बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने आमरण अनशन और प्रस्तावित हड़ताल वापस ली

कोलकाता (वार्ता) पश्चिम बंगाल में सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार रात को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद अपना आमरण अनशन और मंगलवार की प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली।

आंदोलनरत डाक्टरों को गत नौ अगस्त को सरकारी आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित दुष्कर्म की शिकार हुई युवा स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के शोक संतप्त माता-पिता से भी अनुरोध मिला था। इस प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के विरोध में जूनियर डाक्टरों ने प्रदर्शन शुरू किया था।

जूनियर डॉक्टर देबाशीष हलदर ने यह घोषणा करते हुए कहा ‘हत्या की शिकार महिला चिकित्सक के माता-पिता के अनुरोध के बाद हम अनिश्चितकालीन अनशन वापस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले ही अपनी बेटी को खो चुके हैं और अब और मौतें नहीं चाहते हैं।’

उन्होंने मंगलवार को सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की भी घोषणा की। लेकिन उन्होंने कहा कि उनका विरोध और आंदोलन जारी रहेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से हड़ताल समाप्त करने और काम पर लौटने की अपील की थी।

आठ जूनियर चिकित्सक, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं कथित मौजूदा धमकी संस्कृति को समाप्त करने, सरकारी अस्पतालों में भर्ती के लिए एक केंद्रीय रेफरल प्रणाली सहित अपनी 10 सूत्री माँगों के साथ गत पांच अक्टूबर से अनशन पर थे।

डा़ हलदर ने कहा कि 70 दिनों से अधिक पुराना उनका आंदोलन अब एक बड़े विरोध का रूप लेगा और आम लोग उनसे कम से कम अनशन समाप्त करने का आग्रह कर रहे हैं क्योंकि अनशन कर रहे अधिकांश डॉक्टरों का स्वास्थ्य पहले ही खराब हो चुका है।

उन्होंने कहा कि शोक संतप्त माता-पिता आज रात अनशन स्थल पर आए और उनसे कम से कम अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया। डॉ. हलदर ने कहा कि व्यवस्था को साफ करने के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले दिन में प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सकों से आंदोलन वापस लेने और काम पर लौटने की अपील की। ​​इसके बाद उन्होंने नबन्ना में पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे की बैठक में सहमति जताई कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित माहौल होना चाहिए।

बैठक का सीधा प्रसारण किया गया। डॉक्टरों ने कथित धमकी संस्कृति, जबरन वसूली, यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ सहित कई मुद्दे उठाए और सरकार से उनकी मांगों को स्वीकार करने का आग्रह किया क्योंकि उन्हें सरकारी अस्पतालों में सामान्य स्थिति बहाल करने की आवश्यकता है। बैठक में शामिल 17 डॉक्टरों ने बाद में आरोप लगाया कि उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग के बारे में जानकारी नहीं दी गई।

मुख्यमंत्री ने डाक्टरों से कहा ‘आपने अपनी क्षमता के अनुसार विरोध किया। आपने अच्छा किया। यह आपका लोकतांत्रिक अधिकार है। मैंने भी 26 दिनों तक उपवास और विरोध किया। एक भी सरकारी अधिकारी मुझसे मिलने नहीं आया। मैं आपसे मिलने आयी हूं। मैं हर घंटे आपकी भलाई के बारे में रिपोर्ट मांगती हूं।

उन्होंने कहा ‘मैं आपसे पूछती हूं, आप मुझे एक बार नहीं, बल्कि दस बार बताएं कि आप क्या चाहते हैं। आपका भविष्य है, आपका कर्तव्य है। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप विरोध प्रदर्शन और अनशन जल्द से जल्द समाप्त करें।’

सुश्री बनर्जी ने कहा कि सरकार ने विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से निजी अस्पतालों में इलाज के लिए स्वास्थ्य साथी कार्ड धारकों के बिलों का भुगतान करने के लिए 450 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने अस्पतालों में डॉक्टरों की भर्ती पर कहा कि उन्हें पता है कि सभी रिक्तियों को तुरंत भरने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से कहा ‘आपको यह विचार करना होगा कि हमारे हाथ कई जगहों पर बंधे हुए हैं, खासकर आरक्षण के मामले में। हमने मामले को अदालत में उठाने की नियमित कोशिश की है यह उच्चतम न्यायालय में लंबित

है। आपका उच्चतम न्यायालय में भी प्रतिनिधित्व है, मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप इस मामले को अदालत में उठाएं और उनसे प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहें ताकि हम भर्ती को तेजी से आगे बढ़ा सकें।’

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