अप्रतिम सौंदर्य से फिल्म पर्यटन और शूटिंग का हब बन गया मध्यप्रदेश

भोपाल, 26 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश, देश का फिल्म पर्यटन और शूटिंग का हब बन गया है। अब मध्यप्रदेश में बनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित फिल्मों ने देश और विदेश के नामी फिल्म निर्मात कंपनियों और निदेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

चंदेरी में शूट हुई फिल्म ‘स्त्री-2’ ने 600 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय कर लिया है और स्त्री-3 के लिए भी जमीन तैयार कर दी है। सीहोर के गांवों में शूट हुई और आस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित फिल्म ‘लापता लेडीज’ में मध्यप्रदेश के स्थानीय कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा लिया। इस फिल्म में सिहोर के बमूलिया, सेमली, ढबलामाता, शिकारपुर, जोशीपुर घाट, गुंजारी मंदिर, इछावर मार्केट प्रमुखता से नजर आते हैं। वर्ष 2016 में बनी विश्‍व प्रसिद्ध फिल्म ‘लायन’ की शूटिंग इंदौर, उज्जैन, खंडवा, खरगौन, देवास और बुरहानपुर में हुई। यहां 19 दिनों की शूटिंग हुई थी। इसे आस्कर के लिये नामांकित किया गया था और कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

फिल्म के निर्देशक गार्थ डेविस ने राज्य सरकार और पर्यटन विकास निगम के सहयोग का आभार माना है। मध्यप्रदेश को प्रकृति ने दिल खोलकर सौन्दर्य-समृद्ध बनाया है। फिल्म शूटिंग के लिए मध्यप्रदेश सुंदर स्थलों का स्वर्ग है। देश का हृदय प्रदेश होने से यहां चारों दिशाओं से कनेक्टिविटी आसान है। सड़क संपर्क में अभूतपूर्व सुधार होने से पहुंचना आसान हो गया है। हवाई सेवाओं के बढ़ने से फिल्म उदयोग के लिए और भी ज्यादा अनुकूल हो गया है।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में आने वाली फिल्म निर्माण परियोजनाओं में निवेशकों से निवेश करने का आग्रह किया है। इससे स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और राज्य सरकार की उदार नीतियों से फिल्म निर्माण की लागत में भी कमी आयेगी। प्रदेश सरकार ने फिल्म इंडस्ट्री की आवश्यकताओं और शूटिंग के लिए उपलब्ध सुंदरतम स्थलों का महत्व समझते हुए अपनी फिल्म निर्माण नीति बनाई है।

इसमें फिल्म निर्माताओं को आकर्षक पैकेज फिल्म दिए जा रहे हैं। यहाँ फिल्म निर्माण के लिए सबसे अनुकूल स्थिति, बेहतर कानून-व्यवस्था और शांति है, वह मध्यप्रदेश की पहचान है। प्रदेश में कहीं भी शूटिंग करना बहुत आसान है। पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है। शांत वातावरण में शूटिंग हो जाती है। स्थानीय लोग मददगार और मित्रवत व्यवहार करते हैं। इन सब खूबियों से मध्यप्रदेश शूटिंग हब के रूप में प्रसिद्धी पा रहा है।

मध्यप्रदेश में 1952 से फिल्मों की शूटिंग हो रही है। भारत की पहली टेक्नीकलर फिल्म ‘आन’ फिल्म की शूटिंग राजगढ़ जिले में नरसिंहगढ़ किले में हुई थी। इसे एक साथ 28 देशों में रिलीज किया गया था। इसके बाद 1955 में राजकपूर की ‘श्री 420’ की कुछ शूटिंग शाजापुर में हुई और 1957 में ‘रानी रूपमती’, 1957 में ही ‘नया दौर’ की शूटिंग बुदनी में हुई और 1963 में ‘मुझे जीने दो’ फिल्म की शूटिग चंबल क्षेत्र में हुयी। मध्यप्रदेश में बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों की हुई शूटिंग की एक लंबी सूची है।

राज्य सरकार ने फिल्म उद्योग और फिल्म की शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए फिल्म सुविधा सेल बना दिया है। यह सेल फिल्म निर्माण कंपनियों, निर्माताओं के साथ समन्वय स्थापित करेगा और उनकी आवश्यकताओं को समझ कर नीति में आवश्यक बदलाव के लिए सुझाव भी देगा।

प्रदेश में शूटिंग करने की इच्छुक फिल्म निर्माताओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम है। इससे अनुमतियां जारी की जाती हैं। राज्य शासन फिल्म पर्यटन निधि के माध्यम से मनोरंजन उद्योग के विकास को सहायता देकर आर्थिक गतिविधियों को विस्तार दे रही है। फिल्म संबंधी हितधारकों के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा करने की दृष्टि से प्रयास किये जा रहे हैं। फिल्म की प्रचार-प्रसार गतिविधियों के लिए थीम पार्क, सेल्फी प्वाइंट, फिल्म फेस्टिवल और फिल्म अवार्ड जैसे इवेंट्स आयोजित किया जा रहे हैं। देश के प्रमुख फिल्म निर्माताओं के टूर भी आयोजित करने की योजना है। साथ ही प्रदेश में शूटिंग करने लायक नए स्थलों की पहचान कर निर्माताओं को उनकी लोकेशन से अवगत कराया जा रहा है।

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