कांट्रेक्टर कंपनी की चांदी
इंदौर: मैट्रो रेल खजराना से हाईकोर्ट तक एलीवेटेड या अंडर ग्राउंड लाइन डालने का फैसला अभी तक नहीं हुआ है. वहीं कांट्रेक्टर कंपनी का क्लेम बढ़ता जा रहा है और उसकी बिना काम किए चांदी हो रही है. अंडर ग्राउंड लाइन को लेकर भी सरकार और विभाग से कोई हलचल नहीं हो रही है.इंदौर मैट्रो, जिसको मध्यप्रदेश मैट्रो भी कहा जाता है, की येलो लाइन का काम खजराना से आगे करने का निर्णय आज तक नहीं हुआ है. रोबोट चौराहे से हाईकोर्ट तक मैट्रो का ठेका हो चुका है और कंपनी को वर्क ऑर्डर भी दे दिया गया है. कंपनी द्वारा रोबोट चौराहे से खजराना तक काम भी किया जा रहा है. खजराना से आगे बंगाली चौराहे से पलासिया के साथ हाईकोर्ट चौराहे तक एलीवेटेड लाइन बिछाने की राय हुई थी.
उक्त क्षेत्र के व्यापारियों ने इसका विरोध किया. इसके बाद 15 जून को नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने व्यापारियों और अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसमें अंडर ग्राउंड लाइन डालने की राय शुमारी की गई. मंत्री ने पलासिया से अंडर ग्राउंड लाइन की हामी भर दी, मगर जब पूर्व में ठेका दिया जाने और लागत में चार गुना के बढ़ोतरी की बात सामने आई, इसके बाद से अधिकारी, मैट्रो ट्रेन के अधिकारी व सरकार चुप है. करीब साढ़े तीन महीने बीत जाने के बाद भी मैट्रो के लेकर सरकार और मध्य प्रदेश मैट्रो के अधिकारी कोई फैसला नहीं ले सके है. इसका फायदा कांट्रेक्टर कंपनी को मिल रहा है. साइड क्लियर नहीं होने से एलीवेटेड लाइन के कर्मचारियों का क्लेम बढ़ता जा रहा है. टेंडर शर्तों में सरकार की तरफ से देर होने पर भुगतान कंपनी को करना पड़ेगा.
4.5 किलोमीटर का ठेका 460 करोड़ में
रोबोट चौराहे से हाईकोर्ट तक एलीवेटेड मैट्रो रेल लाइन का ठेका 460 करोड़ में दिया गया है. यह ठेका रेल विकास निगम और यूआरसी चेन्नई ने मिलकर लिया है. टेंडर शर्तों के अनुसार साइट क्लियर नहीं होने या अन्य कारणों से टेंडर निरस्त होने पर राज्य सरकार को उल्टा भुगतान करना पड़ेगा. वह करोड़ों में होगा.
अभी यह है स्थिति
खजराना से आगे हाईकोर्ट तक एलीवेटेड लाइन बिछाने को लेकर भारत सरकार राजपत्र प्रकाशन कर चुकी है। राजपत्र के अनुसार खजराना से हाईकोर्ट तक एलीवेटेड लाइन पर अभी सिर्फ रोबोट चौराहे से खजराना तक का काम चल रहा है। बाकी अंडर ग्राउंड का निर्णय नहीं होने से काम शुरू नहीं हुआ है.
अंडर ग्राउंड में लागत चार गुना बढ़ जाएगी
4.5 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड मैट्रो लाइन का खर्च 460 करोड़ रुपए आ रहा है. वहीं एक अंडर ग्राउंड लाइन की लागत 1800 सौ से 2000 हजार करोड़ रुपए आएगी. इसके लिए नए सिरे से सर्वे और प्रस्ताव के साथ फिजीब्लिटी और डीपीआर रिवाइज करना होगी और समय भी कम से कम छह महीने से ज्यादा लग जाएगा. मगर इस मामले को लेकर अभी तक स्पष्ट फैसला नहीं लिया गया है.