति ने प्रस्ताव बनाया है. गावों में कई कॉलोनाइजर और बिल्डरों ने बड़ी मात्रा में जमीनों के सौदे कर रखे है. ऊंचे दामों पर बेचने के लिए समिति ने प्रस्ताव पारित कर भोपाल भेजा है. आश्चर्यजनक बात यह है कि भोपाल केंद्रीय मूल्यांकन समिति ने बिना जांच और जानकारी लिए गाइडलाइन दरें मंजूर करने पर सहमति भी दे दी.
तहसीलों में इस तरह बढ़ाई दरें
इंदौर जिले की सांवेर, कनाडिया, भिचौली हापसी, महू, राऊ, देपालपुर, हातोद, सिमरोल और खुडैल तहसील में 1 हजार से लेकर आठ गुना तक गाइडलाइन दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. उक्त तहसीलों में आधे गांव शहरी क्षेत्र के निगम सीमा में है और आधे तहसील में होने के बावजूद निगम सीमा वार्डो के नजदीक होने के कारण शामिल किए गए है.
ऐसे किया गाइडलाइन दरों को बढ़ाने का षड्यंत्र
उदाहरण के तौर पर सांवेर का मांगलिया गांव शहरी सीमा के नजदीक है और वहां के कई कोलनियो में दरें पांच हजार रुपए वर्गफीट तक बड़ा दी है. इसी तरह देपालपुर के कनवास, राऊ के रंगवासा, हातोद की बुडानिया, सिमरोल में छह से सीधे 12000, महू के दातोदा, बिचौली के सनावदिया और देवगुराडिया में गाइडलाइन दरों में बेहिसाब बढ़ोतरी प्रस्तावित करके मंजूर करा ली गई. अब सिर्फ लागू होना बाकी है. उक्त सभी गावों में शहर के नामी कॉलोनाइजर और बिल्डरों की जमीनें है और उन पर कॉलोनी बसाई जानी के लिए टीएनसीपी से नक्शे तक पास हो चुके हैं.
बैंक और किसान को खामियाजा भुगतना पड़ेगा
वरिष्ठ अधिवक्ता और पंजीयन विभाग के एक्सपर्ट प्रमोद द्विवेदी कहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों की भाव वृद्धि अव्यवहारिक है. उसका उदाहरण है नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना को आधार बनाकर 2018-19 में गाइडलाइन दरें बढ़ाई गई थी. सरकार का राजस्व गिर गया और आइना दिखा दिया गया. इसी तरह अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओ, सड़क, कारखाने आदि डालने का सपना दिखा कर वृद्धि करने का खामियाजा बैंक और किसानों की भुगतना पड़ेगा