घनगर में 168 करोड़ की एमडी ड्रग्स बरामद, डीआरआई की बड़ी कार्रवाई

फैक्ट्री के मालिक सहित 4 लोगों को हिरासत में लिया
एक को रिमांड पर तीन को भेजा जेल

झाबुआ/मेघनगर: पिछले कुछ दिनों पूर्व भोपाल के बाद अब जिले के मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में ड्रग्स के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) द्वारा की गई इस कार्रवाई में 168 करोड़ रुपये की 112 किलोग्राम मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स बरामद की है। यह ड्रग्स 36 किलोग्राम पाउडर और 76 किलोग्राम लिक्विड फॉर्म में जब्त करते हुए फैक्ट्री के मालिक सहित चार लोगों को हिरासत में लिया है। जिन्हें आज झाबुआ की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। जहां से मान. न्यायालय ने फैक्ट्री के सचंालक को जांच एजेंसी को रिमांड पर सौप दिया है वही तीन लोगों को जिला जेल भेजा गया है। इस कार्रवाई से जिले में हड़कंप मच गया है, जबकि स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस मामले को लेकर झाबुआ विधायक डा विक्रांत भूरिया ने प्रदेश सरकार पर कई सवाल खडे किये है।
ड्रग्स की फैक्ट्री पर डीआरआई का छापा
मेघनगर फार्माकेम प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी पर यह छापा डाला गया, जहां से यह ड्रग्स बरामद की गई। डीआरआई ने दशहरे के दिन रात के अंधेरे में फैक्ट्री पर छापा मारा, जो सुबह 4 बजे से लेकर रात 8 बजे तक चला। फैक्ट्री के मालिक सहित 4 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस कार्रवाई में फैक्ट्री में मौजूद सभी सामग्री को जब्त कर लिया गया और सैंपल भी लिए गए हैं।
मेघनगर में डीआरआई ने की कार्रवाई
उल्लेखनीय है की नारकोटिक्स विभाग और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इस कार्रवाई में अपनी भागीदारी से इंकार किया है। डीआरआई ने स्वतंत्र रूप से यह ऑपरेशन चलाया और इसे गुप्त रखा, ताकि किसी भी तरह की जानकारी लीक न हो। स्थानीय पुलिस भी इस मामले से पूरी तरह अनजान थी और इस मामले में उनसे कोई सूचना साझा नहीं की।
इससे पूर्व भोपाल में बड़ी ड्रग्स जब्ती
यह पहली बार नहीं है की मप्र में इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई हो। इससे पहले भोपाल में एक फैक्ट्री से 1800 करोड़ रुपये की एमडी ड्रग्स जब्त की गई थी, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। अब झाबुआ में हुई इस बड़ी कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में ड्रग्स का रैकेट बड़े पैमाने पर सक्रिय है और सुरक्षा एजेंसियां लगातार इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं। डीआरआई द्वारा हिरासत में लिए गए फैक्ट्री मालिक और अन्य संदिग्धों से पुछताछ की जा रही है, ताकि इस ड्रग्स रैकेट के अन्य सदस्यों और संभावित ठिकानों का पता लगाया जा सके। यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस रैकेट के तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों से जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स का निर्माण और वितरण बिना किसी बड़े नेटवर्क के संभव नहीं है।
एक को रिमांड, तीन को भेजा जेल
उक्त मामले में सोमवार को झाबुआ न्यायलय की स्पेशल कोर्ट में न्यायाधीश विवेक रघुवंशी के समक्ष गिरफतार चारों लोगांें को पेश किया गया। जहां शासन की और से अभिभाषक मुकुल सक्सेना पक्ष रखा। जिसके बाद न्यायालय से जांच एजेंसी द्वारा विवेचना करने की मांग पर फैक्ट्री संचालक विजय पिता गोविंदसिंह राठौर नि. छानी बडौदरा (गुजरात) को 18 अक्टूबर तक उन्हें रिमांड पर सौपा है। वही रतन पिता नेवाभाई नलवाया नि. दाहोद (गुजरात), वैभव पिता रतनभाई नलवाया नि. दाहोद (गुजरात) और रमेश पिता दितिया नि. बेडावली मेघनगर को जिला जेल झाबुआ भेजा गया है।
क्या मध्यप्रदेश की सरकार सो रही है: भूरिया
इसी माह में कुछ दिनों पूर्व भोपाल में 1800 करोड और अब जिले के ओद्योगिक क्षेत्र मेंघनगर में 170 करोड की ड्रग्स पकडी गई है। बडे ही शर्म की बात है कि बहार की एजेंसियांे का कार्यवाही के लिए आना पड रहा है, ताकि ड्रग्स पकड सके, क्या प्रदेश की सरकार सो रही है और पुलिस को भनक तक नही लग रही है कि इतना बडा राकेट चल रहा है। पुरे देश में प्रदेश ड्रग्स का हाडस्पार्ट बन गया है। डा भूरिया ने कहा कि जिन जहरीली फैक्टियों को गुजराज में जगह नही मिलती उन्हें जिले के मेघनगर औद्यौगिक क्षेत्र आराम से परमिशन मिल जाती है। उन्होने सवाल खडा किया की क्या इसमें सरकार की मिली भगत नही है। उन्होने यह भी कहा कि पहले ही शराब के कारण जिले के आदिवासी और युवा बर्बाद हो रहे है और अब ड्रग्स के कारण लोग और उनके परिवार तबाह हो रहे है। औद्यौगिक क्षेत्र से छोडे जाने वाले लाल पानी के कारण लोगों को पीने का पानी तक नसीब नही हो रहा है। अब सरकार को जाग जाना चाहिये, अन्यथा लोगों का जीवन बर्बाद हो जाएगा।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भनक तक नहीं
उक्त मामले में स्थानीय पुलिस की कोई भूमिका नहीं रही, क्योंकि डीआरआई ने गुप्त रूप से यह ऑपरेशन चलाया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस को इस ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं दी गई, जिससे स्पष्ट है कि कार्रवाई पूरी तरह से डीआरआई के नियंत्रण में रही। हालांकि अब जब मामला खुलकर सामने आ गया है, स्थानीय पुलिस को भी सतर्क रहने की आवश्यकता होगी, ताकि इस तरह की घटनाएं फिर से न हों। प्रदेश मंें लगातार हो रही ड्रग्स तस्करी की घटनाओं ने राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। डीआरआई, एनसीबी और अन्य एजेंसियां अब राज्य में ड्रग्स रैकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं। झाबुआ में हुई इस बड़ी कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि प्रशासन किसी भी किमत पर ड्रग्स माफियाओं को बख्शने के मूड में नहीं है।

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