टीटीई की संख्या नियम अनुसार नहीं
जबलपुर: रेल मंडल से होकर गुजरने वाली सैकड़ों ट्रेनों में पर्याप्त टीटीई स्टाफ के न होने से जहाँ यात्रियों की सुविधा में कमी आ रही है वहीं चोरी, वाद विवाद जैसे मामलों की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही हैं। नियमानुसार हर तीन कोच में एक टीटीई होना चाहिए लेकिन 22 से 24 बोगी की ट्रेनो में सिर्फ एक या दो टीटीई ही मौजूद रहते है। जानकारों के अनुसार चलती ट्रेन में टीटीई को न सिर्फ टिकट की जाँच करना रहता है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। मगर स्टाफ की कमी के चलते टिकट की जाँच तक पूरी नहीं हो पाती है ऊपर से अन्य कार्यों को पूरा करना संभव नहीं हो पाता है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में मंडल की सीमा से गुजरने वाली और यहाँ से रवाना होने वाली ट्रेनों की संख्या में जिस तरह से इजाफा हुआ है उस हिसाब से टीटीई तैनात किए जाने चाहिए।
लगभग 600 टीटीई
जानकारों की माने तो अभी मंडल में लगभग 600 टीटीई मौजूद है। लेकिन ट्रेनों की बढ़ती संख्या और कोच के गणित को ध्यान में रखते हुए इनकी संख्या कम से कम
1400 के आसपास होनी चाहिए। यानी करीब 800 टीटीई और होने चाहिए। ट्रेन में अक्सर यात्रा करने वाले यात्रियों की माने तो टीटीई की कमी के कारण एक ट्रेन में अधिकांश समय टीटीई स्लीपर से लेकर एसी कोच तक सफर करने वाले यात्रियों की जाँच कर पाते है। ऐसे में बिना टिकट के सवार यात्रियों को यात्रा करने का फायदा मिल जाता है।
नहीं हो रही भर्ती
सूत्रों की माने तो जबलपुर रेल मंडल में लगभग 700 से ज्यादा पद स्वीकृत हैं। लेकिन पूरी भर्ती नहीं होने के कारण केवल 600 के लगभग स्टाफ कार्य पर तैनात हैं। बताया जाता है कि टीटीई ही नहीं रेलवे विभाग के अन्य पद भी काफी समय से रिक्त पड़े हुए है। ऐसे में कई कर्मचारियों से दूसरे कार्य कराए जा रहे हैं। ऐसे लोगों को दूसरी ड्यूटी में लगाकर टीटीई एवं अन्य की कमी पूरी की जा रही है।
इनका कहना है
इस बारे में अभी मैं फिलहाल कुछ नहीं बता पाऊंगा। अगर ऐसा है तो इसे जल्द भरा जाएगा।
हर्षित श्रीवास्तव, सीपीआरओ, पमरे