नयी दिल्ली, 29 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने चुनावी बाँड के जरिए जमकर काली कमाई की है और इससे पर्दा ना उठे इसको लेकर लगातार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने चुनावी बाँड मामले में रिजर्व, बैंक सुप्रीम कोर्ट आदि के निर्देशों को भी नहीं माना। यहां तक कि इसको लेकर जो विधेयक लाया गया उसे धन विधेयक बनाकर राज्यसभा में आने से रोक दिया।
उन्होंने कहा,”ऐसे ही नहीं बढ़ी है भाजपा की अथाह कमाई। इसलिए भाजपा चुनाव के लिए इलेक्टोरल बाँड थी लाई।काली कमाई और बेनाम चंदा,भाजपा का सिर्फ यही रह गया है धंधा। ये कहानी शुरू होती है कि इलेक्टोरल बाँड के पीछे भाजपा की सोच क्या थी और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कैसे भाजपा को कटघरे में खड़ा कर कहा था कि उसने बाँड को लेकर सारी नियमों धज्जियां उड़ाई है। कोर्ट के ये शब्द पूरी तरह से प्रमाणित हो चुके हैं।”
प्रवक्ता ने कहा,”इलेक्टोरल बाँड मामले में चौथा पहलू एफआईआर दर्ज होने का है।
किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज होने का एक प्रावधान होता है जिसमें मामले की प्राथमिक जांच के आधार पर अदालत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देती है। इस एफआईआर में भी वित्त मंत्री आरोपी नंबर एक हैं और अन्य व्यक्ति भी संबंधित धाराओं के तहत मामले में आरोपी हैं। इसमें नाम के साथ आंकड़े भी दर्ज हैं- जिसमें कुल आंकड़ा 8,000 करोड़ रुपए का है।”
उन्होंने कहा, “मीडिया ने पिछले एक साल में चुनावी बाँड से जुड़ी हुई कई कहानियां, नाम और किस्से पब्लिश किए हैं। जिनमें कई सारे तथ्य भी हैं। उन स्टोरीज में बताया गया है कि कैसे किसी कंपनी या व्यक्ति ने कब और किसने इलेक्टोरल बाँड लिया। कई मामलों में पहले जांच एजेंसियों ने छापे मारे और फिर उन कंपनियों द्वारा इलेक्टोरल बाँड लिया गया। ऐसा भी देखा गया कि इलेक्टोरल बाँड खरीदने के बाद उन मामलों में जांच धीमी हो गई। हमने कई मामलों में यह भी देखा कि जिन कंपनियों का पेड-अप कैपिटल 100 करोड़ भी नहीं था लेकिन उन्होंने 500 करोड़ के इलेक्टोरल बाँड खरीदे थे।जब इलेक्टोरल बाँड बनाया जा रहा था, तो रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा था कि कि इस चुनावी बाँड का मामला संदिग्ध है और सेल कंपनियों के द्वारा इसका दुरुपयोग किय जा सकता है। बैंक के गवर्नर ने सरकार को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी लेकिन सरकार इस चिट्ठी को कूड़ेदान में फेंककर उन्हें हटा देती है।”
उन्होंने कहा,“ सरकार जानती थी वह गलत काम कर रही है और राज्यसभा में यह विधेयक पास नहीं हो , इसलिए सरकार ने इस पर धन विधेयक का टैग लगा दिया था। अब सबसे बड़ा मुद्दा है- लेवल प्लेइंग फ़ील्ड का और एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए यह बहुत जरूरी भी है। ये संविधन के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है। लेकिन, चुनावी बाँड संविधान के उसी मूल ढांचे की नींव पर हमला करता है। इस तरह से स्कीम भाजपा के पुराने जुमले -खाऊंगा भी, चुराऊंगा भी ,वसूली के लिए सताऊंगा भी-का नया वर्जन है।”