इंडस्टि्रयल उपयोग की जमीन पर आवासीय कॉलोनी…!

टीएनसीपी ने अनुमति जारी कर हटाई कम्प्यूटर से जानकारी

मास्टर प्लान में 26 एकड़ जमीन का 85 प्रतिशत  हिस्सा औद्योगिक उपयोग का

इंदौर: शहर में सरकारी अधिकारी और जमीन मालिकों का किस तरह गठजोड़ है? इसका उदाहरण है, गांव टिगरिया बादशाह की गोलकुंडा कॉलोनी. उक्त कॉलोनी के पांच खसरों में से तीन खसरों की जमीन पूर्ण इंडस्टि्रयल और दो खसरों की जगह का बड़ा भाग औद्योगिक उपयोग का है. उक्त कॉलोनी के खसरे का भू उपयोग टीएनसीपी द्वारा घोषित मास्टर प्लान 2021 में उल्लेख है. खास बात यह है कि अनुमति भी टीएनसीपी ने जारी की है और ऑनलाइन गोलकुंडा कॉलोनी की जानकारी भी हटाई गई है.

शहर में सरकार और टीएनसीपी द्वारा स्वयं बनाए विजन डॉक्यूमेंट का पालन नहीं किया जा रहा है. मास्टर प्लान 2021 में इंडस्टि्रयल, ग्रीन बेल्ट और अन्य व्यवसायिक उपयोग के लिए जिन जमीनों को आरक्षित किया था. टीएनसीपी द्वारा ही अब मास्टर प्लान को सरेआम दरकिनार अनुमतियां जारी की जा रही है. यह टीएनसीपी और जमीन मालिकों का गठजोड़ शहर में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का उदाहरण है. मल्हारगंज तहसील के गांव टिगरिया बादशाह में आई सी आई गोल कुंडा नामक आवासीय कॉलोनी की जमीन का मास्टर प्लान में लैंड यूज औद्योगिक है. मगर आवासीय कॉलोनी की अनुमति जारी की गई.टीएनसीपी ने कंप्यूटर से उक्त कॉलोनी और खसरे पर जारी अनुमति की डिटेल्स हटा दी है. ऑनलाइन कंप्यूटर अब उक्त अनुमति को नहीं दिखा रहा है. इससे समझा जा सकता है कि किस तरह से नियमों को ताक में रख कर काम किया जाता है. आप अनुमति की जानकारी भी नहीं ले सकते हो.

शहर में उक्त कॉलोनी में अपनी जीवन भर की कमाई खर्च कर प्लॉट लेने वालों के साथ टीएनसीपी और जमीन मालिकों ने सीधा धोखा कर दिया है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें नगर निगम ने भी विकास अनुमति जारी की है. निगम ने टीएनसीपी की अनुमति को आधार बनाया है. सवाल यह है कि मास्टर प्लान तैयार करने और उसमें आरक्षित जमीनों पर सही उपयोग की जिम्मेदारी किसकी है? प्रशासन शासन के अधिकारियों और ऐसी कॉलोनी काटकर ठगने वालों पर कारवाई बाद में क्यों करता है या कब सख्ती पेश आएगा?

शहर में तीन सौ प्लॉट की कॉलोनी को आंख मिचकर अनुमति नहीं दी है. मौका मुआयना फिर कैसे किया जाता है, स्थल निरीक्षण कैसे होता है. गोलकुंडा कॉलोनी इसका जीवंत सच्चा उदाहरण है. टीएनसीपी के अधिकारियों द्वारा उक्त कॉलोनी की अनुमति देते समय लैंड यूज नहीं देखा गया क्या? ऐसे कई सवालात है जो शहर में सीधे साधे लोगों को ठगने में अधिकारियों और जमीन मालिकों के गठजोड़ को साबित करते है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार….
इस बारे में टीएनसीपी के संयुक्त संचालक शुभाशीष बैनर्जी ने कहा कि यह मेरे कार्यकाल की मामला नहीं है. आपके द्वारा जानकारी में लाया गया है तो मैं दिखवाता हूं. मुझे अनुमति के दस्तावेज भेजे.

 

 

 

कॉलोनाइजर ने नहीं उठाया कॉल
जमीन मालिक सचिन पाटीदार से बात करने के कोशिश की गई. उनके मोबाइल पर दो बार कॉल किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

कलेक्टर और एडीएम ने नहीं उठाया कॉल
उक्त कॉलोनी को लेकर कलेक्टर अशीषसिंह और एडीएम एवं कॉलोनी सेल प्रभारी गौरव बैनल से कॉल पर संपर्क कर बात करने की कोशिश की गई। दोनों जिम्मेदार अधिकारियो ने भी कॉल रिसीव नहीं किए।

यह है खसरे नंबर
ग्राम टिगरिया बादशाह के खसरा नंबर 346/1, 346/2 , 345/5/2 , 348/4/2 और 349/3 /2 की कुल 10.530 हेक्टेयर जमीन यानी लगभग 26 एकड़ जमीन पर आवासीय कॉलोनी काट कर बेच दी गई है। उक्त कॉलोनी की अनुमति 2016 में दी गई थी। साथ ही कॉलोनी में छह बहुमंजिला इमारतों की भी अनुमति दी गई। उक्त खसरों में 345/5/2 , 348/4/2 , 349/3/2 की जमीन मास्टर प्लान में पूर्ण रूप से इंडस्टि्रयल है। वहीं 346/2 खसरे की 80 प्रतिशत और 346/1 खसरे की 25 प्रतिशत जमीन भी औद्योगिक उपयोग की है.

इंडस्टि्रयल उपयोग की जमीन पर आवासीय कॉलोनी काटने वाले
महेंद्र पिता पुरषोत्तम पाटीदार और सचिन पिता पुरषोत्तम पाटीदार ग्राम टिगरिया बादशाह , इंदौर को टीएनसीपी ने 29/12/2016 को पत्र क्रमांक 11269 के द्वारा अनुमति जारी की है। इसमें करीब 275 प्लॉट और 6 बहुमंजिला इमारतें बनाएं जाने का उल्लेख है.

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